यूक्रेन किस झांसे की क़ीमत चुका रहा है?
यूक्रेन का दावा है कि रूस यूक्रेन का विभाजन करना चाहता है। यूक्रेन की खुफिया संस्था के प्रमुख ने कहा है कि रूस ने यूक्रेन पर हमले के बाद से अब तक इस देश को दो हिस्सों में बांटने का प्रयास किया है।
क्रिलो बोडानोफ़ ने कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन उत्तरी और दक्षिणी कोरिया जैसी स्थिति यूक्रेन में उत्पन्न करना चाहते हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कोरिया दो देशों में विभाजित हो गया एक उत्तरी और दूसरे दक्षिणी कोरिया। उत्तरी कोरिया को रूस का समर्थन प्राप्त है जबकि दक्षिण कोरिया को अमेरिका का समर्थन प्राप्त है।
क्रिलो बोडानोफ़ ने कहा कि मेरा मानना है कि इस समय पुतीन की प्राथमिकता यूक्रेन के पूर्वी और दक्षिणी भाग पर नियंत्रण कर लेना है और उसके बाद पुतीन एक सीमा रेखा अंकित कर देंगे जो पूर्वी और दक्षिणी यूक्रेन के देश के दूसरे हिस्सों से अलग होने का कारण बनेगा ठीक उसी तरह से जिस तरह इस समय उत्तरी और दक्षिणी कोरिया के बीच एक सीमा रेखा बनी हुई है।
उन्होंने कहा कि मारियोपोल शहर में रूसी सैनिकों को जिस प्रतिरोध का सामना करना पड़ा है वह इस स्ट्रैटेजी की राह में बहुत बड़ी रुकावट है।
यूक्रेन पर रूसी हमला आरंभ हुए एक महीने से अधिक का समय गुज़र चुका है और दोनों पक्षों को अब तक इस युद्ध में अरबों डॉलर की क्षति पहुंच चुकी है। अभी हाल ही में यूक्रेन के राष्ट्रपति विलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने कहा है कि वह अब नैटो की सदस्यता नहीं चाहते। अमेरिका और यूरोपीय देशों ने उन्हें नैटो की सदस्यता देने का झांसा दे रखा था और ज़ेलेंस्की यह समझ रहे थे कि नैटो का सदस्य बन जाने के बाद यूक्रेन सुरक्षित हो जायेगा जबकि रूस ने बारमबार कहा था कि यूक्रेन की नैटो में सदस्यता हमारी रेड लाइन है।
इसी प्रकार रूस ने बारमबार चेतावनी दी थी कि नैटो यूरोप के पूर्व में अपना विस्तार न करे मगर नैटो, यूरोप और पश्चिमी देशों ने उसकी चेतावनी पर कोई ध्यान नहीं दिया। यूक्रेन में अमेरिका के जासूसी ड्रोन रूसी सीमा के निकट उड़ते थे।
बहुत से जानकार हल्कों का मानना है कि यूक्रेन वास्तव में अमेरिका और नैटो की छावनी में परिवर्तित हो गया था और इस चीज़ को रूस अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा समझता था और वह समझ रहा था कि खतरा उसके दरवाज़े तक आ चुका है।
इसी प्रकार इन हल्कों का मानना है कि यूक्रेन में जो तबाही हुई है और हो रही है वह सब अमेरिका, यूरोपीय व पश्चिमी देशों और नैटो के क्रिया कलापों का परिणाम है। यूक्रेन का समर्थन करने वाले देश अगर नैटो में शामिल होने का झांसा न देते और उसके लिए हथियार न भेजते तो यह न तो युद्ध होता और न इतने बड़े पैमाने पर तबाही होती मगर इन देशों ने यूक्रेन के लिए हथियार भेजकर आग में घी डालने का काम किया।
जानकार हल्के यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के हालिया उस एलान को युद्ध विराम की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम के रूप में देख रहे हैं जिसमें उन्होंने कहा है कि अब वह नैटो की सदस्यता नहीं चाहते। MM
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