Jan ०३, २०१७ १७:३२ Asia/Kolkata

ईरान की विशाल भूमि और उसकी विशेष भौगोलिक स्थिति ने प्राचीन समय से अब तक इस देश की जनता को बहुत अधिक आर्थिक संभावनाएं मुहैया की हैं, इस तरह से कि कृषि और उद्योग के क्षेत्र में ईरान में उत्पादित विविधतापूर्ण उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अहमियत हासिल है।

उचित भौगोलिक स्थिति के साथ साथ ईरान के शिक्षित मानव संसाधन वर्ग ने हालिया वर्षों में नालिज बेस्ड कंपनियों के सांचे में अपने आविष्कार पंजीकृत करके यह दर्शा दिया है कि उनके पास कहने के लिए बहुत कुछ है।

कृषि का इतिहास या वनस्पतियों की उद्देश्यपूर्ण खेती का इतिहास मानव सभ्यता के इतिहास जितना पुराना है। कहा जाता है कि ईरान दुनिया के उन क्षेत्रों में है जहां सबसे पहले खेती शुरु हुयी। वाविलोफ़ जैसे विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान खेत में बोयी जाने वाली वनस्पतियों के केन्द्रों में से एक केन्द्र रहा है। ईरान के विभिन्न क्षेत्रों में जैसे ईलाम प्रांत के मेहरान मैदान, काशान के सियल्क टीले, शूश शहर में मिली वस्तुओं के बारे में पुरातन विज्ञान और इतिहास से संबंधित शोध दर्शाते हैं कि ईरानियों ने शताब्दियों पहले प्लांट फ़ैमिली का पता लगा लिया था। इसी प्रकार भूमिगत नहर की खुदाई सहित सिंचाई की विभिन्न शैलियों के ज़रिए विकसित कृषि व्यवस्था की स्थापना की है। रूस के पूर्व विशेषज्ञ पित्रोश फ़िस्की ने ईरान में सासानी इतिहास काल से संबंधित अपनी एक किताब में ईरान में विभिन्न प्रकार के फलों, सब्ज़ी और फूल की खेती का उल्लेख किया है। पेड़ों में पिस्ते के पेड़ का भी उल्लेख है।

प्राचीन समय से पिस्ते को एक लज़ीज़, लाभदायक व शक्तिवर्धक खाद्य पदार्थ के रूप में लोग उपभोग करते आ रहे हैं। कुछ प्राचीन व धार्मिक दस्तावेज़ों में भी इस मेवे के बारे में उल्लेख मिलता है। तीसरी हिजरी क़मरी के इतिहासकार मोहम्मद बिन जरीर तबरी ने पिस्ते की उत्पत्ति को हज़रत आदम के ज़मीन पर उतरने के काल से संबंधित बताया है। वह लिखते हैं, “कहते हैं कि हज़रत आदम के ज़मीन पर उतरते समय ईश्वर ने उन्हें 30 प्रकार के फल दिए थे। इनमें 10 प्रकार के छिलके वाले फल, 10 प्रकार के गुठली वाले फल और 10 प्रकार के बिना छिलके व गुठली के फल। छिलके वाले मेवों में अख़रोट, बादाम इत्यादि हैं”

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तौरैत में भी पिस्ते का उल्लेख है। तौरैत के उत्पत्ति के सफ़र के बारे में 43वें पाठ में आया है, “हज़रत याक़ूब अपने बेटों को हज़रत यूसुफ़ के दरबार में भेजते वक़्त यह अनुशंसा करते हैं कि अपने वतन में होने वाले कुछ उत्पाद तोहफ़े के तौर पर ले जाएं। इन तोहफ़ों में शहद, गोन्द और पिस्ते का उल्लेख है।”

पिस्ते के पेड़ की उत्पत्ति के बारे में अनेक दृष्टिकोण हैं। शायद इस कारण हो कि शोधकर्ताओं ने किसी विशेष प्रकार के पिस्ते के बारे में नहीं कहा है बल्कि विभिन्न फ़ैमिली के पिस्ते के पेड़ के बारे में उनका ध्यान केन्द्रित रहा है। यही कारण है कि कई क्षेत्रों का पिस्ते के पेड़ की उत्पत्ति के केन्द्र के रूप में वर्णन मिलता है। जैसे कि विश्वकोष ब्रिटैनिका ने ईरान को पिस्ते की उत्पत्ति का केन्द्र माना है, लारूस ने एशिया माइनर को और अमेरिकाना ने पश्चिमी एशिया को पिस्ते के उत्पत्ति का केन्द्र माना है।

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‘ईरानी पिस्ता’ नामक किताब के लेखक मोहम्मद हसन अबरीशमी पिस्ते की उत्पत्ति के बारे में लिखते हैं, “वह भूमि जिसे बाद में पार्त कहा जाने लगा और फिर उसका नाम ख़ुरासान पड़ा, पिस्ते के पेड़ की उत्पत्ति का मुख्य क्षेत्र है। इसके पेड़ पश्चिमी भाग में निशापूर और पूरब में बल्ख़ तक और जैहून नदी के दोनों ओर उगते थे। दस्तावेज़ दर्शाते हैं कि पिस्ते के पेड़ हख़ामनेशी काल तक जंगली था। इसकी बाग़बानी नहीं होती थी, सिर्फ़ उन क्षेत्रों के अलावा जिसका ऊपर उल्लेख है, पिस्ते का पेड़ कहीं नहीं पाया जाता था। इसलिए प्राचीन काल से ईरान से निर्यात होने वाले पिस्ते ऊपर वर्णित क्षेत्रों से ही निर्यात होते थे।”

अमरीकी ईरानी विशेषज्ञ बर्टोल्ड लोफ़र ने 1926 में ईरान के स्थानीय फलों और उगने वाली वनस्पतियों के बारे में अपने शोध में पिस्ते के बारे में विशेष रूप से उल्लेख किया है कि यह मेवा प्राचीन काल से ईरानियों के जीवन में बहुत अहमियत रखता है। उनके अनुसार, पिस्ते के पेड़ के नाम की यूरोपीय भाषाओं में जैसे यूनानी और लैटिन, अरबी, तुर्की, रूसी और जापानी भाषाओं में भी शब्द-वयुपत्ति ईरानी नाम से है। दूसरे राष्ट्र ईरान के ज़रिए पिस्ते से परिचित हुए। पुरानी पारसी में इस पेड़ का नाम पिस्ताका है, मिडिल पर्शियन या पहलवी में इसका नाम पिस्ताक है और बाद की फ़ार्सी में पिस्ता नाम है।

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ईरानी भाषाविद व लेखक स्वर्गीय परवीज़ ख़ानलरी ने भी अपनी एक किताब में इस बात की पुष्टि की है और उनका मानना है कि पिस्ता उन वनस्पतियों में है जिसका स्रोत ईरानी है और इसका नाम थोड़े से बदलाव के साथ दूसरे देशों के लोग बोलते हैं। उनके अनुसार, पिस्ता उत्तरी ख़ुरासान के सुग़्द क्षेत्र से विशेष है और आज भी वहां के लोग इसे मुख्य वनस्पति में गिनते हैं। यूं तो आज पिस्ता अमरीका, तुर्की, ट्यूनीशिया और कुछ यूरोपीय देशों में पैदा होता है लेकिन ईरानी पिस्ते का कोई मुक़ाबला नहीं है।

ईरान में लगभग 90 प्रकार के पिस्ते होते हैं उनमें से कुछ व्यापारिक स्तर पर बहुत मशहूर हैं। जैसे फ़ुन्दुक़ी या राउंड, अकबरी या सुपर लॉन्ग, कल्ले क़ूची या जम्बो, अहमद आक़ाई या लॉन्ग और कुछ प्रकार के पिस्ते की सीमित स्तर पर पैदावार की जाती है। ईरानी पिस्तों में सबसे बड़े आकार के पिस्ते को कल्ले क़ूची कहते हैं।    

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आज ईरान के ज़्यादातर प्रांतों जैसे किरमान, यज़्द, दक्षिणी और केन्द्रीय ख़ुरासान, फ़ार्स, सिमनान, सीस्तानो-बलोचिस्तान, इस्फ़हान, क़ज़वीन और तेहरान में पिस्ते की बाग़बानी होती है और ईरान दुनिया में इस उत्पाद के सबसे अहम उत्पादकों में गिना जाता है।

पिस्ते की अनेक उपचारिक विशेषताएं बयान की गयी हैं। यह लज़ीज़ मेवा पौष्टिक दृष्टि से बहुत उच्चस्तरीय गुणवत्ता रखता है। पिस्ते में बहुत ज़्यादा मात्रा में आयरन होता है। शरीर में उसके पौष्टिक पदार्थ को हज़्म करने की उच्च क्षमता के मद्देनज़र, ख़ून और आयरन की कमी के लिए बहुत उपयोगी खाद्य पदार्थ है। पिस्ते में तांबा, पोटैशियम, कैल्शियम, फ़ासफ़ोरस, मैग्नीज़ियम और विभिन्न प्रकार के विटामिन बी पाए जाते हैं, जो शरीर के सुरक्षा तंत्र को मज़बूत बनाते हैं। मस्तिष्क को मज़बूत बनाना, स्नायु तंत्र को सुकून, अमाशय की मज़बूती, बुरे कोलेस्ट्राल में कमी, हृदय को स्वास्थ्य, आंखों की रौशनी की बेहतरी, पाचन तंत्र के लिए ज़रूरी कम्पाउंड की आपूर्ति इत्यादि पिस्ते के अन्य फ़ायदे हैं। शोध दर्शाते हैं कि मधुमेह के रोगियों में स्ट्रेस को क़ाबू में करने में पिस्ते का उपभोग फ़ायदेमंद होता है। इसी प्रकार स्वस्थ्य व चमकदार त्वचा चाहते हैं तो प्रतिदिन पिस्ता खाना न भूलें क्योंकि इसमें मौजूद विटामिन ई आपकी त्वचा की पराबैगनी किरणों से रक्षा करती है। ईरान की प्रचीन उपचार शैली में पिस्ते के संतुलित मात्रा में उपभोग को शरीर को मज़बूत बनाने में उपयोगी कहा गया है।

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ईरान में पिस्ता उन लाभदायक उत्पादों में है जिसकी विश्व मंडी में बड़ी मांग है। ईरानी पिस्ते दसियों देशों को निर्यात होते हैं। यूरोप, एशिया और अमरीका में बहुत से देश ईरान से पिस्ता ख़रीदते हैं। जर्मनी, स्पेन, इटली, स्वीडन, स्वीज़रलैंड, जापान, रूस, संयुक्त अरब इमीरात, तुर्की, क़ज़्ज़ाक़िस्तान, ट्यूनीशिया, कैनडा, चिली और ब्राज़ील वे देश हैं जहां ईरान से पिस्ता निर्यात होता है।

ईरानी पिस्ता मज़े और गुणवत्ता की दृष्टि से इतना अच्छा होता है कि पिस्ते का उत्पादन करने वालों में कुछ देश अपने पिस्तों में ईरानी पिस्ता मिलाकर दूसरे देशों को बेचते हैं या अमरीका जैसा देश ईरान के पिस्ते पर कई गुना भारी टैक्स लगा कर ईरान के पिस्ते को अपने देश की मंडी में प्रवेश से रोकता है ताकि ब्लूमबर्ग के अनुसार, अमरीका में पिस्ता उत्पादकों की चिंता को कम कर सके।

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