Jan २३, २०१७ १७:१६ Asia/Kolkata

समुद्री आहारों में एक बहुत महत्वपूर्ण और पौष्टिक आहार केवियर है जिसे विश्व व्यापार में एक विशेष स्थान प्राप्त है और इसका बड़ा अच्छा व्यापार होता है।

कहा जाता है कि विश्व अस्तर पर केवियर का व्यापार एक अरब डालर तक पहुंचता है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि केवियर के व्यापार से संबंधित देशों को कितना लाभ मिलता है। केवयिर दुनिया का सबसे महंगा समुद्री आहार है। इसे नाश्ते के तौर पर अलग अलग रूपों में प्रयोग किया जाता है। हर सौ ग्राम केवियर में 25000 किलो कैलोरी होती है। इतनी अधिक मात्रा में कैलोरी किसी अन्य आहार में नहीं होती।

केवियर को आम तौर पर कच्चा ही खाया जाता है। कुछ लोग इसमें मुर्ग़ी के अंडे की ज़र्दी मिलाकर, कुछ लोग ख़ुशबूदार पत्तियों के साथ जबकि कुछ लोग मक्खन और नींबू डालकर इसे खाते हैं। यह ऊर्जावान आहार अनेक विटामिनों जैसे बी-2, बी6, बी12, डीए, सी और ई से युक्त है। इसी प्रकार इसमें खनिज पदार्थ,  प्रोटीन, तैलीय एसिड, एंटी आक्सीडेंट्स और ओमेगा-3 भी प्रचुर मात्रा में होता है। केवियर के प्रयोग से कोलेस्ट्रोल भी घटता है। केवियर के प्रयोग के माध्यम से हृदय और रगों की बीमारियों, जोड़ों की सूजन, पेट की बीमारियों तथा कुछ प्रकार के कैंसर भी बचा जा सकता है। केवियर के प्रयोग से त्वचा नर्म और चमकीली होती है और चेहरे पर ताज़गी आती है इसी तरह मांस पेशियां बहुत मज़बूत होती हैं। केवियर में पायी जाने वाली लाभकारी वसा स्नायु तंत्र की बीमारियों में आरामदायक साबित होती है।

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स्टरजियन मछली का मांस भी अन्य जल प्राणियों के मांस की भांति अलग अलग रूपों में खाया जाता है। इसी प्रकार इसको हवा बंद डिब्बों में बंद करके बेचा जाता है। केवियर मछली में कांटे बहुत कम होते हैं तथा इसके गोश्त में चरबी बहुत कम होती है इस लिए स्टरजियन मछली का गोश्त सोसेज और कटलेट के रूप में भी बाज़ार में सप्लाई किया जाता है।

वैसे तो स्टरजियन फ़िश का सबसे मशहूर उत्ताद केवियर और इस मछली का गोश्त है लेकिन वास्तव में केवल केवियर और गोश्त का ही व्यापार नहीं होता। अब तो तकनीक विकसित होने के बाद स्टरजियन मछली की अंतड़ी, चमड़े और कांटों का भी दवाओं तथा मेकअप के सामानों में प्रयोग किया जाने लगा है। स्टरजियन मछली की त्वचा से चमड़ा बनाया जा रहा है।  इसी तरह कुछ क्रीमें भी बनाई जा रही हैं। स्टरजियन मछली के स्विम ब्लेडर से फ़िश ग्लू बनाया जाता है और दंत चिकित्सा में भी इसे प्रयोग किया जाता है। मछली के परों और आंतों का पावडर बनाकर मछली पालन के उद्योग में इसका प्रयोग चारे के रूप में किया जाता है। स्टरजियन मछलियों को ज़िंदा भी बेचा जाता है और जिंदा स्टरजियन मछली भी मत्यस्य पालन के लिए ख़रीदी जाती है।

इस समय बाज़ारों में सजवाट की मछलियों के रूप में भी स्टरजियन मछली की बड़ी मांग है क्योंकि यह मछलियां बड़ी सुंदर होती हैं। यही वजह है कि संयुक्त राष्ट्र संघ की संस्था साइट्स की रिपोर्ट में जहां स्टरजियन मछली के केवियर और उसके गोश्त के व्यापार का उल्लेख है वहीं एक अंगुल तक के स्टरजियन मछली के बच्चों के व्यापार का भी उल्लेख है। स्टरजियन मछली के व्यापार से बहुत अधिक लाभ प्राप्त होने के कारण अब फ़्रांस, अमरीका, चीन, इटली, जापान, उरूग्वे और मैक्सिको जैसे देश भी केवियर मछली का व्यापार कर रहे हैं। मगर ईरान में पाली जाने वाली केवियर मछली क्वालिटी की दृष्टि से अन्य देशों की केवियर मछली से अच्छी है। इसका एक मुख्य कारण यह है कि ईरान के अधिकतर भागों की जलवायु केवियर मछली पालने के लिए बहुत अनुकूल है। इसी तरह ईरान में केवियर मछली की जो प्रजातियां पायी जाती हैं वह ख़ुद भी बहुत अच्छी मानी जाती हैं। ईरान में तकनीक पर भी बहुत काम हुआ है जिसका असर स्टरजियन मछली के उद्योग में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। ईरान में मछली पालन के लिए तालाब बनाने का ख़र्च भी कम होता है इसी तरह उस उद्योग से जुड़े मज़दूरों की मज़दूरी भी कम होती है अतः मछली का उत्पादन बड़ी किफ़ायती क़ीमत में हो जाता है।

इस समय विश्व स्तर पर केवियर मछलियों का गोश्त और केवियर बड़े पैमाने पर सप्लाई हो रहा है लेकिन इसके बावजूद समुद्र में शिकार की जाने वाली केवियर मछलियों का महत्व आज भी पाली गई मछलियों से अधिक है। विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान के क़रीब समुद्र की गहराई और आस पास के क्षेत्रों के स्वच्छ व स्वस्थ वातावरण के कारण ईरानी केवियर की क्वालिटी बहुत अच्छी समझी जाती है।

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सोवियत संघ के विघटन के बाद कैसपियन सागर के उत्तरी तट पर स्थित देशों जैसे रूस, क़ज़ख़िस्तान, आज़रबाईजान और तुर्कमनिस्तान में केवियर मछली के निरंकुश शिकार और व्यापार व तस्करी के कारण कैसपियन सागर में स्टरजियन मछलियों की संख्या में भार कमी आई है। इसके अलावा औद्योगिक केन्द्रों, कारख़ानों का कचरा तथा खेतों में प्रयोग होने वाले कीटनाशकों का प्रदूषण कैसपियन सागर को बहुत नुक़सान पहुंचा रहा है। स्टरजियन मछलियो के अंडे देने के स्थान ख़त्म होते जा रहे हैं, बहुत से बांध बना दिए गए हैं, कैसपियन सागर की क़रीबी नदियों पर पुल बनाए गए हैं तथा तेल के मैदानों का दायरा बढ़ाया गया है। इन कारकों के चलते केवियर मछली की पैदावार में कमी आई है। इसी लिए विशेषज्ञों ने स्टरजियन मछली की प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने के लिए सुझाव दिया है कि तालाब बनाकर उनमें केवियर मछलियों का पालन अधिक से अधिक बढ़ाया जाए।

ईरानियन फ़िशरीज़ साइंस रिसर्च इंस्टीट्यूट ईरान के उत्तरी नगरों में से एक रश्त शहर की महत्वपूर्ण अनुसंधान संस्था है जो केवियर मछलियों के उद्योग की सहायता कर रही है। यह संस्था प्राकृतिक संसाधनों तथा जल प्राणियों की देखभाल और उनकी प्रजनन प्रक्रिया बढ़ाने के क्षेत्र में बड़ी मूल्यवान सेवा कर रही है। यह संस्था वर्ष 1995 में स्थापित हुई यह स्टरजियन मछली के बारे में अनुसंधान की पहली अंतर्राष्ट्रीय संस्था है। यह संस्था कैसपियन सागर के तटीय देशों तथा विश्व के अन्य देशों की सतह पर अपनी अनुसंधानिक गतिविधियां अंजाम दे रही है।

ईरानियन फ़िशरीज़ साइंस रिसर्च इंस्टीट्यूट की शुरू से ही यह कोशिश रही है कि केवियर मछलियों के क्षेत्र में अनुसंधान की संस्था होने के रूप में विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं के लिए ऐसा अनुकूल वातावरण तैयार करे जिसमें अनुसंधान परियोजनाओं पर आसानी से काम हो, स्टरजियन मछलियों के बारे में होने वाले अनुसंधान की जानकारियों का आदान प्रदान हो। यह संस्था राष्ट्रीय, क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सिम्पोज़ियम करवाती है जिनमें केवियर मछली के पालन के तरीक़ों और प्रभावी व्यवस्थाओं पर चर्चा होती है। इस लक्ष्य के तहत ईरानियन फ़िशरीज़ साइंस रिसर्च इंस्टीट्यूट में इकोलोजी, संसाधन प्रबंधन, प्रजनन, बायो टेक्नालोजी, फ़िज़ियोलोजी, बायोकेमिस्ट्री तथा फ़िशरीज़ टेक्नालोजी जैसे क्षेत्रो में काम होता है।

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ईरानियन फ़िशरीज़ साइंस रिसर्च इंस्टीट्यूट की प्रभावी गतिविधियों के कारण उसे विश्व के फ़िशरीज़ अनुसंधान केन्द्रों में बहुत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हो गया है। चूंकि केवियर मछली का नाम ईरान के साथ जुड़ा हुआ है इस लिए ईरान के अधिकारी केवियर मछली के शिकार को नियंत्रित करने तथा तालाबों में  इन मछलियों की विभिन्न प्रजातियों के प्रजनन के माध्यम से यह कोशिश कर रहे हैं कि कैसपियन सागर में केवियर मछलियां हमेशा बाक़ी रहें।