क्या ग़ाज़ा में हो रही घटनाएँ आख़िरी ज़माने की अलामत हैं?
https://parstoday.ir/hi/news/world-i139332
पार्स टुडे - ईरान में महदवियत अर्थात इमाम महदी अलै. के आगमन के विशेषज्ञ ने अंतिम समय की विशेषताओं और ग़ाज़ा की वर्तमान स्थिति के साथ उसके मेल को लेकर कहा: कई संकेत, जिनमें शासकों का अत्याचार, अकाल और ग़ाज़ा में युद्ध शामिल हैं, पूरे हो चुके हैं, लेकिन हदीसों में ज़ोर दिया गया है कि इमाम महदी अलै. का ज़ुहूर तब होगा जब पूरी दुनिया में भ्रष्टाचार फ़ैल जाएगा।
(last modified 2025-08-04T14:08:20+00:00 )
Aug ०४, २०२५ १५:०९ Asia/Kolkata
  • ग़ाज़ा में विनाश व तबाही की एक तस्वीर
    ग़ाज़ा में विनाश व तबाही की एक तस्वीर

पार्स टुडे - ईरान में महदवियत अर्थात इमाम महदी अलै. के आगमन के विशेषज्ञ ने अंतिम समय की विशेषताओं और ग़ाज़ा की वर्तमान स्थिति के साथ उसके मेल को लेकर कहा: कई संकेत, जिनमें शासकों का अत्याचार, अकाल और ग़ाज़ा में युद्ध शामिल हैं, पूरे हो चुके हैं, लेकिन हदीसों में ज़ोर दिया गया है कि इमाम महदी अलै. का ज़ुहूर तब होगा जब पूरी दुनिया में भ्रष्टाचार फ़ैल जाएगा।

ईरान में महदवियत के विशेषज्ञ हुज्जतुल इस्लाम यूसुफ़ी रास्तगू ने कहा: कई संकेत, जिनमें शासकों का अत्याचार, अकाल और ग़ाज़ा में युद्ध शामिल हैं, पूरे हो चुके हैं, लेकिन हदीसों में जोर दिया गया है कि अंतिम समय में इमाम ज़मान अलै. का ज़ुहूर तब होगा जब पूरी दुनिया में भ्रष्टाचार फ़ैल जाएगा। इसलिए ग़ाज़ा की घटनाएँ इमाम ज़मान अलै. के ज़ुहूर की पृष्ठभूमि हो सकती हैं, लेकिन ज़ुहूर के समय को निर्धारित करने को नकार दिया गया है।

 

पार्स टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, हुज्जतुल इस्लाम यूसुफ़ी रास्तगू ने "इक़ना" के साथ बातचीत में आगे कहा: ग़ाज़ा में ज़ायोनी शासन का क़ब्ज़ा अत्याचारियों के वर्चस्व का स्पष्ट उदाहरण है, नागरिकों की हत्या, घरों के विनाश और खाद्य नाकाबंदी जिसने अकाल को जन्म दिया है। दूसरी ओर, ग़ाज़ा के प्रतिरोध के विरुद्ध वैश्विक नैतिक नाकामी भी सामने आयी है।

 

यूसुफ़ी ने कहा: वर्तमान परिस्थितियों में मोमिनों का कर्तव्य अच्छाई का आदेश देना और बुराई से रोकना, ग़ाज़ा के अत्याचारों को उजागर करना और अत्याचार का विरोध करना, सच्ची प्रतीक्षा की भावना को मज़बूत करना है। इमाम सादिक (अ.स.) का फ़रमान है: "फ़रज अर्थात इमाम के आगमन व ज़ुहूर की प्रतीक्षा स्वयं एक फ़र्ज़ है यानी पुण्य कर्मों के साथ ज़ुहूर की पृष्ठभूमि तैयार करनी चाहिए।

 

इस महदवियत विशेषज्ञ ने आगे ज़ोर देकर कहा: इस आधार पर आज ग़ाज़ा अंतिम समय के संकेतों का एक दर्पण व आइना है - वैश्विक अत्याचार, मोमिनों का प्रतिरोध और व्यवस्थित भ्रष्टाचार लेकिन ये घटनाएँ जरूरी नहीं कि ज़ुहूर की निकटता का संकेत हों, बल्कि ये निरंतर तैयारी और एलाही कर्तव्यों के पालन के लिए एक चेतावनी हैं। जैसा कि हदीसों में जोर दिया गया है कि यह ज़ुहूर तब होगा जब दुनिया अत्याचार के चरम में डूबी होगी और उस समय "हक़ आएगा और बातिल नष्ट हो जाएगा।" mm