Sep २३, २०१७ १७:२६ Asia/Kolkata

इस सप्ताह हम मानव इतिहास के अत्यंत प्राचीन उद्योग के बारे में बात करेंगे यह है बुनाई उद्योग।

यह उद्योग मानव समाज की मूल भूत आवश्यकताओं में दूसरे नंबर की आवश्यकता अर्थात कपड़ा की पूर्ति करता है। दुनिया में बुनाई के जो प्राचीन अवशेष मिले हैं उनका संबंध पाषाण युग से बताया जाता है।

बुनाई और कताई दोनों ही एक दुसरे से जुड़े हुए हैं और पोशाक तैयार करने में इनका महत्वपूर्ण स्थान है। कपड़ा बुन कर तैयार होने तक कई चरण तय करने पड़ते हैं। सबसे पुराना यंत्र जो कपड़े की बुनाई में प्रयोग हुआ वह तकली है जिसकी मदद से धागा काता जाता है। यह यंत्र जैसे जैसे विकसित रूप धारण करता गया कपड़े की बुनाई का काम भी उतना ही विकास करता गया। आगे चलकर करघा आदि जैसे यंत्र बना लिए गए।

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कपड़ा बुनाई का यंत्र जिसका बाद में विकासित रूप लूम है पहली बार चार हज़ार वर्ष ईसापूर्व अस्तित्व में आया। यह यंत्र मानव जाति के अति प्राचीन यंत्रों में है। इसको विकसित करने में चीन, ईरान, सीरिया और मिस्र की सभ्यता का महत्वपूर्ण योगदान है। अलग अलग जातियों में कपड़े की बुनाई के अलग अलग तरीक़े प्रचलित रहे हैं। यह तरीक़े कभी कभी आपस में मिल भी गए और नतीजे में अलग अलग डिज़ाइनों के कपड़े तैयार हुए। समय बीतने और नए नए परिवर्तन होने के साथ साथ बुनाई उद्योग में भी बदलाव आया। जब उद्योगिक क्रान्ति हुई तो बुनाई उद्योग को भी नई गति मिल गई। बल्कि बहुत से लोग तो यह मानते हैं कि अनेक देशों के औद्योगिक बनने में बुनाई उद्योग की मूल भूमिका रही है। कपड़े बनने के उद्योग ने व्यापक रूप धारण किया तो कई देशों क औद्योगिकीकरण का रास्ता खुल गया।

अतीत मे बुनाई उद्योग केवल धागे और कपड़े के उत्पादन तक सीमित था लेकिन अब बहुत व्यापक व जटिल उद्योग में बदल गया है। अब कपड़े की बुनाई के साथ ही क़ालीन और तरह तरह के फ़र्श बुने जा रहे हैं जिनका उपयोग हवाई जहाज़ों सहित अनेक स्थानों पर हो रहा है। यह भी जानना रूचिकर होगा कि कृत्रिम हृदय बनाने के लिए भी बुनाई वाले फ़ाइबर का प्रयोग किया जाता है। इसी प्रकार टायरों की मज़बूती का 75 प्रतिशत भाग बुनाई की कला से तैयार की गई परतों से होता है। सड़कों के निर्माण में भी डामर डालने से पहले बुनाई द्वारा तैयार किए गए विशेष टुकड़े सड़क पर बिछाए जाते हैं जिनके ऊपर डामर डाला जाता है। इससे सड़कों की मज़बूती बढ़ जाती है। बुनाई का उद्योग बहुत से देशों के औद्योगिक विकास को मापने का पैमाना है। बुनाई उद्योग के उत्पादों का निर्यात करने वाले बहुत से देश आज औद्योगिक देशों की सूचि में शामिल हैं। दुनिया में बुनाई उद्योग के उत्पादों के निर्यात का कुल मूल्य वर्ष 2014 में लगभग 800 अरब डालर था।

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ईरान में भी बुनाई उद्योग को महत्वपूर्ण उद्योगों में गिना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसंधान से यह नतीजा निकलता है कि ईरान में धागे की कताई और कपड़े की बुनाई की कला लगभग 10 हज़ार साल ईसा पूर्व से प्रचलित है। धागा कातने के लिए प्रयोग होने वाली अनेक प्रकार की तकलियां पठारी क्षेत्रों में की गई खुदाई में मिली हैं इनसे पता चलता है कि ईरान में बुनाई की कला हज़ारों साल पुरानी है। काशान के सियल्क टीलों की खुदाई में जो तकलियां मिली हैं उनमें कुछ तो लकड़ी की और कुछ पत्थर की हैं। ईरान की माद जाति वह पहली जाति थी जिसने पारम्परिक शैली से धागा काता और कपड़ा बुना। ऊन और सूत से बुने गए यह कपड़े बड़े मज़बूत होते थे। यह जाति धागे और कपड़े के साथ ही फ़र्श भी बुनती थी। इन कपड़ों और फ़र्शों के चित्र पेर्सपोलिस की अत्यंत प्राचीन कलाकृतियों में देखे जा सकते है।

फ्रांसीसी इतिहासकार रेने ग्रोसे के अनुसार विभिन्न खुदाइयों में जो प्रतिमाएं मिली हैं उनसे ईरान के पठारी क्षेत्रों में बसे प्राचीन लोगों के लिबास के आकार को समझा जा सकता है। ईरान के पठारी क्षेत्रों में खुदाई में मिली अत्यंत प्राचीन प्रतिमा का संबंध 4200 साल ईसापूर्व से है। इससे  पता चलता है कि उस समय ईरान के पठारी क्षेत्रों में बसे लोग जानवरों की खाल नहीं पहनते थे बल्कि उनके ऊन से कपड़े बुनकर पहनते थे। खुदाई में मिलने वाली अन्य चीज़ों में कुछ मुहरें भी हैं जो शूश और चग़ामीश के इलाक़ों में की गई खुदाई में मिली हैं। इन मुहरों में लोगों को धागा कातते हुए देखा जा सकता है। यहया किरमान के इलाक़े में भी ऊन से बुना हुआ बहुत प्राचीन कपड़ा मिला है जिसका संबंध 5000 साल ईसापूर्व से है। दामगान टीलों की खुदाई में धागे की कताई की जो तीली मिली है वह 3000 साल ईसापूर्व की बताई जाती है।

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जैसे जैसे समय बीता और ईरान में बुनाई की कला का विकास हुई अधिक सुंदर व नर्म कपड़े बुने जाने लगे। सलजूक़ी काल में  जो 11 से 12 शताब्दी ईसवी तक चला रेश्मी कपड़े का प्रयोग होने लगा था। उस समय एसे रेशमी कपड़े बुने जा रहे थे जो रोशनी में अपना रंग बदल लेते थे। 16 से 18वीं शताब्दी तक चलने वाले सफ़वी काल में जो कपड़ा उद्योग का सुनहरा दौर माना जाता है, डिज़ाइन और सुंदरता व विविधता की दृष्टि से बहुत उच्च कोटि की कपड़े बुने जाते थे। इस काल में अलग अलग प्रकार के रेशमी, सूती, मख़मली, ज़रबाफ़्त कपड़े तैयार होते थे। ज़रबाफ़्त उन कपड़ों को कहा जाता है जिनकी बुनाई में सुनहरे धागों का प्रयोग किया गया हो। इस काल में जो सुदंर कपड़े बुने जाते थे उनके नमूने ब्रिटैन के विक्टोरिया व अलबर्ट संग्रहालयों सहित दुनिया के बड़े संग्रहालयों में आज भी देखा जा सकता है। हालांकि वर्तमान काल में महंगे कपड़े की बुनाई का उद्योग कुछ सीमित हुआ है लेकिन आज भी तेहरान, काशान तथा इस्फ़हान में सोने का पानी चढ़े धागों के प्रयोग से बुने गए कपड़ों को देखा जा सकता है।

ईरान में कपड़ा बुनाई के उद्योग में नई टेक्नालोजी का प्रयोग तथा पारम्परिक कारख़ानों की जगह आधुनिक कारखानों की स्थापना का इतिहास 200 साल से ज़्यादा नहीं है। इस समय ईरान में बुनाई के 9500 कारख़ाने काम कर रहे हैं। यह देश के औद्योगिक विभाग का 11 प्रतिशत है जबकि इस उद्योग ने रोज़गार सृजन में 13 प्रतिशत की भागीदारी  की है।

आज भूमंडलीकरण का दौर है और प्रतिस्पर्धा बहुत कड़ी है तो आधुनिक तकनीकों के प्रयोग की ज़रूरत बहुत ज़्यादा होती है। चूंकि अन्य उद्योगों की तुलना में यह उद्योग अधिक रोज़गार सृजन करता है जबकि इसमें निवेश भी बहुत बड़े पैमाने पर नहीं करना होता। अब इस उद्योग में नैनो टेक्नालोजी का प्रयोग किया जा रहा है। इस टेक्नालोजी से कपड़े की क्वालिटी बहुत अच्छी हो जाती है और इस टेक्नालोजी से इस उद्योग को बड़ी मज़बूती दी जा सकती है। नैनो टेक्नालोजी का प्रयोग करके कपड़े के अंदर अधिक गुणवत्ता पैदा की जा सकती है और इसकी उपयोगिता को बढ़ाया जा सकता है। नैनो टेक्नालोजी की मदद से कपड़ा उद्योग बढ़ती ज़रूरतों और मांगों को सरलता से पूरी कर सकता है। यह बिंदु भी महत्वपूर्ण है कि नैनो टेक्नालोजी केवल नए कपड़ों की बुनाई में मददगार नहीं है बल्कि अब तो बहुत सी कंपनियां उद्योग में बने रहने के लिए इस टेक्नालोजी का प्रयोग कर रही हैं। यह अनुमान है कि वर्ष 2022 तक बुनाई उद्योग में प्रयोग होने वाली नैनो टेक्नालोजी की वित्तीय पोज़ीशन 29 अरब डालर की होगी। इसी लिए बहुत से देश इस मैदान में अधिक निवेश कर रहे हैं। बुनाई उद्योग में ईरान में प्रयोग की जाने वाली नैनो टेक्नालोजी 3 प्रतिशत के स्तर है जो फ्रांस जैसे देशों के बराबर जबकि जापान और स्पेन से अधिक है।

एंटी बैक्टेरियल पोलिस्टर चिप्स का उत्पादन, नाइलोन धागे, वाटर रिज़िस्ट क़ालीन, मेडिकल उपयोग के लिए एंटी बैक्टेरियल उत्पाद इसी प्रकार के दूसरे अनेक उत्पाद हैं जो ईरानी विशेषज्ञों ने नालेज बेस्ड कंपनियों में बनाए हैं और इनका संबंध बुनाई उद्योग से है। इन विशेषज्ञों ने इसके अलावा कताई की मशीनें भी तेयार की हैं। इन मशीनों के प्रयोग से बहुत अच्छी क्वालिटी का धागा तैयार किया जाता है जबकि समय भी बहुत कम लगता है। यह मशीनें दुनिया के कम ही देशों में बन पायी हैं। ईरानी विशेषज्ञों ने इस मैदान में सफलता पायी है और अपने उत्पादों के लिए नए बाज़ार खोजने में वह सफल हुए हैं।