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क़ुरआनी क़िस्से

Oct १४, २०२१ १६:०६ Asia/Kolkata
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  • क़ुरआनी क़िस्सेः सूरे बक़रा की आयत संख्या 62  हज़रत सलमान फ़ारसी के बारे में है, पैग़म्बरे इस्लाम के इस सहाबी के जीवन की दिलचस्प और पाठदायक कहानी
    इससे पहले हमने बताया कि सूरे बक़रा की आयत संख्या 62 पैग़म्बरे इस्लाम के सहाबी हज़रत सलमान फ़ारसी के बारे में है जिनका पुराना रूज़बे थे।
  • क़ुरआनी क़िस्सेः सूरे बक़रा की आयत संख्या 89 और 90 क्यों नाज़िल हुई, इसके पीछे क्या घटना है?
    सूरे बक़रा पवित्र क़ुरआन का दूसरा सूरा है।  यह क़ुरआन का सबसे बड़ा सूरा है।  सूरे बक़रा में कई विषयों के बारे में चर्चा की गई है।  इसकी आयत संख्या 89 व 90 का अनुवाद इस प्रकार हैः
  • क़ुरआनी क़िस्सेः इस्लाम के जियालों के भीतर शहादत की भावना बहुत अधिक थी जो उनके चेहरों से देखी जा सकती थी..
    इससे पहले की पोस्ट में हमने बताया था कि जब पैग़म्बरे इस्लाम को यह सूचना मिली कि एक बड़ी सेना ने मदीने की ओर कूच किया है तो उन्होंने अंसार के सभी गुटों को एकत्रित करके उनसे युद्ध में भाग लेने के बारे में पूछा। 
  • अहलेबैत के दुश्मन पर किस तरह आसमान से अज़ाब नाज़िल हुआ? क़ुरआन का एक दिलचस्प क़िस्सा
    सूरए अनफ़ाल की आयत संख्या 32 और 33 एक अहम घटना की तरफ़ इशारा करती हैं। इस घटना में एक व्यक्ति ने पैग़म्बर की ज़बानी अहलेबैत की तारीफ़ सुन कर ईश्वर से कहा कि अगर यह बात सही है तो उसके ऊपर आसमान से एक पत्थर गिरे और उसकी जान चली जाए।
  • क़ुरैश के सबसे धनी और अपने समय के सबसे बड़े शायर ने इस्लाम की दावत सुनकर क्या कहा?
    वलीद बिन मुग़ीरा नाम का व्यक्ति क़ुरैश क़बीले का पूंजीपति और पैसे वाला व्यापारी था।
  • क़ुरआनी क़िस्सेः हज़रत इब्राहीम अपनी पत्नी और बेटे को काबे के पास निर्जन स्थान पर छोड़कर चले गए!
    सूरे बक़रा की आयत संख्या 158 के नाज़िल होने की दास्तान बहुत दिलचस्प और पाठदायक है। इस आयत में सफा और मरवा का उल्लेख है। 
  • क़ुरआनी क़िस्सेः ईश्वर का आदेश आया और मुसलमान बैतुल मुक़द्दस के स्थान पर काबे की ओर मुंह करके नमाज़ पढ़ने लगे
    मुसलमान प्रतिदिन पांच बार नमाज़ पढ़ते हैं।  दुनिया भर के मुसलमान काबे की ओर मुंह करके नमाज़ पढ़ते हैं जो पवित्र नगर मक्के में है।  संसार में जितनी भी मस्जिदें पाई जाती हैं उन सबका रुख़ काबे की ओर होता है।
  • क़ुरआनी क़िस्सेः समय बीतने के साथ ही साथ सारे रंग फीके पड़ जाते हैं और उनका अंत हो जाता हैं सिवाए ईश्वरीय रंग के जो स्थायी और अनमिट है। 
    सूरए बक़रा एसा सूरा है जिसमें विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई है।  बक़रा की जिस आयत की हम चर्चा करने जा रहे हैं उसमें ईश्वरीय रंग के बारे में चर्चा की गई है।
  • क़ुरआनी क़िस्सेः सूरे बक़रा की आयत संख्या 207 एक महान बलिदान की बात करती है जिसमें एक इंसान ने दूसरे इंसान के लिए अपनी जान की बाज़ी लगा दी!  
    हम ऐसी घटना का ज़िक्र करने जा रहे हैं जो इस्लामी कैलेण्डर का आरंभिक बिंदु भी है और एक एतिहासिक बलिदान की महान गाथा भी। बलिदान एक भावना है। यह ऐसी सकारात्मक भावना है जो हर स्थिति में प्रशंसनीय है। 
  • क़ुरआन की सबसे ख़ूबसूरत कहानी कौन सी है? कहानियों का इतिहास क्या है?
    अज्ञानता के काल में जब लोग अपने दैनिक कामों से फ़ुरसत पाते थे तो वे किसी एक स्थान पर इकटठा होकर मनोरंजन किया करते थे।  एसे मे हर एक का यह प्रयास रहता था कि वह इस महफिल को जहां तक हो सके आकर्षक बनाए रखे। 
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