Sep ०९, २०२३ १४:५५ Asia/Kolkata
  • दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के संगठन आसेआन की बैठक, सहयोग को गतिहीन बना रहे हैं मतभेद

दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के संगठन आसेआन की 43वीं बैठक इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में समाप्त हुई मगर ‎सदस्य देशों के बीच मतभेद साफ़ झलकने लगे हैं।

इस बैठक में हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में सुरक्षा के ‎मुद्दे, म्यांमार का सैनिक विद्रोह और उसके प्रभाव, दक्षिणी चीन सागर के इलाक़े में तनाव, चीन और अमरीका के ‎बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा को बहुत साफ़ तौर पर महसूस किया गया।इसका यह मतलब है कि आसेआन को जहां अपने आंतरिक मतभेदों का सामना है वहीं घटकों की तरफ़ से थोपे गए चैलेंजों से भी इन देशों को निपटना पड़ रहा है। यह मुद्दे इस मज़बूत क्षेत्रीय संगठन के रास्ते की रुकावट बन रहे हैं। आसेआन के भीतर अमरीका अपने घटक तैयार करने में लगा है ताकि चीन के ख़िलाफ़ उसकी स्थिति मज़बूत हो सके और संगठन में विभाजन उत्पन्न हो जाए। नतीजा यह है कि यह संगठन क्षेत्रीय अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती से जूझ रहा है। इसका आसेआन के सदस्य देशों निश्चित रूप से बुरा असर पड़ेगा। क्योंकि चीन से अमरीका के विवाद में जो ही देश पड़ेगा चीन से उसका टकराव निश्चित है और इससे पूरे इलाक़े में आपसी सहयोग प्रभावित होगा। आस्ट्रेलिया के युनिवर्सिटी प्रोफ़ेसर और अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार वेन ती सोंग का मानना है कि आसेआन के कार्यक्रम और योजनाएं क्षेत्र से बाहर के देशों से प्रभावित नज़र आते है। वैसे म्यांमार और थाइलैंड की आंतरिक सुरक्षा राजनैतिक परिस्थितियों ने भी इस संगठन को प्रभावित किया है

आसेआन की शिखर बैठक का एक महत्वपूर्ण भाग क्षेत्रीय घटकों और क्षेत्र के बाहर के घटकों के साथ इस संगठन की बातचीत होती है। इसमें आसेआन के देश अमरीका, चीन, रूस और जापान से बातचीत करते हैं। हालिया बैठक में संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव भी शामिल हुए। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको वीदोदो ने बैठक के मेज़बान के तौर पर उद्घाटन भाषण में कहा कि सारे देशों की ज़िम्मेदारी है कि कोई नई झड़प, नया तनाव और नई जंग पैदा होने दें। इंडोनेशिया और मलेशिया आसेआन के महत्वपूर्ण सदस्य देश हैं और वो बहुत कम ही विवादों में पड़ते हैं जिसकी वजह से यह संगठन भी क्षेत्रीय चुनौतियों से दूर रहा है लेकिन इंडोनिशा के राष्ट्रपति के बयान से यह बात साफ़ है कि आसेआन को यह चिंता है कि पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशिया का इलाक़ा बड़ी ताक़तों का अखाड़ा बन जाए। अमरीका इस कोशिश में है कि आसेआने के भीतर ही चीन के ख़िलाफ़ एक मोर्चा बना दे जिसकी वजह से अन्य देशों की चिंताएं बढ़ रही हैं। सिंगापुर के युनिवर्सिटी प्रोफ़ेसर और अंतर्राष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ अलफ़र्डो का कहना है कि आसेआन का जब गठन हुआ तो इसे आर्थिक संगठन के हैसियत से देखा जा रहा था ेकिन हालिया दशकों में अमरीका ने चीन पर दबाव डालने के लिए सुरक्षा मुद्दे उठाना शुरू कर दिया नतीजा यह हुआ कि यह संगठन भी सुरक्षा की समस्याओं में उलझने लगा

दक्षिणी कोरिया के राष्ट्रपति यून सोक यओल ने संगठन की बैठक में यह कोशिश की कि सदस्य देश मिलकर उत्तरी कोरिया के ख़िलाफ़ कार्यवाही करें। इससे लगता है कि आसेआन के सामने गंभीर रुकावटें खड़ी हो गई हैं। दक्षिणी कोरिया के राष्ट्रपति ने यह साबित करने की कोशिश की कि उत्तरी कोरिया का परमाणु कार्यक्रम आसेआन के लिए प्रत्यक्ष ख़तरा है। ज़ाहिर है कि इस तरह की बहसों से क्षेत्रीय विवाद बढ़ेगा। चीन ने इस बैठक में बार बार चेतावनी दी कि शीत युद्ध जैसे हालात पैदा किए जाएं। यह संगठन के भीतर इस तरह के मुद्दे उठाने के बारे में चीन की चेतावनी है। चीन का कहना था कि यह बहुत अहम है कि संगठन को शीत युद्ध से बचाया जाए।

 

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