ईंधन की क़ीमतों में तेज़ी से उछाल, विश्व की अर्थव्यवस्था के लिए ख़तरे शुरू
हालिया दिनों में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ईंधन के मूल्यों में बहुत ही तेज़ी से वृद्धि हो रही है।
यूक्रेन पर रूस की सैन्य कार्यवाही के बाद तेल के मूल्यों को बढ़ोत्तरी होती जा रही है। इस समय एक बैरल तेल की क़ीमत 110 डाॅलर है।
वर्तमान समय में तेल के मूल्यों में वृद्धि को दो कारक बताए जा रहे हैं।एक यूक्रेन का वर्तमान संकट और दूसरा वियना में जारी परमाणु वार्ता का बढ़ता जाना। तेल के मूल्य में वृद्धि के कारण आज ओपेक प्लस की बैठक होने जा रही है। इससे पहले ओपेक के सदस्यों ने इस बात पर सहमति जताई थी कि अगस्त से हर महीने 4 लाख बैरल प्रतिदिन तेल का उत्पाद किया जाएगा। अब हालिया हालात को देखते हुए ओपेक को अपनी 26वीं बैठक में अप्रेल से ही तेल के उत्पादन में वृद्धि के बारे में फैसला करना होगा।
इस समय तेल की प्रति बैरेल 110 डाॅलर की क़ीमत ने विश्व स्तर पर चिंताओं को बढ़ा दिया है। यही कारण है कि परमाणु ऊर्जा की अन्तर्राष्ट्रीय एजेन्सी के सदस्यों ने आपातकालीन भण्डार से 60 मिलयन बैरेल तेल निकालने का फैसला किया है। इसी बीच अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी सरकारी तेल भण्डार से 30 मिलयन बैरेल तेल निकालने का आदेश जारी किया है।
इन सारी बातों के बावजूद हालात को देखते हुए इस बारे में चिंताएं लागतार बढ़ती जा रही हैं। रूस के संबन्ध में यह कहना चाहिए कि यह देश विश्व में कच्चा तेल निर्यात करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है। यह विश्व की आवश्यकता का 10 प्रतिशत तेल निर्यात करता है। इसी के साथ रूस, यूरोपीय संघ की आवश्यकता के चौथे हिस्से की आपूर्ति करता है। इन हालात में यूक्रेन युद्ध की प्रतिक्रिया में रूस के विरुद्ध पश्चिमी देशों के आर्थिक प्रतिबंधों ने बहुत से लोगों को चिंता में डाल दिया है। यह इसलिए है क्योंकि हो सकता है कि प्रतिबंधों की प्रतिक्रिया में रूस तेल की सप्लाई को रोक भी सकता है।
अमरीका और पश्चिमी देशों ने यूक्रेन संकट के संबन्ध में जो राजनीतिक क्षेत्र में जो प्रचार किया है उनके बावजूद आर्थिक क्षेत्र विशेषकर ऊर्जा के क्षेत्र में उन्होंने एक अलग प्रकार की नीति अपनाई है क्योंकि अगर ईंधन या ऊर्जा को लेकर रूस को निशाना बनाया जाता है तो यह अपने ही पेट में खंजर मारने जैसा होगा। इस क्षेत्र में रूस के विरुद्ध कार्यवाही विश्व स्तर पर ऊर्जा के मूल्यों में भारी वृद्धि का कारण बनेगी।
विश्व स्तर पर ऊर्जा के मूल्यों में वृद्धि के साथ ही अमरीका में पेट्रोल की क़ीमत बढ़ गई है। यूक्रेन संकट के कारण इसमें अधिक वृद्धि, बाइडेन सरकार के लिए बहुत बुरी ख़बर हो सकती है। राजनैतिक टीकाकारों का मानना है कि रूस के मुक़ाबले में पश्चिम द्वारा यूक्रेन का समर्थन केवल उस स्तर तक है जबतक आर्थिक क्षेत्र विशेषकर ऊर्जा के क्षेत्र में उसको कोई क्षति न पहुंचे अगर एसा होता है तो फिर यह पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर ख़तरा बन सकता है।
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