मतभेदों के कारण यूरोपीय संघ टूट सकता हैः बोरेल
यूरोपीय संघ के सदस्यों के बीच अप्रवासन नीति को लेकर गंभीर मतभेद पाए जाते हैं।
यूरोपीय संघ के विदेश नीति की प्रभारी ने कहा है कि प्रवासन के मुद्दे पर यह संघ टूट सकता है। जोज़फ़ बोरेल का कहना है कि यूरोपीय संघ के सदस्यों के बीच अप्रवासन नीति को लेकर गंभीर मतभेद पाए जाते हैं।
बोरेल कहते हैं कि यूरोपीय संघ को एक संयुक्त अप्रावसन नीति का निर्धारण करना चाहिए किंतु उसके सदस्य अभी तक किसी सहमति तक नहीं पहुंचे हैं। यूरोपीय संघ की विदेश नीति के प्रभारी की ओर से इस संघ के विटघन की चेतावनी के साथ ही इस संघ के बीच कई अन्य मुद्दों पर भी मतभेद पाए जाते हैं। इस बात के दृष्टिगत कि ब्रसल्ज़ की ओर से लिये गए फैलसों को लागू करने के लिए यूरोपीय संघ के सदस्य देश बाध्य है फिर भी अप्रवासन के मुद्दे से संघ के बीच गंभीर मतभेद पाए जाते हैं। यह देश अपने राष्ट्रीय हितों और अपनी संप्रभुता के बीच विरोधाभास जैसी समस्या में घिरे हुए हैं। बोरेल का मानना है कि इस प्रकार के विरोधाभास या मतभेद, इस देशों की संस्कृति और कूटनीति के कारण हैं।
इस बारे मे वे कहते हैं कि यूरोपीय संघ के कुछ सदस्य देश, अप्रवासियों को अपने यहां स्वीकार करने के विषय पर प्रतिरोध कर रहे हैं। उदाहरण स्वरूप जापान का कहना है कि हम विदेशियों को या प्रवासियों को स्वीकार नहीं करेंगे। हम उनके साथ मेलजोल नहीं रखना चाहते। हम अपनी जाति को अशुद्ध नहीं करना चाहते। विशेष बात यह है कि कई अन्य समस्याओं के साथ यूरोपीय संघ के लिए अप्रवासन के संकट ने हालिया वर्षों में कई संकट पैदा कर दिये हैं। इन बातों के कारण इस संघ के प्रमुखों में मतभेद पैदा हो चुके हैं। यूरोपीय देशों की ओर पलायन करने वाले पलायनकर्ताओं को वहां पर उन सारी परेशियों का सामना करना पड़ रहा है जिनसे बचने के लिए वे पलायन करके यहां पर आए हैं। अप्रवासन के संकट का राजनीतिक करण और यूरोप की दक्षिणपंथी पार्टियों की ओर से दिये जाने वाले लोकलुभावन नारों के कारण वहां पर पलायनकर्ताओं के विरुद्ध एक सोच पैदा हो चुकी है। यह सोच अन्य यूरोपीय देशों की तुलना में जर्मनी में अधिक पाई जाती है।
यूरोप में अप्रवासन के मुद्दे की जड़ें यूरोपीय संघ की दोमुखी नीति में छिपी हुई हैं। अवैध शर्णार्थियों को शरण देने के मुद्दे पर यूरोप का रेकार्ड शुरू से ही नकारात्मक रहा है। शायद यही वजह है कि प्रवासियों के विषय के समाधान को लेकर इन देशों के गंभीर मतभेद दिखाई दे रहे हैं। पूर्वी और मध्य यूरोप के छोटे देश, यूरोपीय संघ के निर्णयों का पालन करने में कोई इंटरेस्ट लेते दिखाई नहीं दे रहे हैं। अब यह मतभेद इतने गहरे हो चुके हैं कि युरोपीय संघ के विदेश नीति के प्रभारी ने भी इसको देखते हुए गंभीर चेतावनी दी है।
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