क्या अब दुनिया पर अमरीकी एकाधिकार समाप्त हो चुका है?
यूरोपीय संघ की विदेश नीति के प्रमुख जोसेप बोरेल ने गुरुवार को एक साक्षात्कार के दौरान स्वीकार किया कि हम एक बहुध्रुवीय दुनिया में रहते हैं और अब अमरीकी एकाधिकार का समय समाप्त हो गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि अब यूरोप दुनिया के बारे में फ़ैसले करने वाला नहीं रहा है, बल्कि यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से उसे डर लगने लगा है। बोरेल का कहना था कि यूरोपीय संघ एक सैन्य शक्ति नहीं है, बल्कि आर्थिक और तकनीकी क्षमताओं का एक समूह है।
एक वरिष्ठ पश्चिमी अधिकारी, यानी यूरोपीय संघ की विदेश नीति के प्रमुख ने यह सच्चाई अभूतपूर्व ढंग से स्वीकार की है कि अब दुनिया में अमरीका और उसके सहयोगियों का एकाधिकार समाप्त हो गया है, और इसकी जगह एक बहुध्रुवीय दुनिया ने ले ली है। हालांकि अमरीकी अधिकारी इस सच्चाई को झुठलाने की बहुत कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह उतनी ही ज़्यादा स्पष्ट होती जा रही है, जितना वह इसे छिपाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा, इसे दुनिया में अमरीकी विरोधी भावनाओं के बढ़ने के रूप में भी देखा जा रहा है। बोरेल के मुताबिक़, मैं लैटिन अमरीका में साम्राज्यवाद विरोधी भावनाओं और अफ्रीक़ा में उपनिवेशवाद विरोधी भावनाओं को समझता हूं। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि यूरोपीय संघ अब वैश्विक स्तर पर प्रभावशाली शक्ति नहीं है, बल्कि एक आर्थिक ब्लॉक और प्रौद्योगिकी के रूप में अब उसकी पहचान है।
बहुध्रुवीय प्रणाली के गठन के ढांचे में चीन और रूस जैसी नई विश्व शक्तियों की भूमिका और इन दोनों देशों के प्रभाव के साथ-साथ उभरती आर्थिक शक्तियों जैसे भारत और ब्राज़ील और कुछ अन्य देशों का नाम लिया जाता है। इसके अलावा, ईरान जैसे अभिमानी देश राजनीति, अर्थव्यवस्था और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा पर अपना प्रभाव छोड़ने वाले देशों में शामिल हैं।
अमरीका द्वारा एकध्रुवीय प्रणाली को बनाए रखने के प्रयासों के विरोध में रूस और चीन की स्पष्ट स्थिति ने वाशिंगटन को परेशानी में डाल दिया है। अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन अमरीकी एकाधिकार को मज़बूत बनाने और विश्व व्यवस्था पर अमरीकी पकड़ को बनाए रखने के लिए पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के विनाशकारी कार्यों से अच्छी तरह से वाकिफड हैं। हालांकि बाइडन का मानना है कि वे अपने राष्ट्रपति काल के दौरान, एक बार फिर अमरीका की वैश्विक भूमिका को बहाल कर सकते हैं।
नई शक्तियों जैसे चीन, भारत, रूस और अन्य उभरती आर्थिक शक्तियों के साथ-साथ ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन जैसे संगठनों और समूहों के गठन से पश्चिम से पूर्व में सत्ता के हस्तांतरण का संकेत मिलता है। अमरीका के दावों और वैश्विक आधिपत्य जारी रखने पर अड़े रहने के बावजूद, दुनिया आर्थिक, राजनीतिक, सैन्य और सुरक्षा के क्षेत्रों में वाशिंगटन की इच्छा की विपरीत दिशा में आगे बढ़ रही है।