क्रिसमस बाज़ारवाद का शिकारः पोप
ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने कहा है कि क्रिसमस अब बाजारवाद भारी पड़ चुका है। उन्होंने कहा कि क्रिसमस, सामानों की चमक-दमक और उनकी ख़रीद का शिकार बनकर रह गया है।
क्रिसमस की पूर्व संध्या पर वेटिकन में दिए गए अपने वार्षिक भाषण में पोप ने कहा कि अब लोग बाज़ार और खरीदारी में इतने अंधे हो गए हैं कि उन्हें भूखों, प्यासों और ज़रूरतमंदों का ख्याल भी नहीं आता है। यह बात पोप ने क्रिसमस के मौके पर वेटिकन में जमा हुए हज़ारों लोगों की भीड़ को संबोधित करते हुए कही। पोप ने साफ शब्दों में कहा कि बाज़ारवाद ने क्रिसमस को एक प्रकार से बंधक बना लिया है। पोप फ्रांसिस ने कहा कि हमें क्रिसमस को बाजारवाद के चंगुल से निकालना होगा।
पोप ने कहा कि दुनिया उपहारों, त्योहार की चमक-दमक और अपने बारे में सोचने की आदत की शिकार हो गई है। उन्होंने कहा कि लोगों को विनम्रता सीखने की जरूरत है। पोप ने आगे कहा, 'अब क्रिसमस एक दावत की शक्ल में बदल गया है। इस दावत में हमारा जोर हमारी अपनी खुशियों पर होता है। जब बाजार की रोशनी हमपर हावी हो जाती है और हमारा ध्यान उपहारों पर ज्यादा होता है, तो हम गरीबों और वंचितों के प्रति उदासीन हो जाते हैं। हमें उनकी तकलीफों से कोई फर्क नहीं पड़ता।
ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने कहा है कि अमीरों को यह याद दिलाना पड़ता है कि क्रिसमस, विनम्रता और सादगी का संदेश देने वाला त्योहार है। पोप ने आगे कहा कि वर्तमान समय में क्रिसमस, एक दावत की शक्ल में बदल गया है।
ज्ञात रहे कि नवीनतम आंकड़ों के अनुसार इस समय दुनिया में लगभग 1 अरब 20 करोड़ ईसाई रहते हैं।