जापान और अमरीका का संयुक्त सैन्य अभ्यास
अमरीका और जापान की नौसेना ने एक संयुक्त सैन्य अभ्यास आरंभ किया है।
जापान के रक्षा मंत्रालय के अनुसार दक्षिणी जापान के क्यूशो द्वीप पर जापान और अमरीका का संयुक्त सैन्य अभ्यास हुआ है। यह क्षेत्र चीन से निकट है।
इसी बीच यूनहाप समाचार एजेन्सी ने दक्षिणी कोरिया के सूत्रों के हवाले से बताया है कि उत्तरी कोरिया ने शनिवार को कम दूरी की मारक क्षमता वाले चार मिसाइल दाग़े थे। पूर्व एशिया में अपने घटक देशों के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास करना अमरीका की एसी रणनीति है जिससे सदैव ही क्षेत्र में तनाव पैदा होता रहा है।
हालिया कुछ वर्षों के दौरान अमरीका, जापान और दक्षिणी कोरिया के संयुक्त सैन्य अभ्यासों पर उत्तरी कोरिया और चीन की ओर से कड़ी प्रतिक्रियाएं आती रही हैं। यह देश इन कामों को अममरीका की उकासवे वाली कार्यवाही के रूप में देखते हैं। इस बात को गंभीरता के साथ पेश किया जा रहा है कि इस प्रकार के संयुक्त सैन्य अभ्यासों से अमरीका का उद्देश्य, चीन और उत्तरी कोरिया के विरुद्ध मनोवैज्ञानिक दबाव डालने का माहौल बनाना है।
जापान की सरकार द्वारा उत्तरी कोरिया के मिसाइल परीक्षणों की निंदा, यह बताती है कि क्षेत्र के लिए अमरीका एसी नीति पर काम कर रहा है जिसमें एक ओर वह और उसके घटक देश हैं जबकि दूसरी ओर उत्तरी कोरिया और चीन हैं। कोरिया प्रायद्वीप के बारे में अमरीका की इसी नीति के कारण उत्तरी कोरिया ने अपनी रक्षा को मज़बूत करने के उद्देश्य से मिसाइलों के परीक्षणों को अपनी कार्यसूचि में शामिल कर रखा है। पियुंगयांग का कहना है कि वह इस काम को उसी हालत में बंद करेगा जब अमरीका क्षेत्र में उकसावे वाली कार्यवाहियां करना बंद कर देगा।
हालांकि अमरीका ने उत्तरी कोरिया के विरुद्ध दबाव बनाने के लिए ही यह सैन्य अभ्यास आरंभ किया है। अमरीका चाहता है कि अपने घटकों पर दबाव डालते हुए क्षेत्र में इस प्रकार के सैन्य अभ्यास किये जाएं जिनसे उसके दुश्मन अर्थात उत्तरी कोरिया और चीन भयभीत हो जाएं। अन्तर्राष्ट्रीय मामलों के एक जानकार जेफ्री पीटर कहते हैं कि अमरीका ने इस समय उत्तर कोरिया के विरुद्ध एक मोर्चा खोल रखा है जिसको वह विभिन्न मोर्चों पर प्रयोग कर रहा है। एसा लगता है कि पूर्वी एशिया में अमरीका की उकसावे वाली कार्यवाहियां, जहां पर एक ओर क्षेत्रीय देशों के संबन्धों में तनाव का कारण बनेंगी वहीं पर लोगों के बीच वाइट हाउस की नीतियों के प्रति आम जनमत की घृणा बढ़ेगी।
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