रूसी राष्ट्रपति की यात्रा क्या-2 संदेश लिए हुए है?
(last modified Thu, 07 Dec 2023 11:49:03 GMT )
Dec ०७, २०२३ १७:१९ Asia/Kolkata

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन ने बुधवार 6 दिसंबर को संयुक्त अरब इमारात और सऊदी अरब की एक दिवसीय यात्रा की।

सबसे पहले वह संयुक्त अरब इमारात की यात्रा पर गये जहां दोनों देशों के नेताओं ने गज्जा जंग सहित द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय विषयों के बारे में विचारों का आदान- प्रदान किया।

संयुक्त अरब इमारात की यात्रा पूरी करके वह सऊदी अरब गये जहां क्राउंन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान से द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय मामलों के बारे में विचारों का आदान- प्रदान किया।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन ने कोरोना महामारी फैलने के आरंभ से लेकर अब तक पश्चिम एशिया की यात्रा नहीं की थी। आखिरी बार वर्ष 2019 में उन्होंने संयुक्त अरब इमारात और सऊदी अरब की यात्रा की थी परंतु व्लादिमीर पुतीन अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम में हमेशा अरब नेताओं के संपर्क में रहे हैं। इस समय रूसी राष्ट्रपति ने दो महत्वपूर्ण अरब देशों यानी संयुक्त अरब इमारात और सऊदी अरब की जो यात्रा की है उसके कुछ महत्वपूर्ण संदेश हैं।

इस यात्रा का एक महत्वपूर्ण संदेश यह है कि पश्चिमी व यूरोपीय देश विशेषकर अमेरिका रूस को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग- थलग करना चाहते थे परंतु फार्स खाड़ी के दो महत्वपूर्ण अरब देशों की यात्रा करके व्लादिमीर पुतीन ने बता दिया कि वे और रूस न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग- थलग नहीं हुए हैं बल्कि क्षेत्र में अमेरिका के घटक भी वाशिंग्टन की मांगों व इच्छाओं पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

रूसी राष्ट्रपति की संयुक्त अरब इमारात और सऊदी अरब की यात्रा से विश्व समुदाय विशेषकर पश्चिमी व यूरोपीय देशों और अमेरिका को यह संदेश गया है कि अंतरराष्ट्रीय अदालत की ओर से रूसी राष्ट्रपति की गिरफ्तारी का वारेंट जारी होने के बावजूद वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर सक्रिय हैं। दूसरी ओर संयुक्त अरब इमारात की यात्रा के दौरान रूसी राष्ट्रपति का जिस तरह से स्वागत किया गया और इस देश के अधिकारियों के साथ पुतिन की मुलाकात और विचार - विमर्श इस बात का सूचक है कि ये देश रूस के साथ अपने संबंध विस्तार को जहां महत्व दे रहे हैं वहीं रूस के साथ संबंध विस्तार न करने के संबंध में अमेरिका ने जो चेतावनी दी थी यह यात्रा उसकी उपेक्षा का सूचक है।

इसी तरह यह यात्रा इस बात की सूचक है कि पूरी दुनिया विशेषकर पश्चिम एशिया से अमेरिकी दादागीरी का बोरिया बिस्तर बंध रहा है। रूस की प्रतिरक्षा और विदेश नीति परिषद के प्रमुख ने कहा है कि फार्स खाड़ी के दो महत्वपूर्ण देशों की पुतिन की यात्रा इस बात का स्पष्ट संदेश है कि रूस अंतरराष्ट्रीय अलगाव से बाहर निकल रहा है और यह यात्रा इस बात की सूचक है कि मध्यपूर्व में रूसी प्रभाव को अधिक करने की दिशा में मोस्को आगे बढ़ रहा है और साथ ही फार्स खाड़ी के दो महत्वपूर्ण अरब देश और अमेरिका के पारम्परिक घटक अपनी विदेश नीतियों को संतुलित करने के इच्छुक व उत्सुक हैं।

साथ ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन की बुधवार को होने वाली दो महत्वपूर्ण अरब देशों की यात्रा इस बात की सूचक है कि पश्चिम के पारम्परिक घटक भी ऊर्जा सहित रूस के साथ विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग करने और उसे मज़बूत बनाये जाने के इच्छुक हैं। रोचक बात यह है कि सऊदी अरब, संयुक्त अरब और रूस वे महत्वपूर्ण देश हैं जिन्होंने पिछले दो वर्षों के दौरान तेल के उत्पादन की मात्रा को कम करने और उसके निर्यात के संबंध में अमेरिकी इच्छा के विपरीत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

ओपेक + के सदस्य देशों द्वारा तेल के उत्पाद को कम करके अंतराष्ट्रीय मंडी में पेश करना वास्तव में एक प्रकार से मास्को के साथ चलना है क्योंकि अमेरिका और पश्चिम व यूरोपीय देश यह चाहते थे कि तेल के मूल्य को 60 डालर प्रति बैरेल कर दिया जाये और उनके विचार में इससे रूस को तेल से होने वाली आमदनी में ध्यान योग्य कमी हो जायेगी और उसका नतीजा यह होगा कि आर्थिक दृष्टि से रूस कमर टूट जायेगी और जब एसा हो जायेगा तब रूस, यूक्रेन के खिलाफ जंग बंद करने पर बाध्य हो जायेगा परंतु अब तक के जो हालात रहे हैं वे इस बात के सूचक हैं कि यूरोपीय व पश्चिमी देशों विशेषकर अमेरिका की इच्छाओं पर पानी फिरता जा रहा है और भविष्य में भी उन्हें मुंह की खानी पड़ेगी। MM

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