Jan ०४, २०१७ १५:२३ Asia/Kolkata

विविध मौसम, उपजाऊ ज़मीन और मेहनती लोगों ने ईरान को अनुंपाओं से मालामाल देश बना दिया है।

ईरान में विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे और वनस्पतियां उगती है जिनमें से कुछ तो विश्व विख्यात हैं। ज़ाफ़रान या केसर इन्हीं वनस्पतियों में से एक है जिसकी खेती ईरान में दो हज़ार वर्ष से भी अधिक वर्षों से की जा रही है। बताया जाता है कि ईरानी वे पहले लोग थे जिन्होंने इस मूल्यवान वनस्पति को पहचाना और इसकी खेती आरंभ की। ईरान के पश्चिम में स्थित किरमानशाह और हमदान में अलवंद पर्वत का आंचल 728 से 549 वर्ष पूर्व मसीह में माद शासन के दौरान केसर की खेती का मुख्य स्थान था। समय बीतने के साथ ज़ाफ़रान की खेती न केवल ईरान के दूसरे नगरों में भी होने लगी बल्कि ईरानी व्यापारी अन्य देशों में इसे बेचने भी लगे जिसके चलते संसार के अन्य देशों के लोग भी इसे पहचानने लगे। इतिहासकारों के अनुसार वर्ष 334 ईसा पूर्व में ईरान पर सिकंदर का हमला भी इस बात का कारण बना कि यूनानी, रूमी और फिर चीनी इस मूल्यवान वनस्पति से अवगत हो गए।

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अब भी विश्व व्यापार की मंडी में ईरान और ज़ाफ़रान के नाम एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। संसार में अच्छे केसर की पैदावार और व्यापार पर हमेशा से ईरानियों का नियंत्रण रहा है। केसर, उन वनस्पतियों मे से एक है जिनकी खेती के लिए बहुत कम पानी की ज़रूरत पड़ती है। यही कारण है कि ईरान के विभिन्न क्षेत्रों में इसकी खेती की भूमि समतल है। आज ईरान के कई क्षेत्रों विशेष कर पूर्वी व पूर्वोत्तरी क्षेत्रों को ज़ाफ़रान की खेती से विशेष कर दिया गया है। ईरान के विभिन्न प्रांतों में दक्षिणी ख़ुरासान, प्रांत जो ईरान के पूरब में स्थित है, ज़ाफ़रान की खेती का गढ़ समझा जाता है और विश्व विख्यात है।

ज़ाफ़रान, स्वास्थ्य के फूल, दवाओं के राजा और लाल सोने के नाम से भी विख्यात है। वनस्पति शास्त्र और कृषि की दृष्टि से केसर में असंख्य गुण पाए जाते हैं। इसके पौधे के उगने और फूल देने का समय, पतझड़ है, इसके बढ़ने और हरे-भरे होने का समय शीत ऋतु है जबकि इसके मुरझाने और पत्ते झड़ने का समय वसंत है। पतझड़ में सुबह सवेरे, केसर के फूल तोड़ने का काम शुरू कर दिया जाता है। विभिन्न शहरों के लोग, ज़ाफ़रान के फूल तोड़ने का दृश्य देखने के लिए उन देहातों का रुख़ करते हैं जहां इसके पौधे उगाए जाते हैं। इस प्रकार वे दुनिया की सबसे महंगी वनस्पतियों और दवाओं में से एक को तोड़ने की शैली का निरीक्षण करते हैं।

केसर के पौधे में बैंगनी रंग के सुंदर फूल लगते हैं जबकि इसका कलंक या स्टिगमा लाल रंग का और शंकुआकार होता है। कलंक में अत्यंत मनमोहक सुगंध वाली तीन रंगीन शाखाएं होती हैं। केसर के फूल को कम समय में खेतों से एकत्रित करना होता है जिसके बाद विशेष परिस्थितियों में लाल रंग के कलंकों को अलग करके बड़ी सावधानी से सुखाया जाता है ताकि केसर की गुणवत्ता और उसकी विशेषताएं बाक़ी रहें।

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केसर के प्रयोग के बारे में दस्तावेज़ों में जो सबसे पुरानी बात लिखी हुई है वह ईसा पूर्व 550 से 330 वर्ष के दौरान हख़ामनेशी शासन काल से संबंधित है। उस काल के बचे हुए शिलालेखों पर ईरानी शासक के दरबार में प्रयोग होने वाले ज़ाफ़रान की मात्रा लगभग एक किलो ग्राम लिखी हुई है। उल्लेखनीय है कि एक किलो केसर के लिए एक से दो लाख केसर के फूलों की ज़रूरत होती है और एक मज़दूर चालीस घंटे काम करे तब जाकर वह केसर के डेढ़ लाख फूल तोड़ सकता है। पूरे संसार में हर साल दो सौ से तीन सौ टन केसर की पैदावार होती है जिसमें 90 प्रतिशत से अधिक ईरान में तैयार किया जाता है। ढाई सौ टन केसर के उत्पादन के लिए उसके ढाई करोड़ फूलों की ज़रूरत होती है।

ज़ाफ़रान उन मूल्यवान वनस्पतियों में से है जो खाद्य और औषधि उद्योग में इस्तेमाल होता है और इसके अलावा इसका औद्योगिक प्रयोग भी है। अतीत में ज़करिया राज़ी, अबू अली सीना और अबू रैहान अलबीरूनी जैसे ईरान के प्रख्यात चिकित्सक विभिन्न रोगों के उपचार में केसर के औषधीय गुणों से लाभ उठाया करते थे। औषधीय दृष्टि से केसर में विभिन्न प्रकार के कैरोटीनॉयड होते हैं जिनमें कैंसर रोधी विशेषता पाई जाती है। कैरोटीनॉयड ऐसे अत्यंत छोटे रंगीन दाने होते हैं जो फलों व सब्ज़ियों में तरह तरह के रंग उत्पन्न करते हैं और उनमें अनेक औषधीय गुण होते हैं। ज़ाफ़रान, अलज़ाइमर और पारकिंसन जैसे रोगों को रोकने में भी प्रभावी है। इसी तरह यह सर्दी-ज़ुकाम, बदहज़्मी, पीलिया, हेपटाइटस और मधुमेह जैसे रोगों के उपचार में भी लाभदायक है। ज़ाफ़रान के अन्य लाभों में जिगर और गुर्दे को साफ़ रखने, ब्रोनकाइटिस के उपचार में सकारात्मक प्रभाव, रक्तचाप और चर्बी कम करने तथा दर्द में आराम पहुंचाने जैसी बातों की ओर संकेत किया जा सकता है। यह ऐंठन को रोकता है, दर्दनिवारक है, नींद लाता है और याददाश्त मज़बूत बनाता है और साथ ही इसमें विटामिन बी-1, बी-2, बी-6 और सी पाए जाते हैं जो शरीर के लिए आवश्यक हैं। हर खाद्य सामग्री के प्रयोग की तरह केसर में संतुलन का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है। बताया जाता है कि हर महीने तीन ग्राम केसर का सेवन लाभदायक और पांच ग्राम से अधिक हानिकारक है।

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ज़ाफ़रान खाद्य उद्योग में भी बहुत अधिक प्रयोग होता है। विभिन्न देशों में अध्ययनों से सिद्ध होता है कि खानों में रंग और सुगंध के लिए ज़ाफ़रान का प्रयोग किसी भी तरह से हानिकारक नहीं है। प्राचीन काल से इसे खानों में इस्तेमाल किया जाता रहा है। ईरान में पुराने समय से लेकर अब तक केसर के सुंदर रंग, सुगंध और स्वाद के कारण उसे मिठाई, आइसक्रीम, खानों और मिष्ठानों में और इसी प्रकार व्यंजनों को सजाने के लिए प्रयोग किया जाता है। केसर का एक अन्य उपयोग कला व उद्योग के क्षेत्र में भी है। ईरानी, केसर को एक टिकाऊ व प्राकृतिक रंग के रूप में सुलेखन, किताबों की सजावट और क़ालीन की बुनाई जैसे अपने कला के नमूनों में प्रयोग करते थे। सार्वजनिक संस्कृति में केसर के महत्व व लोकप्रियता के चलते कलाकार काफ़ी समय तक क़ुरआने मजीद की सजावट और दुआएं लिखने में इसका प्रयोग करते थे और ईरान सहित विभिन्न देशों में आज भी यह संस्कृति बाक़ी है।

ईरान के केसर की गुणवत्ता इस बात का कारण बनी है कि उसे स्पेन सहित संसार के विभिन्न देशों को निर्यात किया जाए। स्पेन, हालिया बरसों में दुनिया में ज़ाफ़रान का उत्पादन करने वाले दूसरे बड़े देश के रूप में पहचाना जाता रहा है। अपने केसर की गुणवत्ता के बारे में इस देश की ओर से प्रचार ऐसी स्थिति में था कि वह स्वयं ईरान से केसर का आयात करने वाले बड़े देशों में से एक है। ईरान के केसर की उच्च गुणवत्ता इस बात का कारण बनी है कि स्पेन सहित कई देश ईरान से बड़ी मात्रा में केसर ख़रीदें और फिर उसकी नई पैकिंग करके उसे अपने नाम से अंतर्राष्ट्रीय मंडी में भेज दें। चीन, भारत, सिंगापुर, मलेशिया, जापान, ताइवान, फ़्रान्स, इटली, जर्मनी और कई अन्य देश हैं जो केसर का उत्पादन करते हैं।

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हालिया वर्षों में ईरान में नॉलेज बेस्ड कंपनियों के गठन के कारण विभिन्न क्षेत्रों में विकास व प्रगति में तेज़ी आई है। इन कंपनियों में विशेषज्ञ और अध्ययनकर्ता इस बात की कोशिश करते हैं कि नए नए विचारों, दृष्टिकोणों व तकनीकों के साथ देश के उत्पादों की गुणवत्ता व मूल्य में वृद्धि करें। ज़ाफ़रान के संबंध में भी नॉलेज बेस्ड कंपनियों का प्रयास है कि नई नई शैलियों के माध्यम से केसर उगाने और निर्यात करने वालों की उसे तथा उससे संबंधित वस्तुओं का अधिक से अधिक उपयोग करने में सहायता करें ताकि इस मूल्यवान वनस्पति का कोई भी भाग व्यर्थ न जाने पाए। उदाहरण स्वरूप केसर का फूल इस मूल्यवान वनस्पति के उन भागों में से एक है जिससे शताब्दियों तक लाभ नहीं उठाया गया। हालिया वर्षों में ज़ाफ़रान के फूल पर होने वाले अनुसंधान से एक ऐसा द्रव्य बनाया गया है जिसकी औषधीय गुणवत्ता और विशेषता बहुत अधिक है।