ईरान के तालाब-18
शादगान तालाब के दक्षिण पश्चिमी ईरान में स्थित है।
दक्षिणी ईरान के ख़ुज़िस्तान प्रांत की राजधानी अहवाज़ से अबादान के रास्ते में 100 किलोमीटर की दूरी पर एक स्थान है दारख़ुईन। दारखुईन से एक रास्ता शादगान नगर की ओर जाता है। इसी नगर के निकट ईरान का अति सुन्दर तालाब, शादगान स्थित है।
ईरान के दक्षिण पश्चिम में स्थित यह तालाब, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का है। वास्तव में शादगान तालाब, तीन अन्य तालाबों से मिलकर बना है। शादगान, ख़ूरमूसा और ख़ूर अलामिये। शादगान तालाब का क्षेत्रफल चार लाख हेक्टेयर है। इसको सन 1975 में अन्तर्राष्ट्रीय रायसर कन्वेंशन में पंजीकृत किया गया था। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का तालाब शादगान, एक विस्तृत पारिस्थितिक प्रणाली है। दक्षिणी छोर से यह फ़ार्स की खाड़ी से मिलता है। शादगान तालाब की प्रमुख विशेषताओं में कई चीज़ों का नाम लिया जा सकता है जैसे इसका विस्तृत होना, पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण होना और इसी प्रकार की अन्य विशेषताएं। स्थानीय लोगों की आजीविका चलाने में शादगान तालाब की महत्वपूर्ण भूमिका है। शादगान तालाब के तट पर तीन नगर स्थित हैं। शादगान, अबादान और माहशहर। इसके अतिरिक्त इसके तट पर कई गांव भी पाए जाते हैं। दो गांव एसे भी हैं जो शादगान तालाब के भीतर बसे हुए हैं जिनके नाम हैं सराख़िये और रग्बे। प्रकृति की दृष्टि से यह बहुत ही सुन्दर हैं जिनको देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां पर आते हैं। इन गांवों के निवासी, नाव से एक स्थान से दूसरे स्थान जाते हैं।
रोचक बात यह है कि शादगान तालाब का संरक्षित क्षेत्र ऐसा है जहां पर पानी दिखाई नहीं देता। शादगान नगर का वातावरण और वहां की जलवायु “ख़ूर” जैसी है। ख़ूर वे स्थान हैं जो फ़ार्स की खाड़ी के भीतर पाए जाते हैं। यह वे स्थान हैं जो फ़ार्स की खाड़ी के भीतर एक प्रकार के कटाव हैं और स्थानीय भाषा में ख़ूर कहलाते हैं। इन स्थानों पर जहाज़ों को रोका जाता है और बहुत से जहाज़ और कश्तियां यहां पर लंगर डालती हैं। कहा जाता है कि शादगान तालाब, वास्तव में उस विस्तृत तालाब का ही एक भाग है जो एक समय ईरान तथा इराक़ की सीमा पर स्थित था। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि शादगान तालाब, ऐसे विस्तृत तालाब का ही भाग है जो अति प्राचीन काल से संबन्धित है। इसकी अधिकतर गहराई ढाई मीटर है।
शादगान तालाब की एक अचंभित करने वाली विशेषता यह है कि यहां पर खारा और मीठा पानी एक साथ पाया जाता है। इसकी वजह से पर्यावरण की दृष्टि से इसका महत्व कई गुना हो गया है। इस तालाब के मीठे पानी की आपूर्ति जराही और कारून नदियों से होती है। जबकि यहां का खारा पानी फ़ार्स की खाड़ी के माध्यम से यहां तक पहुंचता है। तालाब के जिस क्षेत्र में मीठा पानी पाया जाता है वहां पर प्रचुर मात्रा में वनस्पतियां पाई जाती हैं। इसके विपरीत जहां पर खारा पानी होता है वहां पर वनस्पतियां न के बराबर हैं।
शादगान तालाब को प्राकृतिक दृष्टि से न केवल क्षेत्र के लिए बल्कि विश्व के लिए भी महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है। इस तालाब से पर्यावरण को कई प्रकार के लाभ हैं जैसे बाढ़ को रोकना, जल को प्रदूषण मुक्त बनाना, पानी को सहेज कर रखना, जल के पोषक तत्वों को अपने अंदर सोख लेना और पलायनकर्ताओं का शरणस्थल आदि। बाढ़ को रोकने में शादगान तालाब इतना अधिक महत्वपूर्ण और प्रभावी है कि इसको अबादान, ख़ुर्रमशहर और शादेगान के लिए एक महत्वपूर्ण बांध के रूप में समझा जाता है।
यहां पर मीठे और खारे पानी में रहने वाली दोनों प्रकार की मछलियां पाई जाती हैं। कई प्रकार की सजावटी मछलियां भी शादगान तालाब में वास करती हैं। इस तालाब और इसके निकटवर्ती क्षेत्रों में नाना प्रकार के पशु, पक्षी और रेंगने वाले जानवर पाए जाते हैं। कम से कम 300 प्रकार के पशु और पक्षी एवं रेंगेन वाले, शादगान तालाब के निकट रहते हैं। यही कारण है कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इस तालाब को विशेष महत्व प्राप्त है। शादगान तालाब में डॉलफ़िन भी पाई जीत है। इस तालाब के तटीय क्षेत्र के निकट डॉलफ़िन को खेलते हुए देखा जा सकता है। पशुओं में भैंस ही वह जानवर है जो यहां पर अधिकता से दिखाई देती है।
शादगान तालाब के भीतर और किनारे-किनारे बहुत सी वनस्पतियां मौजूद हैं। शायद यही कारण है कि विभिन्न प्रजातियों के पलायनकर्ता पक्षी यहां पर शरण लेने आते हैं। साइबेरिया और उत्तरी यूरोप के प्रवासी पक्षी विभिन्न मौसमों में यहां पर आते हैं। शादगान तालाब में 260 से अधिक प्रजातियों के पक्षी विभिन्न मौसमों में यहां पर पहुंचते हैं। इनमें से 175 जातियां, प्रवासी पक्षियों की हैं। बहुत से पर्यटक इन पक्षियों को निकट से देखने के लिए दूर-दूर से शादगान तालाब पहुंचते हैं। पूरी दुनिया में ईरान का शादगान तालाब ही वह एकमात्र स्थान है जहांपर एक विशेष प्रकार की दुर्लभ जाति की बत्तख़ें पाई जाती हैं।
शादगान तालाब के निकट बसे हुए लोग, शताब्दियों से अपनी आजीविका के लिए इसीपर निर्भर हैं। आज भी यहां के वासी पशुपालन, मछलीपालन, खेती और वनस्पतियां एकत्रित करके उन्हें बेचते हैं जिससे उनकी आजीविका चलती है। इसके अतिरिक्त क्षेत्र के लोग चटाई बनाने, डलिया बनाने और इसी प्रकार के दस्तकारी के काम करते हैं। यहां पर चटाइयां सामान्यतः खजूर के पत्तों से बनाई जाती हैं। यहां की बनी चटाइयों को बहुत पसंद किया जाता है। बहुत से लोग जो शादगान तालाब के भ्रमण के लिए यहां आते हैं, यहां की बनी दस्तकारी की चीज़ों को उपहार स्वरूप दूसरों को देते हैं।