मनुष्य के लिए हमेशा के लिए नहीं है यह संसार
इंसान इस बात को समझे कि यह दुनिया परीक्षा का स्थान है।
पार्सटुडे-पवित्र क़ुरआन के एक व्याख्याकार अंसारी बताते हैं कि ईश्वर की परंपरा, इस दुनिया में मनुष्य के अमर न होने पर आधारित है।
उस्ताद मुहम्मद अली अंसारी के अनुसार पवित्र क़ुरआन के 21वें सूरे "अंबिया" की 35वीं आयत में कहा गया है कि हर हंसान को मौत का मज़ा चखना है। हम तुमको मुसीबत और राहत में इम्तेहान के लिए आज़माते हैं। अंततः तुम हमारी ही ओर पलटाए जाओगे।
पवित्र क़ुरआन की इस आयत में कुछ बिंदुओं की ओर इशारा किया जा सकता है। आयत में बिना किसी अपवाद के हरएक के लिए मौत की बात कही गई है। आयत कहती है कि हर इंसान, मौत का मज़ा चखेगा।
हर इंसान के लिए मौत के क़ानून के बाद यह सवाल पैदा होता है कि इस अस्थाई जीवन के लक्ष्य क्या है, और इसका क्या फ़ाएदा है?
इसी संदर्भ में पवित्र क़ुरआन आगे कहता है कि मुसीबत और राहत में हम तुमको आज़माते हैं अर्थात तुम्हारी परीक्षा लेते हैं और आख़िर में तुमको पलटकर हमारी ओर ही आना है।
वास्तव में क़ुरआन का जवाब यह है कि इंसान की अस्ली जगह यह दुनिया नहीं है बल्कि कोई दूसरी जगह है। क़ुरआन के अनुसार तुम यहां पर केवल इम्तेहान देने के लिए आते हो। इम्तेहान देने और आवश्यक विकास करने के बाद तुम अपनी अस्ली जगह पर वापस चले जाओगे।
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