सूडान में बढ़ीं शांति स्थापित होने की संभावना
सूडान के संघर्षरत पक्षों के बीच एक आरंभिक समझौता हो गया है।
लगभग तीन दिनों की वार्ता के बाद सूडान के संघर्षरत पक्ष, शांति स्थापित करने पर सहमत हुए हैं।
यह समझौता सऊदी अरब की मध्यस्थता में हुआ है। सऊदी अरब के विदेशमंत्री बिन फरहान के अनुसार सबसे महत्वपूर्ण विषय दोनो पक्षों का समझौते के प्रति कटिबद्ध रहना है। दोनो पक्षों की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि आम नागरिकों को क्षति से सुरक्षित रखने के लिए वे हर प्रकार की एहतियात से काम लें और संघर्ष में फंसे लोगों को दूसरे स्थानों पर जाने का अवसर उपलब्ध करवाना चाहिए।
इसी के साथ दोनो ही पक्ष इस बात पर समहत हुए हैं कि आम लोगों को चिकित्सा सेवा उपलब्ध करवाने वालों से वे दूर रहेंगे। संघर्षरत पक्षों के बीच बनी सहमति के हिसाब से उनकी दृष्टि में सूडान के लोगों के हित सर्वोपरि हैं। सूडान की सेना और आरएसएफ अर्थात अर्धसैनिक रैपिड फोर्स के बीच राजधानी सूडान में झड़पों का क्रम अब चौथे सप्ताह में प्रविष्ट हो चुका है। इन झड़पों के कारण बड़ी संख्या मेंं लोग अपने घर छोड़कर चले गए हैं।
हालांकि सूडान में झड़पें आरंभ होने के ससम से ही उसको समाप्त कराने के प्रयास आरंभ कर दिये गए थे किंतु संघर्ष विराम की घोषणा के बावजूद यह बाक़ी नहीं रह पाया। दोनो ही पक्ष एक-दूसरे पर लड़ाई भड़काने के आरोप लगा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ के आंकलन के अनुसार इस समय सूडान में 50 लाख लोगों को आपातकालीन सहायता की ज़रूरत है। इसी बीच रेड क्रास के प्रवक्ता ने बताया है कि सूडान के बहुत से अस्पतालों में बिजली और पानी की भारी कमी है। वहां पर बीमारों का उचित ढंग से उपचार नहीं हो पा रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इस बात की संभावना पाई जाती है कि सूडान में निकट भविष्य में लगभग 25 लाख लोगों को भुखमरी का सामना हो सकता है। सूडान में 15 अप्रैल से इस देश की सेना और वहां के अर्धसैनिक रैपिड फोर्स के बीच गंभीर झड़पें आरंभ हुई थीं। इन झड़पों के कारण सूडान में बहुत ही गंभीर मानवीय संकट उभरा था। इस संघर्ष के दौरान कम से कम 550 लोग मारे गए जबकि लगभग पांच हज़ार लोग घायल हो गए थे।
सूडान में जारी झड़पें न केवल इस देश के लिए बल्कि क्षेत्र के कई देशों के लिए गंभीर ख़तरा हैं। सूडान से भागकर जाने वाले लोग इस देश के पड़ोसी देशों में जाकर पनाह ले रहे हैं। हालांकि सूडान के संघर्षरत पक्षों ने संघर्षविराम के उद्देश्य से एक समझौता तो कर लिया है किंतु देखना यह होगा कि यह कितना टकाऊ सिद्ध होगा?
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