तालेबान ने पैदा की पाकिस्तान के लिए एक नई समस्या
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के सूचनामंत्री ने "कुनर" नदी पर तालेबान द्वारा बांध बनाने के फैसले को इस्लामाबाद के विरुद्ध शत्रुतापूर्ण कार्यवाही बताया है।
कुनर नदी उत्तरी पाकिस्तान और पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान के बीच स्थित है। तालेबान का यह निर्णय, अफ़ग़ानिस्तान के पलायनकर्ताओं को पाकिस्तान से निकालने के फैसले पर बदले की कार्यवाही के रूप में है।
हाल ही में तालेबान के ऊर्जा मंत्री अब्दुल्लतीफ़ मंसूर ने घोषणा की है कि कुनर नदी के जल संचालन की समीक्षा पूरी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि बहुत जल्द ही इस नदी पर बांध बनाया जाएगा। पिछले ढाई वर्षों से जबसे तालेबान ने अफ़ग़ानिस्तान में सत्ता पुनः संभालने के बाद अपने पड़ोसी देशों के विरुद्ध पानी को लेकर एक नया झगड़ा शुरू कर दिया है। यह सारे ही देश तालेबान के नए फैसले को लेकर नाराज़ हैं।
इस बारे में पाकिस्तान के सूचना मंत्री अचकज़ई ने कहा है कि अगर तालेबान, पाकिस्तान को दृष्टिगत रखे बिना ही कुनर नदी पर बांध बनाने की कार्यवाही करते हैं तो उनको इसके बुरे परिणाम भुगतने होंगे। उनका यह वक्तव्य इस अर्थ में है कि पाकिस्तान इस विषय को हल्के में नहीं ले रहा है और तालेबान के इस फैसले के मुक़ाबले में खड़ा हो सकता है। इस संबन्ध में राजनीतिक मामलों के एक टीकाकार मुर्तुज़ा हैदर कहते हैं कि इस्लामी गणतंत्र ईरान, उज़बेकिस्तान और अब पाकिस्तान के साथ पानी के मुद्दे को लेकर तालेबान, चुनौतियां पैदा कर रहा है। उसके इस काम से अभी तक किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सका है बल्कि यह संकट अधिक जटिल होता जा रहा है।
इसी तरह की समस्या तालेबान ने "आमू दरिया" नामक नदी पर बांघ बनाने के फैसले से उत्पन्न कर दी है। तालेबान के इस फैसले पर केन्द्रीय एशियन देशों विशेषकर उज़बेकिस्तान ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उज़बेकिस्तान का मानना है कि तालेबान, उन नदियों के बारे में अन्तर्राष्ट्रीय नियमों का पालन नहीं कर रहा है जो कई देशों से होकर गुज़रती हैं। इस बात के दृष्टिगत कि अफ़ग़ानिस्तान, अपने कई पड़ोसी देशों के नदियों के संबन्ध में अपस्ट्रीम देश है, एसे में किसी भी नदी पर स्वेच्छा से बांध बनाने के लिए तालेबान, अन्तर्राष्ट्रीय नियमों को अनदेखा नहीं कर सकते।
पाकिस्तान ने जो कुनर नदी पर तालेबान की ओर से बांध बनाने के फैसले की निंदा की है वह भी इसीलिए है क्योंकि इस काम से पाकिस्तान की सिंद नदी का प्रवाह प्रभावित होगा। यही कारण है कि पाकिस्तान का कहना है कि तालेबान को चाहिए कि वह राजनीतिक मामलों को पानी की निकासी या उसके वितरण जैसे विषय से नहीं मिलाना चाहिए क्योंकि संयुक्त नदियों के पानी के बहाव को रोकने या उसमे बाधाएं डालने के क्षेत्र के एको सिस्टम पर बहुत ही बुरे प्रभाव सामने आएंगे।
हालांकि तालेबान के बारे में यह कहा जाता है कि वह 90 के दशक में पाकिस्तान, अमरीका, ब्रिटेन, सऊदी अरब और यूएई के आपसी सहयोग की देन है जो अब अपने ही शुभचिंतकों की आंखों में खटकने लगा है।