बहरैनी धर्मगुरु के समर्थन में नाइजीरिया से आवाज़ उठी
(last modified Sun, 25 Dec 2016 05:22:49 GMT )
Dec २५, २०१६ १०:५२ Asia/Kolkata
  • 23 दिसंबर 2016 को उत्तरी नाइजीरिया के कानू शहर में शैख़ ईसा क़ासिम के समर्थन में आयोजित प्रदर्शन की तस्वीर
    23 दिसंबर 2016 को उत्तरी नाइजीरिया के कानू शहर में शैख़ ईसा क़ासिम के समर्थन में आयोजित प्रदर्शन की तस्वीर

बहरैन के वरिष्ठ शिया धर्मगुरु शैख़ ईसा क़ासिम के समर्थन में सैकड़ों की संख्या में नाइजीरियाई नागरिकों ने प्रदर्शन किया।

आले ख़लीफ़ा शासन ने शैख़ ईसा क़ासिम की नागरिकता रद्द कर दी और उन्हें अदालत में हाज़िर होने के लिए सम्मन भेजा है।

शुक्रवार को नाइजीरिया के दूसरे सबसे बड़े शहर कानू में जुमे की नमाज़  बाद लोगों ने रैली निकालकर 79 साल के बहरैनी धर्मगुरु के प्रति समर्थन दर्शाया और उनके समर्थकों के ख़िलाफ़ दमनकारी कार्यवाही की निंदा की।

रैली में शामिल लोगों के हाथों में शैख़ ईसा क़ासिम और जेल में बंद इस्लामी मूवमंट इन नाइजीरिया के नेता शैख़ इब्राहीम ज़कज़की की तस्वीरें थीं।

इस्लामी मूवमंट इन नाइजीरिया के प्रवक्ता शैख़ अब्दुल क़ादिर सनूसी ने कहा, “हम यहां इसलिए जमा हुए हैं ताकि बुधवार को शैख़ ईसा क़ासिम के घर के बाहर धरने पर बैठे लोगों पर बहरैनी शासन के हमले की भर्त्सना करें।” बुधवार को बहरैन की राजधानी मनामा के पश्चिमोत्तर में स्थित दिराज़ गांव में शैख़ ईसा क़ासिम के घर के बाहर धरना देने वालों पर आले ख़लीफ़ा शासन के सुरक्षा कर्मियों ने हमला किया।

नाइजीरिया की जनता ने शैख़ ईसा क़ासिम की नागरिकता रद्द होने और शिया मुसलमानों के जारी दमन की भी भर्त्सना की।

आले ख़लीफ़ा शासन ने शैख़ ईसा क़ासिम के ख़िलाफ अवैध फ़न्ड इकट्ठा करने, काले धन को सफ़ेद करने और आतंकवाद का समर्थन करने का आरोप लगाया है जिसे उन्होंने कड़ाई से रद्द किया है।

20 जुलाई को आले ख़लीफ़ा शासन ने शैख़ ईसा क़ासिम की नागरिकता ख़त्म कर दी जो बहरैन के भंग किए गए सबसे बड़े विपक्षी दल अलवेफ़ाक़ के अध्यात्मिक गुरु हैं। (MAQ/N)

 

 

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