Aug २५, २०२१ १६:३२ Asia/Kolkata
  • फ़ातेमा मुक़ीमी, कई मैदानों में सफलता के झंडे गाड़ने वाली महिला

कामयाबी की हर किसी के लिए एक विशेष व्याख्या होती है लेकिन कुछ विशेषताएं ऐसी होती हैं जो लगभग सभी सफल लोगों में एक समान होती हैं जैसे दृढ़ता और लगन। 

आज हम आप की मुलाक़ात कराते हैं ईरान की एक सफल महिला उद्यमी से। सफलता की हर किसी के लिए एक निश्चित परिभाषा होती है लेकिन दृढ़ संकल्प और लगन ऐसी विशेषताएं हैं जो ज़्यादातर सफल लोगों में एक समान पाई जाती हैं। इंसान प्रबल भावना और जोश के बिना किसी भी काम को उसके अंजाम तक नहीं पहुंचा सकता, भले ही उसके पास ऐसा करने के लिए पर्याप्त कौशल और ज्ञान हो। ईरान ऐसी सभी महिलाओं पर गर्व करता है जो अपने निरंतर प्रयासों से समाज में प्रभावी भूमिका निभाना चाहती हैं। ऐसी सफल महिलाएं जिन्होंने अपने दृढ़ संकल्प के साथ, समाज में उच्च स्थान प्राप्त किया है और साथ ही बहुत सारी संपत्तियों और पूंजी की मालिक बनी हैं, ज़्यादातर वहीं महिलाएं हैं जो इस देश में पली-बढ़ी और समाज में अपनी एक अलग पहिचान बनाई है। आज ऐसी सभी सफल महिलाएं अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। सय्यदा फ़ातेमा मुक़ीमी एक सफल ईरानी उद्यमी हैं जो ईरान में आर्थिक क्षेत्र की बड़ी प्रभावशाली महिला उद्यमी हैं।

सय्यदा फ़ातेमा मुक़ीमी

 

सय्यदा फ़ातेमा मुक़ीमी का आर्थिक क्षेत्र में 35 वर्षों का अनुभव है। उनके पास व्यवसाय, प्रबंधन और निर्माण के विषय में स्नातक की डिग्री है। साथ ही उनके पास बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन ट्रांसफॉर्मेशन ओरिएंटेशन की मास्टर डिग्री भी है। उन्होंने मार्केटिंग में पीएचडी की और इंटरनेशनल उद्योग में भी पीएचडी की है। सय्यदा फ़ातेमा मुक़ीमी ईरान और इस्लामी दुनिया की शीर्ष महिला उद्यमियों में से एक हैं।

फ़ातेमा मुक़ीमी अंतर्राष्ट्रीय परिवहन कंपनी पंजीकृत करने वाली पहली ईरानी महिला हैं। वह एक सफल बिजनिस वूमेन हैं। श्रीमती मुक़ीमी पहली ऐसी महिला हैं कि जिन्होंने इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद हेवी गाड़ियों का ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त किया। सैय्यदा फ़ातेमा ईरानी टर्मिनल संगठन द्वारा चुनी गईं मॉडल मैनेजर भी हैं। वह एक विश्वविद्यालय की प्रोफेसर भी हैं और निश्चित रूप से, इस्लामी दुनिया की शीर्ष उद्यमी भी हैं, जिन्हें इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक द्वारा चुना गया है। बहुत से लोग सोचते हैं कि उन्हें जीवन में सफल होने के लिए विशेष परिस्थितियों जैसे धन, सुविधाएं और समर्थन की आवश्यकता होती है, लेकिन सफल लोगों के जीवन पर एक नज़र डालने से पता चलता है कि उनमें से कई न तो अमीर थे और न ही उनके लिए कोई ख़ास अनुकूल परिस्थिति थी।

सैय्यदा फ़ातेमा मुक़ीमी अब तक जिन पदों पर थीं या हैं वह इस प्रकार है। तीन बार अंतर्राष्ट्रीय परिवहन कंपनी संघ के निदेशक मंडल में सदस्य रहीं हैं। 12 वर्षों तक व्यापारियों की समस्याओं और शिकायतों का निपटारा करने वाले संघ की सदस्य और अध्यक्षा रहीं हैं। इसके अलावा ईरान की बहुत सी कंपनियों और विभागों से वह जुड़ी रही हैं। उनके लिए गर्व की बात यह है कि उन्होंने 95 प्रतिशत मामलों का हल शांति और सुलह के माध्यम से निकाला है। वह ईरान और विभिन्न देशों के बीच मैत्री संघों की सदस्य और नेशनल एसोसिएशन ऑफ वूमेन एंटरप्रेन्योर्स की सीईओ और उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर स्टडी एंड रिसर्च ग्रुप की सदस्य भी हैं।

 

सैय्यदा फ़ातेमा मुक़ीमी का मानना है कि एक व्यक्ति जो जोखिम लेने और अपने लिए विश्वास का एक चक्र बनाने की क्षमता रखता है निस्संदेह, वह दूसरों से एक क़दम आगे बढ़ सकता है। ईरानी महिलाओं की यह विशेषता है कि वे अपने आसपास के लोगों के समर्थन के महत्व को समझती हैं और उनकी क़द्र करती हैं। वे इस वास्तविक्ता को भली भांती जानती और समझती हैं कि उनकी सफलता में अन्य लोगों का भी योगदान है, उनकी सफलता अपने आप उन्हें नहीं मिली है। ऐसे लोग यह भी अच्छी तरह जानते हैं कि सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाएं कभी भी उन्हें उनके लक्ष्यों तक पहुंचने से नहीं रोक सकती हैं। ऐसे लोग इतने सक्षम होते हैं कि वह पूरी होशियारी और समझदारी के साथ समाज की सभी सीमित्ताओं और क़ानून के दायरे में रहते हुए उद्योग के क्षेत्र और रचनात्मकता में प्रगति करते रहते हैं।

सय्यदा फ़ातेमा मुक़ीमी के बारे में विभिन्न समाचार वेबसाइटों, समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में  फोटो, उनके साक्षात्कार और उनकी ख़बरें भरी पड़ी हैं। उनका कमरा भी प्रशंसा पत्रों और सर्टिफिकेटों से पटा पड़ा है। चेंबर ऑफ कॉमर्स की सातवीं मंज़िल पर उनके कमरे की बड़ी खिड़की के सामने प्रशंसा पत्र सजे हुए हैं। उनका लहजा स्पष्ट और मज़बूत है। कभी-कभी वह अपने कर्मचारियों के साथ थोड़ा हंसी मज़ाक करती है, लेकिन जल्द ही गंभीर हो जाती हैं। वह कहती हैं, मेरे प्रमुख और महत्वपूर्ण कामों में से एक यह था कि मैं शिपिंग कंपनी शुरू करने और चलाने के लिए लाइसेंस प्राप्त करुं और मैंने यह कर दिखाया और ऐसा करने वाली ईरान की पहली महिला बन गई। वह बताती हैं कि दो साल का समय लग गया लाइसेंस प्राप्त करने में। मुक़ीमी कहती हैं कि इस्लामी क्रांति से पहले, यह कोई नहीं सोचता था और न ही विश्वास करता था कि एक महिला ऐसा कर भी सकती है।

वर्ष 1979 में, 21 वर्षीय मुक़ीमी को परिवाहन और निर्माण के विषय पर डिग्री प्राप्त करने के बाद,  यह उम्मीद थी कि वह अपने क्षेत्र में काम कर सकेंगी, लेकिन उस वक़्त के बाज़ार के हालात और व्यापार की समस्याओं ने उन्हें एक कंपनी में अनुवादक बना दिया। उस कंपनी में ज़्यादा दिनों तक नहीं रुकीं, लेकिन कम समय के लिए ही सही उस कंपनी में रहने से उनमें इस काम की ओर रूची पैदा हो गई। वर्ष 1984 में, उन्होंने अपनी कंपनी पंजीकृत कराई। उन्होंने अपने पति के कार्यालय के एक कमरे से अपने काम की शुरुआत की। फ़ातेमा मुक़ीमी के छोटे से कार्यालय में उनको जानने वाले ड्राइवर आने जाने लगे थे। आज परिवहन के क्षेत्र में फ़ातेमा मुक़ीमी की कंपनी सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है।

वह काम जो दूसरों को कठिन और बहुत ही थका देने वाले लगते हैं उन कामों से मुक़ीमी को प्रेम है। उनका मानना है कि जब कोई इंसान किसी काम से प्रेम करने लगता है तो उस काम में आने वाली सभी समस्याएं और किठनाइयां अपने आप उसके लिए आसान हो जाती हैं। इस  के विपरीत कि बहुत सारे लोगों का यह मानना है कि ड्राइवर हिंसक या असभ्य हो सकते हैं, मेरा मानना है कि उनका व्यवहार महिलाओं के प्रति बहुत ही सकारात्मक है। इसका कारण यह है कि महिलाओं में धैर्य बहुत ज़्यादा होता है और उनका ड्राइवरों के साथ व्यवहार भी बिल्कुल अलग होता है। वह कहती हैं कि जब उनका ड्राइवर काम पर जाता था और एक दो महीनों के लिए अपने परिवार से दूर रहता था तो वह बहुत ही आसानी के साथ उसके परिवार वालों से अपना संपर्क बना लेती हैं। मुक़ीमी कहती हैं कि अगर मैं पुरुष होती तो कभी भी ड्राइवर की पत्नी से संपर्क नहीं साध सकती थी या उसको अगर किसी बात की ज़रूरत होती तो वह हमसे नहीं कह सकती थी इसलिए एक महिला होने के नाते मेरे पास दोहरा अवसर रहता है।

 

मुक़ीमी तनावपूर्ण वातावरण के बीच न्याय करने के काम में भी व्यस्त रहीं। विवाद समाधान कोर्ट में उन्होंने अपने कर्मचारियों के अधिकारों की प्राप्ति के लिए हर संभव प्रयास किया है। वह इस बारे में बताती हैं कि एक बार मुझे एक पैकेट मिला और मैंने उसे डर के साथ कांपते हाथों से खोला। उसमें एक प्राचीन तलवार थी जिसे इमाम अली (अ) की तलवार ज़ुल्फ़िक़ार के समान बनाया गया था। पैकेट पर लिखा हुआ था कि कोई भी मेरे केस को इतने इंसाफ़ के साथ हल नहीं कर सकता था सिवाए तुम्हारे। इसलिए मैं हज़रत अली (अ) की न्याय की निशानी ज़ुल्फ़िक़ार को आपको तोहफ़े के तौर पर दे रहा हूं।

फ़ातेमा मुक़ीमी का कहना है कि हर बार जब भी मेरे माता पिता मुझसे कहते थे कि तुमसे नहीं होगा, मेरा इरादा और भी पक्का हो जाता था। मैं अपने आपसे कहती थी कि इस काम पर मुझे विश्वास है कि मैं कर सकती हूं और मैं यह करके अपने माता पिता के सामने यह सिद्ध करुंगी कि मैं इस काम को कर सकती हूं। वह कहती हैं कि अगर आप अपने काम में स्वयं पर विश्वास रखेंगे तो ज़रूर आगे बढ़ेंगे और फिर देखेंगे कि आपके आसपास मौजूद समाज के लोग भी आपको मानने लगेंगे। उन्हें भी आप पर विश्वास हो जाएगा। ऐसा भी नहीं है कि आप लगातार ग़लतियां करते हैं और अपमान के साथ आगे बढ़ें। वह कहती हैं कि किसी को भी साहसिक कार्य में प्रवेश करने पर सकारात्मक कार्य करने में सक्षम होने के लिए ख़ुद को पर्याप्त रूप से मज़बूत करना होगा।"

श्रीमति मुक़ीमी एक सफल परिवारिक जीवन भी गुज़ार रही हैं। जब उनसे पूछा गया कि इतनी व्यस्तता के बाद भी कैसे आप अपने परिवार वालों, अपने बच्चों के लिए समय निकालती हैं और कैसे आप एक कामयाब बिज़नेस वूमेन के साथ साथ एक बेहतरीन मां बनी हैं। वह कहती हैं कि जीवन की अपनी दिनचर्या होती है, एक तरीक़ा होता है अगर ऐसा न हो तो न ही इंसान विवाह करेगा और न ही बच्चों को पैदा करेगा और न ही पढ़ाई करेगा। मुक़ीमी कहती हैं कि  पढ़ाई के समय मेरा विषय सिविल इंजीनियरिंग था लेकिन फिर मैंने कुछ वर्षों व्यवसाय प्रबंधन के विषय की पढ़ाई की और उसका अध्ययन किया। मैंने डबल एमए किया उसके बाद पीएचडी भी की। इसी तरह मैं लगातार आगे बढ़ती गई और कोई भी चीज़ मेरी बढ़ती हुई सामान्य ज़िन्दगी में रुकावट नहीं बन सकी। एक के बाद एक सफलता को प्राप्त करती गई और हर बार एक नया लक्ष्य लेकर आगे बढ़ी।

सैय्यदा फ़ातेमा मुक़ीमी का मानना है कि सफलता के साथ जीवन गुज़ारने के लिए जो चीज़ सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है वह है आपकी योजना, आपने अपनी ज़िन्दगी को आगे बढ़ाने के लिए किस तरह की योजना तैयार की है? फ़ातेमा मुक़ीमी कहती हैं कि अगर आप अपने जीवन को योजनाबद्ध तरीक़े से आगे बढ़ाएंगे तो आप सभी कामों को कर सकते हैं। वह कहती हैं कि मुझे इस बात पर विश्वास नहीं है कि आप एक ही काम पर सारा ध्यान दें और केवल उसको ही अंजाम तक पहुंचाएं और उसके बाद आप किसी दूसरे काम की ओर आगे बढ़ें। श्रीमति मुक़ीमी कहती हैं कि क्या आप जब आराम करते हैं तो खाना नहीं खाते हैं और जब खाना खाते हैं तो क्या आपकी आंखें काम नहीं करती हैं। वह कहती हैं कि यह मेरी आदत का हिस्सा बन गया है कि मैं एक समय में कई काम करूं।

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