Jan ०४, २०१७ १५:५४ Asia/Kolkata

केवियर पैदा करने वाली मछलियों को स्टरजियन कहा जाता है।

यह तास मछली के परिवार से संबंधित है और दुनिया की बहुत अधिक महंगी मछलियों में गिनी जाती है। मछली की इस प्रजाति के बारे में कहा जाता है कि वह करोड़ों साल से पायी जाती हे। कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि यह मछली जुरासिक युग में बहुत अधिक पायी जाती थी। यह वह युग है जब डायनासोर और मछलियों की बहुतायत थी। उस समय तास मछलियां धरती के उत्तरार्थ भाग के पानी में मिलती थीं। लेकिन समय बीतने के साथ साथ अलग अलग कारणों तथा निरंकुश शिकार के चलते इन मछलियों की संख्या लगातार घटती चली गई। इस समय कैसपियन सागर, काला सागर और ओरोल सागर में ही बहुत सीमित भागों में पायी जाती है जबकि यूरोप और अमरीका में भी कुछ स्थानों में यह मछलियां दिखाई देती हैं। इस समय केवियर युक्त मछलियों का मुख्य जीवन स्थल कैसपियन सागर है। कहा जाता है कि दुनिया की केवियर मछलियों का 93 प्रतिशत भाग कैसपियन सागर से विशेष है और चूंकि कैसपियन सागर की भौगोलिक स्थिति बहुत विशेष है इस लिए केवियर मछली का शिकार भी यहां बहुत बड़े पैमाने पर होता है।

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दुनिया में केवियर पैदा करने वाली मछली की बीस से अधिक प्रजातियां और उप प्रजातियां हैं जिनमें पांच प्रजातियां विशेष रूप से विख्यात हैं। इन में एक है ग्रेट वाइल स्टरजियन बेलुगा दूसरी है पर्शियन स्टरजियन, तीसरी क़िस्म है रशियन स्टरजियन, चौथी क़िस्म है शिप स्टरजियन या स्पाइनी स्टरजियन और पांचवीं क़िस्म है स्टैलेट स्टरजियन। यह प्रजातियां कैसपियन सागर में मिलती हैं। स्टरजियन मछली का प्रारूप गहरे समुद्र के भीतर तीव्र गति से तैरने में उसकी मदद करता है। स्टरजियन मछली लंबी होती है और सिर से पूंछ की ओर पतली होती जाती है। आकार की तुलना में स्टरजियन मछली का सिर छोटा होता है। केवियर मछली की लंबाई एक से दो मीटर तक होती है। अलबत्ता कुछ प्रजातियां एसी हैं कि उनमें से कुछ मछलियों छह मीटर तक लंबी हो जाती है। केवियर मछलियों में कुछ बहुत बड़ी हैं जिनका वज़न 1000 किलोग्राम से भी अधिक होता है। स्टरजियन मछली बहुत ख़ूबसूरत होती है और यह कई रंग की होती है।

यह मछलियां अंडे देने के लिए मीठे पानी की नदियों की ओर पलायन करती हैं और अधिकतर उन नदियों का चयन करती हैं जिसका बहाव तेज़ और पानी गदला हो। यह मछलियां एसी नदियों में जाकर अंडे देती हैं। यह अंडे नदियों में मौजूद वनस्पतियां और तह में मौजूद कंकरियों से चिपक जाते हैं। अंडो से बच्चे निकलते हैं और फिर कुछ मछलियां समुद्र की ओर लौट जाती हैं।

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केवियर मछली का महत्व इसी केवियर की वजह से है जो इन मछलियों से मिलता है और जिसे काला मूंगा कहा जाता है। केवियर वास्तव में स्टरजियन मछली के वह अंडे हैं जिनसे बच्चे नहीं निकलते। केवियर की क्वालिटी में मछलियों की उम्र का बड़ा प्रभाव होता है।

केवियर मछलियां अन्य मछलियों की तुलना में कुछ देर से बालिग़ होती हैं। केवियर मछलियों की विभिन्न प्रजातियों के बालिग़ होने की आयु 8 से 18 साल के बीच है। इन में ग्रेट वाइल स्टरजियन मछली 12 से 18 साल के बीच बालिग़ होती है। इन बातों को ध्यान में रखकर विशेषज्ञ इस प्रकार के जल जीव जन्तुओं की देखभाल में अधिक प्रभावी रूप से काम कर सकते हैं। यदि वह केवियर मछलियों के बालिग़ होने की आयु को दृष्टिगत रखें तो इन प्रजातियों की प्रजनन प्रक्रिया के लिए अनुकूल परिस्थितियां उत्पन्न कर सकते हैं और समुद्र के बाहर इन प्रजातियों के प्रजनन की प्रक्रिया को विस्तृत करके इन संख्या में वृद्धि कर सकते हैं। चूंकि इस समय स्टरजियन मछली और केवियर को सारी दुनिया में बहुत पसंद किया जाता है और विश्व स्तर पर इसकी मांग बहुत बढ़ी गई है अतः यह व्यापार भी बहुत बड़े पैमाने पर पहुंच गया है।

ग्रेट वाइल स्टरजियन फ़िश कैसपियन सागर की स्टरजियन मछलियों में सबसे बड़ी होती है लेकिन खेद की बात है कि इसकी संख्या में बहुत तेज़ी से कमी आती जा रही है। इस मछली को ब्लोगा भी कहा जाता है यह सारी दुनिया में मीठे पानी की सबसे बड़ी मछली है। इसी तरह केवियर की क्वालिटी को देखते हुए यह केवियर मछलियों में सबसे अच्छी मानी जाती है। ईरान में एक ब्लोगा मछली से सबसे अधिक 100 किलोग्राम तक केवियर निकल चुका है। ईरान में शिकार की गई एक ब्लोगा फ़िश 1400 किलोग्राम की थी जिसकी उम्र 100 साल से अधिक थी।

पर्शियन स्टरजियन फ़िश केवियर मछलियों में दूसरी महत्वपूर्ण क़िस्म है जो कैसपियन सागर में ईरानी तटों के क़रीब पायी जाती ह। इससे पहले तक उसे रशियन स्टरजियन फ़िश की उप प्रजाति माना जाता था लेकिन अब कृत्रिम रूप से उसके व्यापक प्रजनन और इसकी बहुत अधिक संख्या हो जाने के कारण इसको अलग प्रजाति माना जानेलगा है। यह रशियन स्टरजियन से अधिक बड़ी और अच्छी होती है। केवियर मछलियों में पौष्टिकता की दृष्टि से पर्शियन स्टरजियन फ़िश दूसरे नंबर पर आती है। इस स्टरजियन फ़िश के रंग भी अधिक हैं। पर्शियन स्टरजियन फ़िश की भी दुनिया में बहुत अधिक मांग है और इसमें गहरे भूरे रंग और कभी कभी मिलने वाली सुनहरे रंग की स्टरजियन फ़िश को बहत अधिक पसंद किया जाता है।

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कैसपियन सागर में पायी जाने वाली स्टरजियन मछलियों में तीसरे नंबर पर रशियन स्टरजियन फ़िश आती है। यह कैसपियन सागर के उत्तरी भाग में अधिक होती है लेकिन दक्षिणी भाग में ईरान के तटों की ओर से भी यह मछली बड़ी संख्या में मिलती है और अंडे देने के लिए पर्शियन स्टरजियन फिश के साथ ईरान की सफ़ीदरूद और गुरगानरूद नामक नदियों में आती है। यह नदियां उत्तरी और पूर्वोत्तरी ईरान में हैं।

कैसपियन सागर की दुर्लभ स्टरजियन मछलियों में शिप स्टरजियन फ़िश है। यह कैसपियन सागर के दक्षिणी भाग में कभी कभी मिलती है। हालिया कुछ वर्षों में काला सागर और ओरोल सागर में भी केवियर मछलियां मिली हैं लेकिन निरंकुश शिकार तथा अन्य कारणों से वहां इसे विलुप्त होती प्रजातियों में गिना जाता है। चूंकि इस प्रजाति की मछलियां रूस, आज़रबाईजान और तुर्कमनिस्तान में बहुत कम हो गई हैं अतः इनके व्यापार पर रोक लगा दी गई है। ईरान में भी इस प्रजाति की केवियर मछलियों के शिकार को पर्यावरण विभाग की ओर से रोक दिया गया है। हालिया वर्षों में दसियों लाख की संख्या में शिप स्टरजियन मछली की पैदावार की गई है और इसके लिए कृत्रित झीलों की मदद ली गई है बाद में इन मछलियो को कैसपियन सागर में छोड़ दिया गया।

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केवियर मछलियों में सबसे छोटी दक्षिणी कैसपियन सागर में मिलने वाली स्टेल्युट स्टरजियन मछली है। इसका केवियर बहुत छोटा है और क्वालिटी भी अन्य की तुलना में कम अच्छी होती है। अलबत्ता पौष्टिकता की दृष्टि से इसमें कोई अंतर नहीं है।

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