ईरानी बाज़ार -28
अभी तक यह बात इतिहास से साबित नहीं हो सकी है कि अख़रोट या आख़रोट का पेड़ सबसे पहले किस स्थान पर उगा।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अख़रोट धरती पर इंसान के पैदा होने से पहले से है।
प्राचीन दस्तावेज़ों से पता चलता है कि सैकड़ों साल ईसापूर्व अख़रोट की बाग़बानी का चलन था। एशिया माइनर, पश्चिम एशिया, हिमालिया के क्षेत्र और चीन उन क्षेत्रों में हैं जहां यह माना जाता है कि अख़रोट का पेड़ सबसे पहले उगा है।

अख़रोट के पेड़ की ऊंचाई 10 से 40 मीटर तक बतायी जाती है। इसका तना चिकना व सिल्वर रंग का होता है। इसकी कुछ प्रजातियों के तने स्लेटी रंग के होते और उनके पत्ते महकते हैं। अख़रोट ऐसा पेड़ है जिस पर नर और मादा दोनों प्रकार के फूल अलग – अलग निकलते हैं। इसलिए इसका ख़ुद से परागण भी होता है और यह दूसरे पेड़ों को परागण करता है। अख़रोट का परागण हवा से होता है इसमें कीड़े- मकोड़ों का कोई रोल नहीं होता। अख़रोट का मवा छूने में सख़्त लगता है क्योंकि उस पर लकड़ी जैसा ख़ोल चढ़ा होता है जब उसे तोड़ते हैं तो उसके भीतर गूदा निकलता है। यह गूदा दो भागों में विभाजित होता है।
अख़रोट का पेड़ गर्मी और सर्दी के मौसम में सीमा से अधिक गर्मी या सर्दी से संवेदनशील होता है। अख़रोट के पेड़ के फल के लिए तय्यार उसकी प्रजाति, जलवायु और स्थान पर निर्भर है। विभिन्न प्रकार की प्रजातियों के अनुसार, अख़रोट का पेड़ तय्यार होने में 3 से 20 साल का वक़्त लगता है। अर्थात अख़रोट की कुछ प्रजातियां ऐसी हैं जिनके पेड़ तीन साल में फल देने के लिए तय्यार हो जाता हैं और कुछ प्रजाति ऐसी हैं जिन्हें तय्यार होने में 20 साल लगते हैं। अख़रोट का पेड़ जब 50 से 60 साल के बीच होता है तब उस पर सबसे ज़्यादा फल लगते हैं। जब अख़रोट का छिलका चटख़ता है और भीतरी ख़ोल भूरे रंग की हो जाती है तो इसका मतलब होता है कि अख़रोट अब पक गया है। उसे तोड़ने में किसी तरह की देरी से उसकी गुणवत्ता में कमी आ जाती है और उसके पेड़ में किसी तरह की बीमारी लगने का ख़तरा पैदा हो जाता है।

अख़रोट आर्थिक दृष्टि से बहुत अहमियत रखता है। इसका फल , पत्ता, छिलका, तना और जड़ विभिन्न उद्योग जैसे फूड़ इंडस्ट्री , बढ़ईगीरी व दवा निर्माण उद्योग में इस्तेमाल होता है।
अख़रोट ऐसा मेवा है जो ताज़ा और सूखा दोनों रूप में खाया जाता है।
यह इंसान की सेहत के लिए बहुत ही फ़ायदेमंद मेवा है। यह स्वादिष्ट मेवा पोषक तत्वों से भरपूर होता है। अख़रोट में प्रोटीन , शकर, पानी , विटामिन, खनिज पदार्थ और वसा पायी जाती है। आम तौर पर अख़रोट के दिमाग़ी टॉनिक के नाम से जाना चाहता है। इसका कारण यह है कि अख़रोट शक्ल में इंसान के मस्तिष्क जैसा दिखता है। अख़रोट से दिमाग़ तेज़ काम करता है। इसका सेवन इंसान को अल्ज़ाइमार और पार्किन्सन से बचाता है। इसमें ओमेगा 3 पाया जाता है। शोध से पता चलता है कि शरीर के लिए ज़रूरी अम्ल ओमेगा-3 माइग्रेन, स्ट्रेस, स्नायुतंत्र में तनाव और अवसाद के एलाज में बहुत प्रभावी होता है।
इसमें 15 फ़ीसद नॉन सैचरेटिड वसा होती है जो दिल के लिए बहुत फ़ायदेमंद है। अख़रोट बुरे कलेस्ट्रोल एलडीएल के स्तर को नीचे लाता और अच्छे कलेस्ट्रोल एचडीएल के स्तर बढ़ता है।

अख़रोट फेफड़े से जुड़ी बीमारियों के एलाज में भी बहुत प्रभावी होता है। इसी प्रकार अख़रोट यकृत और पित्त में पत्थरी बनने से रोकता है। इसी प्रकार इसके नियमित सेवन से दिल का दौरा नहीं पड़ता । कहा जाता है कि अख़रोट को अंजीर व केले के साथ खाने से दिमाग़ तेज़ी से काम करता है। अख़रोट में मौजूद तांबा शरीर में आयरन को हज़्म करने में मदद करता है । इसी प्रकार एक अख़रोट में इतना फ़ासफ़ोरस होता है जितना एक मछली या मुर्ग़ी के एक अंडे में होता है।
अख़रोट संक्रमण को भी ठीक करता है। अख़रोट के छिलके में टेनिन नामक पदार्थ भरपूर मात्रा में होता है जो पुराने दस्त और ख़ून की कमी को दूर करता है। इसी प्रकार अख़रोट दमा व जोड़ों में दर्द के पलाज, इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाने , शरीर में ख़ून के थक्का बनने से रोकने, मटैबलिज़्म, रक्तचाप व शरीर में शर्करा को संतुलित रखने में प्रभावी होता है। अख़रोट ख़ून में वसा के ऑक्सीकरण और धमनी को तंग होने से रोकता है। अख़रोट में मौजूद एन्टी ऑक्सीडंट कैंसर से ग्रस्त होने की संभावना कम करता है। मोटापे का कम करने और तव्चा व बाल केस्वास्थ्य के लिए भी अख़रोट बहुत फ़ायदेमंद है।
अख़रोट के पत्ते में मौजूद रस कीटनाशक का काम करता है। इसकी लकड़ी बहुत मज़बूत व क़ीमती होती है। इसकी लकड़ी पर पॉलीश आसानी से होती है। इसी प्रकार इसकी लकड़ी तक्षणकला के लिए भी बहुत उपयोगी होती है। कभी कभी अख़रोट की लकड़ी पर छोटी – बड़ी गांठ पड़ जाती है जिसे अच्छी तरह काट कर सुंदर कलाकृति बनायी जा सकती है। अख़रोट की लकड़ी कवर, सोफ़ासेट, वाद्य यंत्र, तक्षणकला, मोअर्रक़कारी नामक लकड़ी पर विशेष चित्रकारी , वुडटर्नरी यहां तक कि बंदूक़ के बट बनाने में इस्तेमाल होती है।

आज कल दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में अख़रोट का पेड़ प्राकृतिक रूप से उगता है या फिर इसकी बाग़बानी की जाती है। दुनिया में आर्थिक दृष्टि से ज़्यादा फ़ायदेमंद उत्पादों में अख़रोट भी है। दुनिया में अख़रोट की बाग़बानी 10 लाख हेक्टर से ज़्यादा क्षेत्रफल पर फैल चुकी है। हर हेक्टर से लगभग 3400 किलोग्राम अख़रोट की पैदावार होती है। ईरान भी उन देशों में शामिल है जहां अख़रोट की बाग़बानी व उत्पादन का इतिहास बहुत पुराना है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सबसे पहले ईरान में अख़रोट का पेड़ उगा है और ईरान से दुनिया के अन्य क्षेत्रों में गया है। ईरान के जंगली अख़रोट के पौधे पूर्वी योरोप के कारपेथियन, तुर्की, इराक़, दक्षिणी रूस और अफ़ग़ानिस्तान से लेकर पूर्वोत्तरी हिमालया में पाए गए हैं, जिससे इस बात की पुष्टि होती है।
इस समय ईरान में लगभग डेढ़ लाख हेक्टर क्षेत्रफल पर अख़रोट की बाग़बानी होती है। इस समय ईरान में सालाना 2 लाख टन से ज़्यादा अख़रोट का उत्पादन होता है। ईरान दुनिया में अख़रोट के उत्पादन की दृष्टि से तीसरे स्थान पर है। ईरान में प्रति व्यक्ति अख़रोट का उत्पादन बाक़ी दुनिया में प्रति व्यक्ति की तुलना में छह गुना है।
ईरान में प्रति व्यक्ति अख़रोट का उत्पादन लगभग 3 किलोग्राम है।
ईरान में लगभग 1.5 अरब डॉलर मूल्य के अख़रोट का उत्पादन होता है कि इसके बड़े का उपयोग देश के भीतर होता है। अख़रोट से तेल निकालने और स्वाद की दृष्टि से ईरान दुनिया के स्वादिष्ट अख़रोट में शामिल है। ईरान में एक टन अख़रोट से लगभग 640 किलोग्राम खाद्य तेल निकलता है।

ईरान के विभिन्न इलाक़ों में अख़रोट का पेड़ उगता है। उत्तरी ईरान की गोज़ और मोग़ान घाटी से लेकर दक्षिणी ईरान के फ़ार्स प्रांत के इक़लीद ज़िले तक और इसी प्रकार उरूमिये के दक्षिण- पश्चिमी पहाड़ी इलाक़े से लेकर दक्षिण- पूर्व में तफ़्तान पहाड़ तक अख़रोट के पेड़ उगते हैं। ईरान के जिन प्रांतों में अख़रोट का उत्पादन ज़्यादा होता है वे किरमान, किरमानशाह, हमेदान, कहगीलूए व बुवैर अहमद, दक्षिणी ख़ुरासान, पश्चिमी व पूर्वी आज़रबाइजान, चहार महाल बख़्तियारी और केन्द्रीय प्रांत हैं। ईरानी अख़रोट अपनी गुणवत्ता व स्वादद के लिए मशहूर है। ईरानी अख़रोट इराक़, तुर्की, जर्मनी और ब्रिटेन सहित दुनिया के 30 देशों को निर्यात होता है।
ईरान में जुगलन्स प्रजाति का अख़रोट उगता है। आम तौर पर जिन इलाक़ों में अख़रोट का उत्पादन होता है, उन्हीं इलाक़ों के नाम से अख़रोट मशहूर है। जैसे तूइसरकान, शहमीरज़ाद, क़ज़वीन , तालेक़ान , शहरे कुर्द, आज़रबाइजान और दमावंद के अख़रोट। इसी प्रकार ईरान में अख़रोट की अन्य क़िस्में काग़ज़ी , संगी, माकूई, सूज़नी , नूक कलाग़ी और ज़ियाआबादी कहलाती हैं।
ईरान में हमेदान प्रांत अख़रोट की बाग़बानी के लिए उचित प्रांतों में गिना जाता है। इसका एक कारण हमेदान प्रांत की अच्छी जलवायु है जो अख़रोट की बाग़बानी के लिए उपयुक्त है। पूरे हमेदान प्रांत में अख़रोट की बाग़बानी का नज़ारा दिखाई देता है। इस प्रांत के विभिन्न इलाक़ों में तुइसरकान अख़रोट की बाग़बानी के लिए सबसे उचित क्षेत्र है। तूइसरकान अलवंद पर्वत श्रंख्ला के दामन में स्थित है। तुइसरकान की खेतिहर भूमि के एक तिहाई भाग पर अख़रोट का उत्पादन होता है। तुइसरकान के अख़रोट को वसा के स्तर, गूदे के आकार और सफ़ेदी की दृष्टि से दुनिया के बेहतरीन अख़रोटों में गिना जाता है।