Aug २८, २०२१ १८:१९ Asia/Kolkata
  • अवसाद की बहुत सारी क़िस्मे और उनके आसान इलाज

साइमागो वेइसाइट द्वारा की जाने वाली रैंकिंग में वर्ष 2016 में ईरान बायोटेक्नालाजी के क्षेत्र में दुनिया में एक पायदान आगे बढ़ा और इस तरह से वह दुनिया में 13वें स्थान को हासिल करने में कामयाब रहा। बायोटेक्नालाजी माइक्रो जीव विज्ञान की वह शाखा है जिसमें सूक्ष्मजीवों का विशेष औद्योगिक प्रक्रिया में उपयोग पर अध्ययन किया जाता है।

इस दर्जेबंदी में मध्यपूर्व के देशों में ईरान जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शोधपत्रों के उत्पादन में पहले नंबर पर रहा जबकि तुर्की, सऊदी अरब और मिस्र क्रमशः दूसरे से चौथे नंबर पर हैं।  साइमागो वेबसाइट की ओर से जारी रैंकिंग की बुनियाद पर चीन, इस क्षेत्र में दुनिया में पहला देश है उसके बाद अमरीका, भारत, दक्षिणी कोरिया जैसे देशों का नंबर आता है।

शरीफ़ टेक्निकल युनिवर्सिटी

 

आपको यह भी बताते हुए ख़ुशी हो रही है कि 2012 से 2017 के बीच के वर्षों में ईरान की शरीफ़ टेक्निकल युनिवर्सिटी के दो शोधकर्ताओं के शोधपत्रों ने ख़ूब धूम मचाई और सबसे ज़्यादा प्रकाशित और पढ़े जाने वाले शोधपत्रों के रूप में पहचाने गये। Transportation Research:Part E नामक पत्रिका में यह शोधपत्र छपे हैं। यह पत्रिका परिवहन के क्षेत्र में सबसे विश्वसनीय और मान्यता प्राप्त पत्रिकाओं में से है। इस शोधपत्र ने इसी साल अन्य शोधपत्रों में दसवां दर्जा हासिल किया जबकि उसके बाद के साल में इससे पहली पोज़ीशन हासिल करके रिकार्ड क़ायम कर दिया।

 

इस शोधपत्र को तैयार करने वाले एक शोधकर्ता का कहना है कि जब भूकंप आता है तो घटना स्थल तक पहंचने और लोगों को मदद पहुंचाने की आवश्यकता होती है। इन कठिन और जटिल परिस्थितियों में सहायता करने वाली संस्थाओं और संगठनों को अधिक ज़िम्मेदारी के साथ अच्छे नतीजे हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए।

इन कठिन हालात में सहायता करने वाली संस्थाएं और संगठन संकट के स्थान या सही घटना स्थल पर नहीं पहुंच पाते जिसकी वजह से उनका काम बहुत अधिक प्रभावित हो जाता है और उनके कार्यक्रम अधूरे रह जाते हैं।  इस शोधपत्र में ज़्यादा से ज़्यादा प्रभावी ढंग से काम करने के उपाय और कारणों पर रोशनी डाली गयी है।

 

अवसाद या डिप्रेशन किन कारणों से होता है?  जैविक, आनुवांशिक, मनोसामाजिक, जैव रासायनिक असंतुलन के कारण अवसाद हो सकता है। अवसाद के भौतिक कारण भी अनेक हैं जैसे कुपोषण, आनुवांशिकता (Heriditory) हॉर्मोन, मौसम, तनाव, बीमारी, नशा, अप्रिय स्थितियों में लंबे समय तक रहना, पीठ में तकलीफ आदि इसके प्रमुख कारण हैं। 90 प्रतिशत अवसाद के मरीज़ नींद की समस्या से ग्रस्त होते हैं। अपने ढंग से न जी पाना और बहुत अधिक महत्वाकांक्षी होना जिसके नतीजे में इच्छाओं की पूर्ति न हो पाना अवसाद को जन्म देता है। कोई हादसा या प्रिय जन से बिछड़ जाना भी डिप्रेशन को जन्म दे सकता है।

एक बड़ा कारण समाज में फैली यह आशंका भी है, कि 'लोग क्या कहेंगे'  हमारे मन में इस गहरी आशंका ने नजाने कितने मनोविकारों को जन्म दिया है। अपना जीवन साथी अपनी आजीविका, करियर अपनी पसंद से ना चुन पाना एक बड़ा कारण है तनाव व दुख का जो आगे चल के अवसाद का रुप ले लेता है।

अब सवाल यह पैदा होता है कि अवसाद या डिप्रेशन के कितने प्रकार हैं। इसकी पहली क़िस्म मेजर डिप्रेशन है। इस स्थिति में व्यक्ति का मिज़ाज बदलते रहता है। यह व्यक्ति की दैनिक गतिविधियों और व्यक्तिगत सम्बन्धों पर भी प्रभाव डालता है।

 

दूसरी क़िस्म बाई पोलर डिसआर्डर है। इसे मैनिक डिप्रेशन भी कहते हैं। चिड़चिड़ापन, ग़ुस्सा, मतिभ्रम जैसी स्थिति इनमें पाई जाती है। एकदम निराश फिर अत्यधिक ख़ुश होना इनमे मुख्य है।

सायकलोथमिक डिसआर्डर यह तीसरे तरह का डिप्रेशन है जिसमें लक्षण सूक्ष्म से लगते हैं। इसमें माइल्ड डिप्रेशन और हिपोमानिया देखा जाता है। चौथा प्रकार डिस्थीमिक डिसऑर्डर है। इसमें मरीज़ को दो वर्ष या उससे अधिक समय तक डिप्रेशन अनुभव होता है। वह अपने आप को अस्वस्थ भी महसूस करता है तथा दैनिक कार्यों में भी कठिनाई महसूस करता है।

पांचवी क़िस्म पोस्टपार्टम डिप्रेशन है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन एक गम्भीर समस्या है जो बच्चे के जन्म के कुछ महीनो बाद माँ को हो सकती है। गर्भपात से भी महिला इस स्थिति में जा सकती है।

छठीं क़िस्म सीकोटिक डिप्रेशन है। यह एक बहुत ही गम्भीर समस्या है, इसमें लोग अन्य लक्षणों के साथ मतिभ्रम, तर्कहीन विचार, ऐसी चीज़ें देखना सुनना जो नहीं हैं के शिकार हो जाते हैं।

सातवीं क़िस्म अनाक्लिटिक डिप्रेशन है। यह नवजात शिशु में पाया गया है, जिसमें बच्चा किन्हीं कारणों से अपनी माँ से अलग होता है। माँ का प्यार ना मिलने से शिशु डिप्रेशन का शिकार हो जाता है।

आठवीं क़िस्म एटिपिकल डिप्रेशन है। यह युवाओं में पाया जाता है। इन मरीजों में कार्बोहाड्रेट क्रेविंग भी पायी जाती है। आख़िरी क़िस्म सीज़नल अफेक्टिव डिसऑर्डर है। यह मौसम के अनुसार होता है। आमतौर पर यह स्प्रिंग या सर्दियों में शुरू होता है और गर्मियों में ख़त्म हो जाता है।

अब सवाल यह पैदा होता है कि अवसाद का उपचार कैसे किया जाए?

भाग्यवश अवसाद का इलाज है, यह लाइलाज नहीं। यदि आपके आस-पास कोई भी व्यक्ति बताए गए 2-3 लक्षणों या अधिक से ग्रस्त है तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाएं। 2 हफ्ते से अधिक यदि कोई व्यक्ति दुखी या उदास है और खाना-पीना ठीक से न ले रहा हो तो वह अवसाद से ग्रसित हो सकता है। उसे डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। दवाइयाँ और मनोचिकित्सा एक साथ लेने से अधिक असर होता है।

अवसाद की समस्या गंभीर हो जाने पर डॉक्टर से सलाह करके उपचार करना जरुरी है। आहार, योग, प्राणायाम और ध्यान उपचार हेतु बहुत लाभदायक है और पूरी तरह इसे ठीक करने में सहायक है। इसी के साथ अन्य कारण जैसे कुपोषण और बीमारियाँ जो साथ में हैं उन्हें ठीक करना मुख्य होता है।

एक पुरानी कहावत है, जैसा खाये अन्न वैसा होवे मन। भोजन में ज़रुरी पोषक तत्व ना होने से अवसाद की स्थिति और बिगड़ जाती है। सही आहार अवसाद को ठीक करने में अति सहायक है। 70 से 90 प्रतिशत मनोविकारों में अच्छे आहार से लाभ मिलता है। एपिजीन में परिवर्तन करने वाले स्वास्थ्य दायक आहार का प्रयोग करें जिससे मन अच्छा रहेगा और नींद भी ठीक होगी जो कि आपकी कार्य क्षमता​ को बढ़ाएगी।

सिरोटोनिन को फील गुड हॉर्मोन कहते हैं जो आपके मन को अच्छा रखता है और अच्छी नींद में सहायक है। ट्रिप्टोफैन युक्त आहार जैसे चना इत्यादि सिरोटोनिन की मात्रा बढ़ाने में सहायक है।

इसके सहायक आहार क्या हैं?

विटामिन बी 12 और दूध, साबुत अनाज, ब्रोकली, बादाम, पालक, दालें, सप्लिमेंट्स इत्यादि को इसी तरह सेलेनियम युक्त आहार को डिप्रेशन के लक्षण घटाने में सहायक माना जाता है। जैसे साबुत अनाज और दालें आदि। ब्राउन राइस, ओट मिल और त्रिकोण फल में भी सेलेनियम पाया जाता है।

विटामिन डी जैसे सूरज की किरणें, सप्लिमेंट्स, जूस अनाज, ब्रेड इत्यादि, ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे बादाम, अखरोट, अलसी, आदि सप्लिमेंट भी ले सकते हैं।

एैंटीआक्सिडेंटस, ये हमारे शरीर में बन रहे फ्री रैडिकल्स से लड़के उन्हें खत्म करते हैं और खराब सेल बनने से रोकते हैं। विटामिन ई, विटामिन सी और विटामिन ए इसका मुख्य अंग है।

बीटा कैरोटीन, ब्रोकली, गाजर, पालक, शकरकंद, कद्दू, एैप्रीकोट इस समस्या को दूर करने में बहुत लाभदायक हैं। विटामिन सी से युक्त चीज़ें जैसे कीवी, टमाटर, ब्लू बेरी, ब्रोकली, अंगूर, संतरा, काली मिर्च, आलू, अवोकाएडो आदि से भी इस कठिनाई से मुक्ति हासिल करने में मदद मिलती है।

ज़िंक जैसे मक्का, साबित अनाज, बीन्स, नट्स आदि अथवा इसे सप्लिमेंट्स में लिया जा सकता है। प्रोटीन, यह अत्यधिक महत्वपूर्ण अंग है जीवन के लिए। बीन्स, मटर, चीज़, दूध दही, सोयाबीन आदि प्रोटीन के मुख्य तत्व हैं।

इसी तरह आप कुछ कुछ सामान्य आहार में परिवर्तन कर सकते हैं जैसे मैदे की जगह आप गेंहूं के आटे का प्रयोग करें ये अधिक हल्का होता है। चीनी की जगह शहद या गुड़ का प्रयोग करें। नट्स, बीन्स और फल एक साथ आहार में शामिल करें। ओटमिल को नाश्ते में शामिल करें। आर्टिफिशियल फ्लेवर की जगह दारचीनी, नटमेग या नेचुरल वेनिला का प्रयोग करना अच्छा होगा। लो फैट पनीर का प्रयोग उत्तम होगा, और भी बहुत कुछ हैं किंतु प्रयास करें ताज़ा और शुद्ध भोजन करें और सही समय पर भोजन कर लें।

रात का भोजन 8 और 9 बजे के बीच और दोपहर का 12 से 1 के बीच करने का प्रयास करें। घर के बाहर निकलें, प्रतिदिन सैर पर जाएं और व्यायाम को अपने जीवन में स्थान दें तनाव और अवसाद अपने आप आपसे दूर हो जाएगा।

एक महत्वपूर्ण बात याद रखें, इससे फर्क नहीं पड़ता आप कौन हैं, जीवन तब तक सही नहीं चलता जब तक आप सही चीजें नहीं करते। यदि आप सही परिणाम चाहते हैं तो सही कार्यों का चयन करें फिर जीवन हर दिन एक खूबसूरत चमत्कार से कम नहीं है। हमें अपने जीवन का चार्ज अथवा जिम्मेदारी लेनी होगी जिससे हमारे अन्दर की असीमित क्षमताएं निखर कर आएंगी और तनाव रहित जीवन बनाना आसान हो जाएगा।

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