Oct ०६, २०२१ ०८:५५ Asia/Kolkata
  • कोरोना के आगे फ़ाइज़र वैक्सीन पस्त, 41 प्रतिशत प्रभाव घटा, वैज्ञानिक हैं हैरान...

दुनिया की सबसे प्रभावशील वैक्सीन की प्रभावशीलता को लेकर बड़ा झटका लगा है।

फ़ाइज़र-बायोएनटेक की कोरोना वैक्सीन की प्रभावशीलता में छह माह बाद बड़ी कमी देखी गई है। एक शोध के अनुसार मुताबिक, फ़ाइज़र की दोनों खुराक लेने के बाद जो टीका संक्रमण रोकने में 88 प्रतिशत प्रभावी था, वह छह महीने बाद घटकर 47 प्रतिशत हो गया है। इसका मतलब यह हुआ कि दुनिया की सबसे प्रभावशाली वैक्सीन का असर छह महीने में ही 41 प्रतिशत तक घट गया।

यह शोध लांसेट मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है। शोध के विश्लेषण से पता चला है कि अस्पताल में भर्ती होने और संक्रमण से होने वाली मौतों को रोकने में टीके की प्रभावशीलता छह महीने तक 90 प्रतिशत के उच्च स्तर पर रही। यह कोरोना के अत्यधिक संक्रामक डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ भी था। शोधकर्ताओं ने कहा कि डेटा से पता चलता है कि यह गिरावट अधिक संक्रामक वेरिएंट के बजाय प्रभावोत्पादकता कम होने के कारण है।

फ़ाइज़र और कैसर पर्मानेंट ने दिसम्बर 2020 से अगस्त 2021 के बीच कैसर पर्मानेंट सदर्न कैलिफोर्निया के लगभग 34 लाख लोगों के हेल्थ रिकॉर्ड्स की जांच की। इस अध्ययन को लेकर फ़ाइज़र वैक्सीन्स में चीफ मेडिकल ऑफिसर और सीनियर वाइस प्रेसिडेंट लुई जोडार ने कहा कि हमारा वेरिएंट स्पेसिफिक एनालिसिस बताता है कि फ़ाइज़र वैक्सीन कोरोना के डेल्टा समेत सभी चिंताजनक वेरिंएट के खिलाफ प्रभावी है।

शोध में बताया गया है कि फ़ाइज़र का टीका लगवाने के एक महीने बाद डेल्टा वेरिएंट के ख़िलाफ़ यह 93 प्रतिशत प्रभावी थी लेकिन चार महीने बाद यह घटकर 53 प्रतिशत हो गई। जबकि अन्य वेरिएंट के मुकाबले प्रभावशीलता 97 प्रतिशत से घटकर 67 प्रतिशत हो गई। कैसर पर्मानेंट दक्षिणी कैलिफोर्निया के अनुसंधान और मूल्यांकन विभाग के साथ शोध के प्रमुख लेखक सारा टार्टोफ कहते हैं कि इससे यह पता चलता है कि डेल्टा ऐसा वेरिएंट नहीं है जो वैक्सीन को चकमा दे सके। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा होता तो शायद हमें टीकाकरण के बाद उच्च सुरक्षा नहीं मिलती। क्योंकि उस स्थिति में टीकाकरण काम नहीं कर रहा होता। (AK)

 

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