ईरानी बाज़ार-12
इस्लामी गणतंत्र ईरान धरती पर ऐसे क्षेत्र में स्थित है जो प्राकृतिक स्रोतों से समृद्ध है।
ईरान में लौह-अयस्क के स्रोतों में दुनिया के दस सबसे बड़े देशों में है। मैक्सिको की एक आर्थिक संस्था के अनुसार, ईरान गैस के सबसे बड़े स्रोत और तेल के चौथे सबसे बड़े स्रोत से संपन्न होने के बावजूद तेल व गैस पर बहुत ज़्यादा निर्भर नहीं है क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था में विविधता है। खुदरा व्यापार, संपत्ति, पेशेवर सेवा और खदान के विशाल भंडार ईरान के आर्थिक सामर्थ्य हैं। ईरान में अब तक 68 प्रकार की धातुओं के स्रोत का पता चला है जिनका मूल्य 700 अरब डॉलर से ज़्यादा है।

लौह अयस्क खदान से निकलने वाले अयस्क में है जिसमें लोहे की धातु होती है। लौह उन तत्वों में है जो धरती पर सबसे ज़्यादा पाए जाते हैं। धरती की तह में 5 फ़ीसद ऑक्साइड पाया जाता है। यह धातु प्रकृति के दामन में 300 खदानों खनिज में पायी जाती है। लौह अयस्क में हेमटाइट और मैग्नेटाइट खनिज सबसे ज़्यादा होते हैं। लोहे में हेमटाइट 70 फ़ीसद और मैग्नेटाइट 72 फ़ीसद होते हैं।
प्राचीन काल में इंसान ने किस तरह लोहे की धातु हासिल की इस बारे विभिन्न दृष्टिकोण हैं। कुछ समीक्षकों का मानना है कि प्राचीन समय में इंसान लौह अयस्क से विभिन्न स्तर की शुद्धता के साथ अपनी ज़रूरत के उपकरण बनाता था। कुछ लोगों का यह मानना है कि प्राचीन समय में लोग उलकापिंड का उपयोग करते थे क्योंकि उसमें मौजूद लौह की शुद्धता ज़्यादा थी। यह बात स्पष्ट नहीं है कि किस जाति व राष्ट्र ने सबसे पहले इस अहम धातु का पता लगाया और इस्तेमाल किया। पूर्वी जगत के सबसे अहम क्षेत्रों जैसे मेसोपोटामिया, लधु एशिया, मिस्र और चीन में जहां बड़ी सभ्यताएं वजूद में आयीं, लोहे के इस्तेमाल के सुबूत मिले हैं। ईरान के मध्य में स्थित काशान के सियल्क टीले में पुरातनविदों द्वारा की गयी खुदाई के दौरान लोहे के गोले मिले जो 5 सहस्त्राबदी ईसापूर्व के हैं। ये गोले हेमटाइट पदार्थ के बने हैं।

शुद्ध लोहा ज़मीन पर बहुत मुश्किल से मिलता है क्योंकि ऑक्सीजन और आर्द्रता के निकट होने के कारण इसका आसानी से ऑक्सीकरण होता है। शुद्ध लोहा हासिल करने के लिए लौह अयस्क की प्रॉसेसिंग होती है ताकि उसमें मौजूद दूसरे ग़ैर ज़रूरी तत्व निकल जाएं। पुरातात्विक अवशेषों के मद्देनज़र अयस्क को पिघलाकर लोहा बनाने का चलन दूसरी सहस्त्राबदी ईसापूर्व में शुरु हुआ और समय बीतने के साथ इससे उपकरण, हथियार यहां तक कि ज़ेवर भी बनने लग। पहली सहस्त्राबदी ईसापूर्व में ईरान में आर्य जाति के आगमन से ईरान में लोहे का चलन बढ़ा। प्राचीन समय में ईरानी, तलवार, भाला और तीर की नोक जैसे जंग में इस्तेमाल होने वाले उकपरण लोहे से बनाते थे। जैसा कि ईरान के पश्चिमोत्तर में पश्चिमी आज़रबाइजान में स्थित हसनलू क्षेत्र में पुरातात्विक खुदाई के दौरान नवीं शताब्दी ईसापूर्व के जंगी उकपरण बरामद हुए।
इसी प्रकार प्राचीन ईरान में लोहे के इस्तेमाल के संदर्भ में हख़ामनेशी शासन काल के पासारगार्द और तख़्त जमशीद में बचे अवशेष की ओर इशारा किया जा सकता है जहां के खंबों के निचले भाग और इमारतों के प्रवेश द्वार में लोहे का इस्तेमाल हुआ है। इन स्थानों पर बड़े आकार के तराशे गए पत्थरों को लोहे और लकड़ी के हुक से एक दूसरे से जोड़ा गया है।

पुरातनविदों के दस्तावेज़ों के अनुसार, चादरमलू, गुलगुहर और संगान जैसी कुछ खदानें प्राचीन काल में भी इस्तेमाल होती थीं। ये खदानें ईरान की बड़ी खदानों में गिनी जाती हैं। संगान लौह खदान दुनिया की लोहे की सबसे बड़ी खदानों में गिनी जाती है। संगान खदान ईरान के पूर्वोत्तर में ख़ुरासान रज़वी प्रांत में स्थित है। संगान खदान के विभिन्न भाग में खुदे हुए गड्ढे प्राचीन दौर में लौह अयस्क के निकलने का पता देते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इस खदान में 2 अरब टन से ज़्यादा लौह अयस्क मौजूद हैं।
लौह अयस्क का कैरेट, उसमें मौजूद आर्द्रता, शुद्धता, अयस्क का घेरा और कैरेट के बढ़ने की क्षमता, अयस्क के आंकलन की विशेषताएं हैं। इसलिए खनिज विज्ञान की अयस्क के क्षेत्र में बहुत अहमियत है। मुमकिन है किसी खनिज में लोहा ज़्यादा हो लेकिन उसकी बनावट के कारण जैसे संखिया युक्त खनिज को लोहे या स्पात बनाने के लिए कच्चे पदार्थ के रूप में इस्तेमाल नहीं कर सकते क्योंकि इससे पर्यावरण में प्रदूषण फैलता है। आज कल ज़्यादातर लौह अयस्क की अपग्रेडिंग के लिए या उसमें मौजूद अशुद्धता को ख़त्म करने के लिए मिनरल प्रॉसेसिंग होती है। मिनरल प्रॉसेसिंग का इतिहास पाषाण युग से मिलता है जब इंसान को पत्थर के उपकरण बनाने के लिए पत्थरों की पहचान और उसकी विशेषताओं को समझने की ज़रूरत थी। मिनरल प्रॉसेसिंग कार्यवाहियों का समूह है जो अयस्क पर उसे निकालने के बाद अंजाम दी जाती हैं। मिनरल प्रॉसेसिंग का ज़्यादातर लक्ष्य मूल्यवान खनिज को ग़ैर ज़रूरी खनिज से अलग करना होता है।

ईरान में खदान क्षेत्र के वैल्यू ऐडिड चक्र को विकसित व पूरा करने, कच्चे खनिज पदार्थ की ब्रिक्री को रोकने और सालाना आय बढ़ाने के लिए लोहे के छर्रे या टिकिया और कन्सनट्रेटेड अयस्क जैसे परिष्कृत उत्पाद बनाए जाते हैं। कन्सनट्रेटेड अयस्क उच्च कैरेट के लोहे का परिष्कृत उत्पाद है जो पाउडर की शक्ल में मौजूद होने के कारण बड़ी व वृत्ताकार भट्टियों में इस्तेमाल नहीं हो पाते। इसलिए इसे छर्रे या टिकिये का रूप देते हैं जो खदान से लोहे व स्पात के उत्पादन की भट्टियों के बीच मध्यवर्ती उत्पाद है। लौह अयस्क के परिष्कृत कन्सन्ट्रेट से टिकिये को पहले कच्चा बनाते, फिर पकाते और फिर ठोस बनाते हैं। कच्चे व स्पन्जी लोहे के उत्पादन की प्रक्रिया के लिए टिकिया मूल पदार्थ होती है।
गुल गोहर खदान भी ईरान में लाहे की बड़ी खदानों में से एक है। यह खदान दक्षिणी ईरान के फ़ार्स प्रांत में स्थित है। गुल गोहर खदान में 1 अरब टन से ज़्यादा लौह अयस्क मौजूद है। इस खदान का इस्तेमाल लगभग 900 साल से हो रहा है। इस खदान में अयस्क को छर्रे का आकार देने की परियोजना पर काम हो रहा है ताकि स्पात के उत्पादन के च्क्र में संतुलन आए और उत्पादों का मूल्य बढ़े। लौह अयस्क से हासिल होने वाला एक और उत्पाद, कन्सनट्रेटेड अयस्क भी है। केन्द्रीय ईरान के मरुस्थल में स्थित चादरमलू खदान उन खदानों में है जिससे प्राप्त लौह अयस्क को कन्सन्ट्रेटेड उत्पाद में इस्तेमाल करते हैं।
लौह अयस्क लोहे और स्पात के उत्पादन के लिए मुख्य कच्चा माल है। दुनिया में खदानों से निकलने वाले लौह अयस्क का 90 फ़ीसद से ज़्यादा हिस्सा स्पात के उत्पादन में इस्तेमाल होता है। लोहा चूंकि अपेक्षाकृत नर्म धातु होती है, अत: यह कार्बन, मैंगनीज़, और सिलिकॉन से मिलकर स्पात जैसी मज़बूत मिश्रित धातु बनती है। स्पात लोहे की तुलना में ज़्यादा मज़बूत होता है। आज लोहा और स्पात जैसी उसकी मिश्रित धातु, दुनिया में विभिन्न प्रकार के यंत्र बनाने का आधार है और घर निर्माण, पुल निर्माण, मोटर-गाड़ी निर्माण, नौका निर्माण और रेल इंजन के निर्माण में बहुत उपयोगी है। देशों के विकास में स्पात उद्योग की अहमियत, इस उत्पाद का पर्यावरण के अनुकूल होना और अगले कुछ दशकों में संयुक्त राष्ट्र संघ के आकलन के अनुसार, स्पात की मांग बढ़ने की संभावना के मद्देनज़र इस क्षेत्र में सरकारों और निजी क्षेत्र की कंपनियों की ओर से पूंजि निवेश बढ़ा है। इस समय ईरान में स्पात के क्षेत्र में सक्रिय कंपनियों जैसे इस्फ़हान मुबारका स्पात कॉम्पलेक्स, कावियान स्पात, बुनाब स्पात कॉम्पलेक्स, सावे पाइप निर्माण कारख़ाना, ख़ूज़िस्तान स्पात कंपनी और सिपाहान औद्योगिक गुट स्पात, पुर्ज़े, सलाख़ और नाना प्रकार के पत्तर के उत्पादन में सक्रिय हैं। ईरान के स्पात उद्योग के उत्पाद देश के आंतरिक बाज़ार की आपूर्ति के साथ साथ मध्यपूर्व, अफ़्रीक़ा और यूरोप के कुछ देशों को भी निर्यात करते हैं।