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रोहिंग्या त्रास्दी

Oct १६, २०२१ १३:०३ Asia/Kolkata
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    लोकतंत्र की प्रतीक आंग सान सू ची भी मुसलमानों के ख़िलाफ़ हुईं, उनकी नज़रों के सामने मांओं की गोद सूनी होती गयी और ख़ानदान बर्बाद होते रहे लेकिन...
    म्यांमार की राजनीतिक पार्टी नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी की नेता और इस देश में लोकतांत्रिक आंदोलन का प्रतीक समझे जाने वाली आंग सान सू ची द्वारा म्यांमार सेना और बौद्ध चरमपंथियों के हाथों रोहिंग्या मुलमानों की नस्लकुशी का समर्थन किया।
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    क्या रहा बड़े संगठनों का योगदान, क्यों चूक गए ओआईसी और आसेआन? क्या सूकी को ख़ामोशी की सज़ा अब मिल रही है?
    म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के जनसंहार और उनके विस्थापन की ओर से लापरवाही बरतने वाला एक महत्वपूर्ण संगठन आसेआन भी है। इसके अलावा ओआईसी और दक्षेस भी इसी प्रकार के संगठनों में  शामिल हैं।
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    रोहिंग्या त्रासदी-: क्या रहा बड़े संगठनों का योगदान, क्यों चूक गए ओआईसी और आसेआन? क्या सूकी को ख़ामोशी की सज़ा अब मिल रही है?
    म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के जनसंहार और उनके विस्थापन की ओर से लापरवाही बरतने वाला एक महत्वपूर्ण संगठन आसेआन भी है। इसके अलावा ओआईसी और दक्षेस भी इसी प्रकार के संगठनों में  शामिल हैं।
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    रोहिंग्या त्रासदी-9ः भयानक मानव त्रासदी जिसने सारी दुनिया को हिला कर रख दिया... त्रासदी के कुछ अन्य पहलुओं पर एक नज़र
    इस बात के पर्याप्त सबूत मौजूद हैं कि म्यांमार की सेना और सरकार ने रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों के मूल अधिकारों का व्यापक रूप से यथासंभव हनन किया है।
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    कार्यक्रम रोहिंग्या त्रास्दी 8ः रोहिंग्या मुसलमानों और बहुसंख्यक बौद्धों के बीच टकराव की क्या है वजह? अगर म्यांमार की सेना का अस्ल मक़सद रोहिंगयाओं की ज़मीन पर क़ब्ज़ा करना नहीं था तो क्या था?
    इस सवाल के जवाब में कि क्यों म्यांमार की फ़ौज, चरमपंथियों और बौद्ध भिक्षुओं ने रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुसमलानों का नस्लीय सफ़ाया किया है, विभिन्न दृष्टिकोण पेश किए गए हैं। कुल मिलाकर इसके लिए आर्थिक, राजनीतिक और धार्मिक कारणों का उल्लेख किया गया है।
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    कार्यक्रम रोहिंग्या त्रास्दी-7ः म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के जातीय सफाए के पीछे के कुछ ऐसे कारण जिन्हें जानकर आप रह जाएंगे हैरान!
    रोहिंग्या के मुसलमानों को कई बार विस्थापन और बौद्ध कट्टरपंथियों के हमलों की वजह से अपना घर बार छोड़ना पड़ा लेकिन सन 2011 और सन 2017 में यह त्रासदी इतनी भयानक थी कि उसकी कुछ जानकारियां जो मिल पायी हैं वही इन्सान का दिल दहला देने के लिए काफी हैं।
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    रोहिंग्या त्रासदी-6 राख़ीन के तेल और उसकी स्टैटिजिक स्थिति पर चीन की नज़र, अमरीका चीन को घेरने की कोशिश में...
    रोहिंग्या त्रासदी, मुसलमानों की ही नहीं, बल्कि पूरी इंसानियत की संवेदनहीनता का पता देती है।
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    कार्यक्रम रोहिंग्या त्रास्दी-5ः म्यांमार के दर-दर भटकते मुसलमानों की इस दयनीय स्थिति के लिए सऊदी अरब क्यों है ज़िम्मेदार? राख़ीन से रियाज़ का क्या है संबंध? कुछ ऐसे सवाल जिसके जवाब मिलेंगे यहां
    सऊदी अरब उन देशों में शामिल है जिन्होंने म्यांमार में बड़े स्तर पर निवेश किया है। खास तौर पर राखीन प्रान्त में जो वास्तव में रोहिंग्या मुसलमानों का एतिहासिक ठिकाना है और जिनके अधिकांश लोगों को उनके गावों से निकाल दिया गया है और अब वे बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में ठोकरें खा रहे हैं। 
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    कार्यक्रम रोहिंग्या त्रास्दीः म्यांमार की सेना ने रोहिंग्या मुसलमानों का नरसंहार किया, उनकी ज़मीनों और संपत्तियों को ज़ब्त कर लिया लेकिन क्यों? रोहिंग्या से जुड़ी कुछ ऐसी बातें जो शायद आप नहीं जानते!
    म्यांमार की सेना ने रोहिंग्या मुसलमानों का नरसंहार किया और उनकी ज़मीनों और संपत्तियों को ज़ब्त कर लिया, और यह सब बहुत ही व्यवस्थित ढंग से किया गया। वास्तव में सेना द्वारा सरकार को सत्ता सौंपने के परिणाम स्वरूप, म्यांमार के ख़िलाफ़ लगे अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों को हटा लिया गया, जिसके बाद रोहिंग्याओं के नस्लीय सफ़ाए ने बेहद ख़तरनाक रूप धारण कर लिया।
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    कार्यक्रम रोहिंग्या त्रास्दी-3 म्यांमार सरकार की देश के मुसलमानों के ख़िलाफ़ साज़िश और कैसे जनसंख्या का तानाबाना बदला, दिल दहला देने वाले राज़... वीडियो
    1962 में म्यांमार के सैन्य जनरलों ने यू नू ( U Nu) या थाकिन नू की सरकार का तख़्तापलट दिया। तीन समुदायों शान, राखीन और रोहिंग्या के संयुक्त प्रतिरोध व आंदोलन के नतीजे में तैयार होने वाले संविधान को रद्द कर दिया।
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