Aug ०८, २०१७ १६:१८ Asia/Kolkata

तालाबों ने ईरान की सुन्दरता में चार चांद लगा दिए हैं।

यह हर साल बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। विशाल ईरान में सैकड़ों तालाब मौजूद हैं। ईरान के 42 प्रकार के तालाबों में से 41 प्रकार के तालाब रामसर अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन की परिभाषा में शामिल होते हैं। इन तालाबों में से कुछ को रामसर अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन में पंजीकृत किया गया है। नैरीज़ तालाब भी इन्हीं तालाबों में से एक है।

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दो छोटी झीलें बख़्तगान और तश्क मिलकर नैरीज़ तालाब का रूप धारण करती हैं। जब नैरीज़ झील में पानी भरा होता है उसकी अधिकतम गहराई 2 मीटर होती है और तश्क झील की अधिकतम गहराई 1 मीटर है। 1354 हिजरी शम्सी में इस इलाक़े को बर्ड सैंक्चरी घोषित कर दिया गया और 1374 में इसे नेश्नल पार्क बना दिया गया, जिसमें बख़्तगान, तश्क, बख़्तगान झील के उत्तर में मौजूद तालाब और हाइट्स शामिल हैं। ऑस्ट्रियाई शोधकर्ता हेंस लूफ़लर के अनुसार, नैरीज़ तालाब दुनिया के कुछ चुनिंदा तालाबों में से एक है, सर्दियों में इसके पूर्वी भाग में मीठा पानी और गर्मियों में पश्चिमी भाग में खारा पानी बहता है। यह एक ऐसी विशेषता है कि जो बहुत ही कम किसी तालाब में देखने में आती है।

ईरान के नक़्शे के हिसाब से इस तालाब तक पहुंचने के लिए उत्तरी दिशा से दक्षिणी ओर जाना पड़ेगा, ताकि फ़ार्स प्रांत तक पहुंच सकें। इस प्रांत में कई सुन्दर तालाब हैं. नैरीज़ तालाब ऐतिहासिक शहर शीराज़ से पूरब में स्थित है। कर नदी इस तालाब के जल स्रोतों में से एक है।

कर नदी के मीठे पानी के कारण, नीरीज़ तालाब भी मीठे पानी के लिए प्रसिद्ध है। इलाक़े के सोतों से भी इन झीलों में पानी गिरता है। नरगिस, गुंबान, और मनाक टापू इन दो झीलों के महत्वपूर्ण टापुओं में से हैं। इन टापुओं का क्षेत्रफल सालाना होने वाली बारिश के अनुपात से घटता और बढ़ता रहता है। कर नदी के तालाब में गिरने का इलाक़ा, रीड और टमरिस से भरा हुआ है। इन झीलों के आसपास के इलाक़े में पहाड़ी पिस्ते मौजूद हैं। इसी प्रकार झील के तटीय इलाक़ों और जंगलों में बाग़ हैं और यहां कृर्षि होती है।

इस इलाक़े में पाई जाने वाली वनस्पतियों में विभिन्न प्रकार की काई, खारे पानी में होने वाली घास, रीड और टमरिस, अजवायन के फूल, ज़ीरा और सौंफ़ के नाम लिए जा सकते हैं। यहां पाए जाने वाले जानवरों में जंगली बिल्ली, भेड़, भेड़िया, लकड़बग्घा, गीदड़, लोमड़ी और कछुए का नाम लिया जा सकता है। इस इलाक़े में स्थानीय परिंदों के अलावा, प्रवासी परिंदे भी रहते हैं।

बारिश की कमी और झीलों में गिरने वाली नदियों और सोतों के पानी का खेती में अंधाधुंध प्रयोग होने, घाटी और निदियों के पानी के लिए दो बांधों का निर्माण और पर्यावरण पर ज़रूरी ध्यान न दिए जाने के कारण, दुर्भाग्यवश नीरीज़ तालाब को मोंटेरो सूची में शामिल कर लिया गया है।

मोंटेरो सूची में उन तालाबों को शामिल किया जाता है, जो पर्यावरण के लिहाज़ से उचित स्थिति में नहीं होते हैं या सूखने की कगार पर हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण, तालाबों की परिस्थितियों में बदलाव होता रहता है और उनकी स्थिति बदलती रहती है।

नैरीज़ तालाब के नाम से इसी इलाक़े में स्थित एक दूसरे अंतरराष्ट्रीय तालाब, कमजान का नाम दिमाग़ में आता है। कमजान तालाब शीराज़ से 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह तालाब ईरान के महत्वपूर्ण तालाबों में से एक है। इसे रामसर अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन में पंजीकृत किया गया है। कमजान तालाब प्रवासी परिंदों के पलायन के मार्ग में स्थित है। अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संस्थाओं के अनुसार, मध्यपूर्व के एक प्रतिशत परिंदे इसी झील में रहते हैं। हालिया शोध के अनुसार, पानी में रहने वाले, पानी के किनारे रहने वाले, प्रवासी और स्थानीय परिंदों की 100 प्रजातियां इस तालाब में रहती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि तालाब के आसपास के इलाक़ों में हिरन, सूअर, लकड़बग्घा और विशाल शरीर एवं छोटे शरीर वाली जंगली बिल्लियां, लोमड़ी और गीदड़ काफ़ी बड़ी संख्या में पाए जाते हैं।

कमजान तालाब में विभिन्न प्रकार की वनस्पतियां पाई जाती हैं जैसे कि रीड और टमरिस इत्यादि। कुछ स्थानों में इन वनस्पतियों की लम्बाई 6 से 8 मीटर तक है। यह तालाब पर्यावरण और आसपास के गांवों के लोगों के रोज़गार के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण है। अधिकांश स्थानीय लोग पशुपालन का काम करते हैं।

हालिया कुछ वर्षों में नैरीज़ तालाब को जिन परिस्थितियों का सामना है, वैसी ही कुछ परिस्थितियों का सामना कमजान तालाब को भी है, लेकिन यह तालाब स्थानीय लोगों के प्रयासों के कारण, किसी हद तक सुरक्षित है। फ़ार्स प्रांत में सूखे की स्थिति के कारण, स्थानीय लोगों ने इस तालाब को पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया और अपनी खेती की ज़मीनों में खेती न करके पानी को तालाब में जाने दिया। इस प्रकार तालाब का लगभग 4 हेक्टेयर इलाक़ा पानी से भर गया, वहां फिर से वनस्पतियां उगने लगीं और परिंदों ने उसे अपना आशियाना बनाना शुरू कर दिया। आज भी परिंदों के ध्यान योग्य घोंसले वहां मौजूद हैं और परिंदे अंडे दे रहे हैं।             

       

 

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