पाकिस्तान के सेना प्रमुख की अमरीका यात्रा
अमरीकी अधिकारियों से मुलाक़ात करने के उद्देश्य से पाकिस्तान के सेना प्रमुख वाशिग्टन पहुंचे हैं।
अपना पद संभालने के बाद जनरल सैयद आसिम मुनीर की यह पहली अमरीका की यात्रा है। अपनी इस यात्रा में पाकिस्तान के सेना प्रमुख, अमरीकी अधिकारियों के साथ विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करेंगे। उनकी यह यात्रा कई आयामों से समीक्षा योग्य है।
पहली बात यह है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख अमरीका और अपने देश की सेना के संबन्धों में सुधार के प्रयास करेंगे। दो एसे काल खण्ड गुज़रे हैं जिनमें पाकिस्तान और अमरीका के संबन्ध बहुत अच्छे रहे हैं। एक वह समय था जब सोवियत संघ की सेना ने अफ़ग़ानिस्तान का अतिग्रहण कर रखा था। उस काल में पाकिस्तान, अमरीका की सेना और वहां की गुप्तचर सेवा सीआईए के बीच पुल का काम कर रही थी।
इसके कई वर्षों के बाद फिर एक बार अमरीका और पाकिस्तान के बीच सहयोग बढ़ा। यह वह काल था जब अमरीका ने आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष के नाम पर अफ़ग़ानिस्तान पर हमला किया था। सन 2001 में अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति जार्ज बुश जूनियर ने पाकिस्तान की सेना की ओर से किये जाने वाले सहयोग के कारण उसको अपना ग़ैर नैटो घटका घोषित किया था। अफ़ग़ानिस्तान और कश्मीर जैसे दो संवेदनशील मुद्दों की फाइल, पाकिस्तान की सेना के हाथों में रही है इसलिए इन दोनो मुद्दों को लेकर पाकिस्तान और अमरकी के बीच टकराव रहा है।
इसी बीच अमरीका ने पाकिस्तान की सेना की अग्रिम पक्ति पर यह आरोप मढ़ा कि उसने उनके साथ सहयोग के दौरान दोहरा व्यवहार अपनाए रखा। यही कारण था कि डोनाल्ड ट्रम्प के शासनकाल में पाकिस्तान के लिए अमरीकी की सैन्य सहायता बंद कर दी गई। सैन्य मामलों के एक टीकाकार एलफ्रेड कहते हैं कि पाकिस्तान की सेना बहुत अधिक अमरीकी सहायता पर निर्भर है।
रूस द्वारा अफ़ग़ानिस्तान के अतिग्रहण के समय जब अमरीका की ओर से अफ़ग़ान के लड़ाकों के लिए बहुत बड़े पैमाने पर सहायता आया करती थी तो उससे इस देश के सैनिक कमांडरों के वारे-न्यारे हो गए थे। वे बहुत ही लगज़री लाइफ गुज़ारने लगे थे। शायद यही कारण है कि वहां के बड़े सैन्य कमांडर, अमरीका के साथ पुनः संबन्धों के सामान्य होने के इच्छुक हैं किंतु वर्तमान तनावपूर्ण संबन्धों को देखते हुए इस बारे में कुछ कहना अभी जल्दी होगा।
उधर पाकिस्तान के आम चुनाव निकट हैं एसे में इस देश के सेनाप्रमुख की अमरीका की यात्रा को विशेष महत्व हासिल है। एक टीकाकार अब्बास फ़य्याज़ का कहना है कि अफ़ग़ानिस्तान को लेकर अमरीका, पाकिस्तान के साथ सहयोग का इच्छुक है। हालांकि इस समय ज़ाहिरी तौर पर तो अमरीका, अफ़ग़ानिस्तान में मौजूद नहीं है किंतु एसा लगता है कि वह किसी न किसी बहाने से फिर से वहां पर अपनी उपस्थति का इच्छुक है जिसके लिए उसको अफ़ग़ानिस्तान के इस पड़ोसी देश की फिर ज़रूरत होगी।
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