May १५, २०१६ १६:३४ Asia/Kolkata
  • इस्लामोफ़ोबिया, अमरीका और उसकी घटक सरकारों की नीति का परिणामः वरिष्ठ नेता

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि इस्लामी राष्ट्र का महत्वपूर्ण दायित्व, अमरीकी नेतृत्व में जारी अज्ञानी प्रक्रिया का मुक़ाबला करना है।


आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने पैग़म्बरे इस्लाम (स) की पैग़म्बरी की घोषणा की वर्षगांठ के अवसर पर गुरूवार को तेहरान में अधिकारियों तथा इस्लामी देशों के राजदूतों से भेंट की। इस भेंट में उन्होंने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान, बेसत के अग्रदूत के रूप में स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी के उस मिशन को बड़ी शक्तियों के बिना किसी डर के आगे बढ़ाएगा जिसे उन्होंने शुरू किया था।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने पैग़म्बरे इस्लाम की पैग़म्बरी की घोषणा की वर्षगांठ के अवसर पर इस्लामी जगत को बधाई दी। उन्होंने पवित्र क़ुरआन और पैग़म्बरे इस्लाम के कथनों के प्रकाश में बेसत को परिभाषित करते हुए कहा कि यह, ईश्वर की बंदगी, न्याय, स्वतंत्रता और बुद्धिमानी के साथ अपने जीवन में और प्रकृति की ओर पलटने का दिन है। आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई ने कहा कि ईश्वरीय दूतों का दायित्व, प्रकृति की ओर मानव का मार्गदर्शन करना और एकेश्वरवाद के परिप्रेक्ष्य में ईश्वरीय आदेशों के बारे मेंं सोच विचार करना है।

उन्होंने कहा कि अज्ञानता का संबन्ध केवल पैग़म्बरे इस्लाम के काल से विशेष नहीं है बल्कि वर्तमान समय में यह प्रक्रिया, आधुनिक ढंग से विज्ञान और तकनीक की आड़ में साम्राज्यवादियों के माध्यम से जारी है।

उन्होंने कहा कि विश्व पर वर्चस्व जमाए बैठी ज़ायोनी प्रक्रिया ही शैतानी व्यवस्थाओं को बनाने का स्पष्ट उदाहरण है। वरिष्ठ नेता ने कहा कि विश्व की वर्तमान स्थिति, ज़ायोनी पूंजीनिवेशकों के क्रियाकलापों का परिणाम है जिनका अमरीकी सरकार पर वर्चस्व है।

वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस समय इस्लामोफ़ोबिया, ईरानोफ़ोबिया और शियों के विरुद्ध शत्रुता जैसी कार्यवाहियां, अमरीका और उसकी घटक सरकारों की नीति का परिणाम हैं।

उन्होंने कहा कि अमरीकी नीतियों का विरोध करने के कारण ईरान कों धमकी और प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा। इसका मुख्य कारण यह है कि वे अपनी वर्चस्ववादी नीतियों के मार्ग में ईरान को सबसे बड़ी बाधा समझता है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बल देकर कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान ने कभी भी किसी देश के विरुद्ध युद्ध आरंभ नहीं किया, किंतु उसने अपनी वैध बात को सदैव ही स्पष्ट ढंग से कहा है और आगे भी कहता रहेगा।