क्या ट्रम्प जाते जाते कोई नई जंग छेड़ने जा रहे हैं ? किसके ख़िलाफ़...
इस्राईल और सऊदी अरब का साफ़ मैसेज बाइडन के लिए
अमरीकी अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्ज़ ने एक रिपोर्ट छापी थी कि राषट्रपति ट्रम्प ईरान के किसी परमाणु प्रतिष्ठान पर हमले के लिए, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की टीम से सलाह मशविरा किया है। फिर अमरीकी और इस्राईली मीडिया में, इस्राईली प्रधान मंत्री के सऊदी अरब के दौरे के तुरंत बाद रिपोर्ट छपी कि ईरान पर संभावित अमरीकी हमले और ईरान की जवाबी कार्यवाही के मद्देनज़र, इस्राईली नेतृत्व ने सेना को तय्यार रहने का निर्देश दिया है। ये ख़बरे क्षेत्र में एक ख़तरनाक सिनेरियो पेश कर रही हैं और इन सब ख़बरों के तार एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
सबसे पहले अमरीकी विदेश मंत्री का पश्चिम एशिया का दौरा और इस दौरान सऊदी अरब के नए बसाए गए तटवर्ती शहर न्योम में सऊदी युवराज बिन सलमान से इस्राईली प्रधान मंत्री बिन्यामिन नेतनयाहू की होने वाली मुलाक़ात। हालांकि सऊदी विदेश मंत्री इस मुलाक़ात को रद्द करते हैं लेकिन इस्राईली प्रधान मंत्री का कार्यालय इस ख़बर की पुष्टि करने के बजाए मूक दर्शक बना हुआ है।
अमरीका, इस्राईल और सऊदी अरब के तीन नेताओं की मुलाक़ात पर, जो सऊदी शासन के मुताबिक़, नहीं हुयी, इस्राईली और अमरीकी रिपोर्टर्ज़ का कहना है कि इस मुलाक़ात का केन्द्र बिन्दु ईरान था। हालांकि इस मुलाक़ात में सऊदी-इस्राईल संबंध को सामान्य लाने पर भी बात हुयी लेकिन फ़ौरन कोई सहमति नहीं बन पायी, लेकिन इस दौरे से कई बड़े लक्ष्य साधने की कोशिश की गयी।
इस्राईली प्रधान मंत्री 4-5 घंटे सऊदी अरब की भूमि में मौजूद रहे, इसलिए इस बात की जिज्ञासा पैदा हुयी कि इस लंबी मुलाक़ात में किन किन बिन्दुओं पर चर्चा हुयी होगी। सभी सूत्र एक बिन्दु पर सहमत थे कि इस मुलाक़ात का केन्द्र बिन्दु ईरान था लेकिन योजनाएं क्या थीं इस पर रिपोर्टिंग अलग अलग तौर पर हुयी।
एक और बात जिस पर सभी मीडिया हाउस की रिपोर्टों में सामान्य बिन्दु नज़र आया वह यह कि इस मुलाक़ात में ईरान पर हमले पर भी चर्चा हुयी ताकि जो बाइडेन को 2015 के परमाणु समझौते में वापस होने से रोका जा सके। यही ट्रम्प प्रशासन का भी लक्ष्य है।
इस मुलाक़ात में बाइडन सरकार के लिए साफ़ मैसेज था कि क्षेत्र में अमरीका के दो घटक, ईरान के मामले में उनकी पुरानी नीति का साथ नहीं देंगे।
नेतनयाहू वाइट हाउस की सहमति से पश्चिमी तट का 30 फ़ीसद हड़पने को तय्यार थे लेकिन, बाइडन की टीम ने अरब जगत में जॉर्डन के शासक से संपर्क बना कर यह इशारा दिया कि वह 2 स्टेट के हल को वरीयता देंगे और इस्राईल को पहले जैसी खुली छूट नहीं होगी।
ताज़ा घटना ईरानी वैज्ञानिक मोहसिन फख़्रीज़ादे की तेहरान के उपनगरीय भाग में हत्या है। अस्ल में इस्राईल इस हत्या के ज़रिए ईरान को किसी ऐसी कार्यवाही के लिए उकसाने की कोशिश कर रहा है जिससे क्षेत्र में कोई नई जंग छिड़ जाए और बाइडन प्रशासन आते ही परमाणु बातचीत के बजाए इस लड़ाई में उलझ जाए। ईरान ने हालांकि बदला लेने का एलान किया है लेकिन ईरान ऐसे किसी क़दम से बचेगा जिससे खुली जंग छिड़ने का खतरा हो।
साभार डान न्यूज़, पाकिस्तान