ईरानी बाज़ार -29
मानव आविष्कार के इतिहास में पॉलिमर का उत्पादन हैरतअंगेज़ आविष्कार में है।
पॉलिमर इंसान के रचनात्मक विचार के व्यवहारिक होने का नतीजा है। यह इंसान की लंबे समय से चली आ रही कामना का व्यवहारिक रूप भी है। पूरे इतिहास में बहुत से लोगों ने यह कोशिश की कि केमिकल रिएक्शन के ज़रिए रासायनिक तत्वों और उनके कम्पोज़िशन में शुद्धिकरण के ज़रिए अपनी मर्ज़ी के उत्पाद बनाएं। पॉलिमर के निर्माण में सफलता से इंसान की यह पुरानी कामना व्यवहारिक हो सकी।

पॉलिमर का प्लास्टिक उत्पादों के निर्माण में बहुत निर्णायक रोल होता है। सिन्थेटिक पालिमर बनाने से पहले इंसान ने सेल्यलोस, प्रोटीन, रबर और तारकोल जैसे प्राकृतिक पालिमर बनाए थे। इंसान लंबे समय तक प्राकृतिक पालिमर से जीवन में उपयोगी औज़ार बनाता रहा। लेकिन 19वीं शताब्दी के दूसरे अर्ध में प्लास्टिक के निर्माण से इंसान के जीवन में बहुत बदलाव आया। प्लास्टिक के पदार्थ का ढांच कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, गंधन और क्लोरीन जैसे प्रकृति में मौजूद रासायनिक तत्वों पर निर्भर होता है। प्लास्टिक का इस्तेमाल बहुत से कामों में होता है। मोबाइल, हेलमेट, ग्लूकोज़ चढ़ाने में इस्तेमाल होने वाली बोतल, एक बार इस्तेमाल होने वाले बर्तन, नाना प्रकार के बिजली से चलने वाले साधन और इन सबसे ज़्यादा पदार्थ को ढोने के लिए प्लास्टिक बैग बनाने में विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है। प्लास्टिक का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल पैकिंग में होता है। कुल प्लास्टिक के इस्तेमाल का 30 फ़ीसद हिस्सा पैकिंग से विशेष है और दुनिया में इस्तेमाल होने वाले कुछ पेट्रोलियम पदार्थ का सिर्फ़ 4 फ़ीसद भाग प्लास्टिक उत्पादन में इस्तेमाल होता है।
आपको यह जान का हैरत होगी कि 150 साल पहले तक दुनिया में इस्तेमाल होने वाले विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक का वजूद न था। प्लास्टिक के इस्तेमाल का इतिहास 1868 से पहले पलटता है। पाइराक्सिलिन के कंबीनेशन से सेल्यलोज़ नामक एक नया पदार्थ वजूद में आया। सेल्यलोज़ में विकास से प्लास्टिक उद्योग विकसित हुआ। सेल्यलोज़ का सबसे अहम इस्तेमाल चलचित्र फ़िल्म बनाने में हुआ। इसके 50 साल से कम समय में अर्थात 1909 के बाद पलास्टिक उद्योग ने दूसरी छलांग उस समय लगाई जब फ़ीनाल नामक पदार्थ वजूद में आया। प्लास्टिक उद्योग ने तीसरी छलांग 1920 के दशक में उस समय लगायी जब इस उद्योग में ऐसिटेट सेल्यलोज़ इस्तेमाल होने लगा।
यह बात पूरे विश्वास से कही जा सकती है कि प्लास्टिक उद्योग डाउनस्ट्रीम उद्योग में बहुत अहम है और दुनिया में पेट्रोकेमिकल, पालिमर और रसायन उद्योग को मूल पदार्थ मुहैया करता है।

प्लास्टिक अपनी ख़ास विशेषता के कारण दुनिया में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाले पदार्थ में शामिल है। धातु की तुलना में प्लास्टिक हल्की होती है इसलिए विभिन्न स्थानों व परिस्थितियों में यह इस्तेमाल हो सकती है। चूंकि प्लस्टिक में बिजली के प्रवाह को रोकने की क्षमता होती है इसलिए इसे बिजली उद्योग में बहुत इस्तेमाल किया जाता है। नंगे तारों पर परत चढ़ाने, बिजली के औज़ार व उपकरण, विभिन्न प्रकार की कुंजी, स्क्रूड्राइवर और साकेट बनाने में प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है। चिकित्सा उद्योग में भी प्लास्टिक का इस्तेमाल बहुत होता है। चूंकि प्लास्टिक में माइक्रोब फैल नहीं पाता इसलिए चिकित्सा, शल्य और दंत चिकित्सा के औज़ार और दवा निर्माण में भी प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है। गर्मी व विभिन्न प्रकार के पर्यावरण का सामना करने में सक्षम होना और नाना प्रकार के रासायनिक पदार्थ को अपने भीतर रखना प्लास्टिक की अन्य विशेषता है। इसी प्रकार प्लास्टिक की एक विशेषता यह होती है कि वह विभिन्न प्रकार के रंग में ढल सकती है। इसी प्रकार प्लास्टिक के मूल पदार्थ की क़ीमत कम होती है और इसके उत्पाद को कम समय में तेज़ी से बनाया जा सकता है।
ईरान चूंकि पेट्रोकेमिकल उद्योग में आगे है बहुत ज़्यादा पेट्रोकेमिकल उत्पादों का उत्पादन करता है इसलिए वह दुनिया में प्लास्टिक पदार्थ के उत्पादकों में गिना जाता है। प्लास्टिक पेट्रोकेमिकल उद्योग के उत्पादों में है और इसमें पेट्रोकेमिकल के अन्य उत्पादों की तुलना में विकसित होने की सबसे ज़्यादा क्षमता है। जैसा कि आप जानते हैं कि तेल व गैस के स्रोतों से संपन्न देशों में आर्थिक व सामाजिक विकास के लिए ज़रूरी उद्योगों में पेट्रोकेमिकल उद्योग भी है। ईरान में पूंजिनिवेश की प्राथमिकताओं में पेट्रोकेमिकल उद्योग में विकास करना शामिल है। ईरान में पेट्रोकेमिकल उद्योग में बहुत ज़्यादा संभावना के मद्देनज़र पूंजिनिवेश के माहिर एलिस्टर हेनमन का मानना है कि ईरान में पूंजिनिवेश के अपार अवसर हैं। ईरान में उत्पादन के लिए ढांचागत सुविधा मौजूद है और दीर्घकाल में ईरान बहुत अधिक पेट्रोकेमिकल उत्पाद का निर्यात करने वाले देशों में ज़रूर होगा।

वर्ष 2014 में पश्चिम एशिया में कुल पेट्रोकेमिकल उत्पाद में ईरान की अकेले भागीदारी 25 फ़ीसद थी। ईरान में सालाना 50 लाख टन पालिमर का उत्पादन होता है और 10 लाख टन से ज़्यादा पालिमर व्यापारिक इस्तेमाल में आने वाली प्लास्टिक के उत्पाद में इस्तेमाल होता है। इस समय ईरान में 50 से ज़्यादा पेट्रोकेमिकल कंपनियां हैं जो घरेलू सामान, ऑटोमोबाइल और टेक्सटाइल उद्योग में नाना प्रकार के उत्पाद बना रही हैं। पेट्रोकेमिकल से जुड़े लोग इसके डाउनस्ट्रीम उद्योग में अधिक पूंजिनिवेश की कोशिश कर रहे हैं ताकि नई तकनीक के ज़रिए अच्छे उत्पाद बाज़ार में उतारें।
ईरान में प्लास्टिक उद्योग के साथ मलामिन उद्योग भी बहुत अहम है। इस वक़्त दुनिया में मलामिन उत्पाद में दुनिया के 3 बड़े देश में ईरान भी है। पिछले वर्षों में ईरान में मलामिन उद्योग से जुड़े लोग ने बर्तनों के रंग रूप में रचनात्मकता और उत्पादन इकाइयों में गुणवत्ता को चेक करने वाली मशीनों के ज़रिए नाना प्रकार के उत्पाद बनाने और उन्हें फ़ार्स खाड़ी, पूर्वी योरोप, दक्षिणी अफ़्रीक़ा और दक्षिण अमरीकी देशों के बाज़ार में उतारने में सफल हुए।

इस बात में शक नहीं कि प्लास्टिक से हमारा दैनिक जीवन तो बहुत आसान हो गया लेकिन इसके अंधाधुंध इस्तेमाल ने पर्यावरण के लिए बहुत बड़ी मुश्किल पैदा कर दी है। इस समय व्यापारिक उपयोग वाले पालिमर ख़ास तौर पर प्लास्टिक पर्यावरण के दूषित होने का बहुत बड़ा कारण है और धरती पर जीवन के लिए बहुत बड़ा ख़तरा बन गया है। प्लास्टिक को रिसाइकल करने वाले उद्योग लगाकर पर्यावरण पर प्लास्टिक के विनाशकारी असर को कम किया जा सकता है। रिसाइकल उद्योग के ज़रिए प्लास्टिक उत्पाद बेहतर ढंग से इस्तेमाल हो सकता है। हालांकि ईरान में रिसाइकिल उद्योग अभी जवान है लेकिन इसके बावजूद इस क्षेत्र में ईरानी वैज्ञानिकों ने अंतर्राष्ट्रय स्तर की सफलता हासिल की है। ईरानी वैज्ञानिकों ने पीईटी बोतलों को रिसाइकल करने की नई शैली ढूंढी है जिससे पीईटी बोतलें बार बार रिसाइकल हो सकती हैं। 2015 में इटली में इससे जुड़ी एक प्रतियोगिता में ईरानी टीम ने पहला स्थान हासिल किया। नई शैली से हासिल होने वाला पदार्थ 99.5 फ़ीसद शुद्ध होता है जो पीईटी बोतल के निर्माण का मूल पदार्थ है और उसे पीईटी उद्योग के अलावा टेक्साटाल और रंग उद्योग में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
पर्यावरण पर पड़ने वाले प्लास्टिक के विनाशकारी प्रभाव को कम करने का एक उपाय वानस्पतिक पदार्थ से बने थैलों का उत्पादन व इस्तेमाल है क्योंकि ऐसे पदार्थ तेज़ी से घुलनशील होते हैं। ईरान में कुछ नालिज बेस्ड कंपनियों ने इस क्षेत्र में पूंजिनिवेश किया और वानस्पतिक पदार्थ से बने डिस्पोज़बल उत्पाद बनाने में सफलता हासिल की है। ईरान में इन कंपनियों ने चावल की भूसी और रस निकले हुए गन्ने से डिस्पोज़बल उत्पाद बनाए हैं। ईरान दुनिया में उन 5 देशों में है जहां माड़ी से डिस्पोज़बल उत्पाद बनते हैं।