रोहिंग्याई शरणार्थियों को निर्जन द्वीप में स्थानान्तरित करने का बांग्लादेश का फ़ैसला
बांग्लादेश की सरकार ने फ़ैसला किया कि इस देश में शरण लेने वाले रोहिंग्या मुसलमानों की कुछ संख्या को एक निर्जन द्वीप में स्थानान्तरित किया जाएगा।
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शैख़ हसीना वाजिद ने इस बात की घोषणा करते हुए कहा कि बंगाल की खाड़ी के एक निर्जन द्वीप में रोहिंग्याई शरणार्थियों को कुछ समय के लिए स्थानान्तरित किया जा रहा है। हालांकि शैख़ हसीना के एक सलहकार ने नाम ज़ाहिर न करने की शर्त पर बताया कि यदि शरणार्थियों को इस द्वीप में पहुंचा दिया गया तो फिर उनकी बांग्लादेश वापसी की कोई संभावना नहीं रहेगी।
बांग्लादेश की सरकार इससे पहले भी रोहिंग्या शरणार्थियों को ग़ैर आबाद द्वीप में स्थानान्तरित करने की बात कह चुकी है जिस पर विश्व स्तर पर विरोध जताया गया था। हालांकि ढाका सरकार अपने इस फ़ैसले से चाहती है कि विश्व समुदाय को रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्या हल करने की ओर उन्मुख करे लेकिन सच्चाई यह है कि सरकार का यह फ़ैसला इस समस्या के समाधान का उचित रास्ता नहीं है। इसलिए कि रोहिंग्या मुसलमान पहले ही बड़े पीड़ित और दुखी हैं इन हालात में उन्हें ग़ैर आबाद द्वीप में भेज देना उनकी समस्याएं और बढ़ाने वाला क़दम होगा। बांग्लादेश की सरकार को चाहिए कि अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के माध्यम से यह प्रयास करे कि रोहिंग्या शरणार्थियों की सुरक्षित म्यांमार वापसी और उन्हें म्यांमार में पुनः बसाए जाने की कोई रास्ता निकले।
शरणार्थियों के मामले में संयुक्त राष्ट्र संघ के विशेषज्ञ मार्क पेरिस का कहना है कि रोहिंग्या शरणार्थी भुखमरी का शिकार हैं, उनके पास खाना और दवाएं नहीं हैं। यदि उनकी तत्काल मदद न की गई तो एक मानव त्रासदी उत्पन्न हो सकती है।
इसका मतलब यह है कि म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों की समस्या हल करवाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयासों की ज़रूरत है।
बांग्लादेश में इस समय 8 लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों ने शरण ले रखी है। वास्तव में यह अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं और विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र संघ की बहुत बड़ी विफलता है कि बड़े पैमाने पर रोहिंग्या मुसलमानों के जनसंहार को रोक पाने में वह पूरी तरह विफल साबित हुई है।