ईरानी बाज़ार-33
ईरान में टैक्सटाइल उद्योग का एक महत्वपूर्ण भाग क़ालीन उद्योग है।
क़ालीन का अधिक उत्पादन होने के कारण, आर्थिक रूप से इसका अधिक महत्व है और इसके विस्तार से इससे संबंधित कई उद्योगों को बढ़ावा मिलता है। मशीनों से तैयार होने वाले क़ालीन हाथों से बुने जाने वाले क़ालीनों के विपरीत मशीनों द्वारा कारख़ानों में तैयार होते हैं। विभिन्न कारणों से जैसे कि कच्चा माल सस्ता होने और कम समय में बड़ी मात्रा में उत्पादन के कारण हाथ से तैयार होने वाले क़ालीन की तुलना में इसकी क़ीमत काफ़ी कम होती है। आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल और उसकी बुनाई में विविधता की वजह से मशीन से तैयार होने वाले क़ालीनों में काफ़ी विविधता पाई जाती है।

हाथ और मशीन से तैयार होने वाले क़ालीन में एक दूसरा अंतर यह है कि मशीन से बनने वाले क़ालीन ऐक्रेलिक, पॉलिएस्टर, पोलिप्रोपिलीन जैसे आर्टिफ़िशियल धागों से तैयार होते हैं। मशीन से तैयार होने वाले क़ालीन में ऐक्रेलिक का सामान्य रूप से इस्तेमाल होता है। यह आर्टिफ़िशियल धागा प्राकृतिक ऊन के धागे के समान होता है। अन्य आर्टिफ़िशियल धागों की तुलना में ऐक्रेलिक की आयु अधिक होती है और गुणवत्ता उच्च होती है। परिणाम स्वरूप, ऐक्रेलिक से बनने वाले क़ालीनों की क़ीमत अन्य मशीनी क़ालीनों से अधिक होती है।
पॉलिएस्टर मशीन से बनने वाले क़ालीनो में इस्तेमाल होने वाला एक अन्य आर्टिफ़िशियल धागा है, जो विभिन्न कारणों से जैसे कि रुंआ नहीं निकलने, धोने में आसानी और चमकदार होने के कारण विश्व बाज़ार में काफ़ी लोकप्रिय है। पॉलिएस्टर के धागों से तैयार होने वाले क़ालीनों की आयु अधिक होती है और यह काफ़ी चमकदार होते हैं। रेशम से बुने जाने वाले क़ालीनों के समान होने के कारण कस्टमर्स को अपनी ओर अधिक आकर्षित करते हैं।
क़ालीन हाथ से बुना जाए या मशीन से तैयार किया जाए, इसके मूल्यों में अहम भूमिका गांठों के घनत्व की होती है। प्रति वर्ग मीटर में पाई जानी वाली गांठों की संख्या और घनत्व से उसकी गुणवत्ता का अंदाज़ा लगाया जाता है। गांठों की संख्या जितनी अधिक होगी, क़ालीन की बुनाई उतनी ही बारीक होगी और हाथ से बुने जाने वाले क़ालीन से उसकी समानता अधिक होगी और उसका महत्व अधिक होगा। क़ालीन के महत्व में एक अन्य चीज़ उसका डिज़ाइन है। आजकल मशीन से तैयार होने वाले क़ालीनों में आधुनिक डिज़ाइन जैसे कि ज्यामितीय, कला और बच्चों के लिए कार्टून का प्रयोग किया जाता है। लेकिन मार्केट में अभी भी क़ालीन के ईरानी पारम्परिक डिज़ाइनों की डिमांड बनी हुई है। आज भी ईरान के हज़ारों साल पुराने डिज़ाइनों को मशीन से बनने वाले क़ालीनों में प्रयोग होते हुए देखा जा सकता है।
ईरान में मशीनों से तैयार होने वाले क़ालीनों का इतिहास लगभग पचास साल पुराना है। 1970 के दशक के शुरू में ईरान में पहला क़ालीन काशान के कारख़ाने में तैयार हुआ। इस प्रकार के क़ालीन में तुलनात्मक रूप से उभार और भार कम था। काशान उद्योग की स्थापना के बाद धीरे धीरे इस कंपनी ने क़ालीन के उत्पादन के अलावा इस उद्योग में इस्तेमाल होने वाले कच्चा माल भी तैयार करना शुरू कर दिया। इस कारख़ाने का पहला उत्पाद 1974 में मार्केट में आया। यह उत्पाद हाथ से बुने जाने वाले क़ालीन से काफ़ी समानता रखता था, इसलिए इसने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। उसके बाद विभिन्न कंपनियों ने अलग अलग ब्रांड जैसे कि गीलान, पार्स, नक़्शे ईरान और अकबातान के नाम से क़ालीन मार्केट में उतारे। आज ईरान के विभिन्न इलाक़ों में क़ालीन के कारख़ाने जैसे कि क़ाली सुलेमान, फ़र्शे मशहद, शीराज़, माज़ेन्दरान, सितारे कवीर और बास्तान इस उद्योग में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
मशीनी क़ालीन की तैयारी के तीन महत्वपूर्ण चरण होते हैं, कताई, बुनाई और फ़िनिशिंग। पहले चरण में धागे को कारख़ाने में लाया जाता है, उसे विभिन्न रंगों में रंगने के बाद, कताई के विभाग में दे दिया जाता है। इस चरण में क़ालीन की बुनाई के लिए धागे को अलग अलग नम्बरों से हीथ सेट में बदला जाता है। हीथ सेट शब्द उन धागों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो मशीन से बनने वाले क़ालीन में प्रयोग होते हैं, जिनकी हीटिंग और स्टीम द्वारा कताई करके मज़बूत बनाया जाता है। इस प्रकार धागे की गुणवत्ता बढ़ जाती है और उससे बुने जाने वाले क़ालीन के आकर्षण में वृद्धि हो जाती है। हीथ सेट धागे से बनने वाले क़ालीन की विशिष्टता यह है कि धुलाई के बावजूद उसका रंग नहीं निकलता है, इसके अलावा धूप में भी स्थिर रहता है और धागे का ताना बाना मज़बूत होता है। वायु प्रदूषण और धूल के मुक़ाबले में भी स्थिर होता है, नर्म होता है और रुंआ नहीं छोड़ता, परिणाम स्वरूप क़ालीन की आयु बढ़ जाती है।
कताई के बाद बुनाई का काम शुरू होता है। इस चरण में क़ालीन बुनने वाली मशीनों से बुनाई का काम किया जाता है। तीसरा और अंतिम चरण क़ालीन को फ़ाइनल टच देने का है, जिसमें कई काम किए जाते हैं, जैसे कि चमकाना, उसकी सतह की सफ़ाई, कटिंग, बूटे की सिलाई, उसे रोल करना और उसकी पैंकिग करना। इन कामों के बाद उत्पादन को बेचेने के लिए मार्केट में भेज दिया जाता है। उल्लेखनीय है कि ईरान में कुछ कारख़ाने क़ालीन के उत्पादन के केवल एक ही भाग का काम करते हैं, जैसे कि उसकी बुनाई का बाक़ी काम दूसरे कारख़ानों में पूरा किया जाता है।
क़ालीन उद्योग की ईरान की अर्थव्यवस्था में काफ़ी अहम भूमिका है। यह देश के टेक्सटाइल के चयनित पांच विभागों में से एक है। इसका विस्तार ईरान के उद्दयोग, खनिज एवं व्यापार मंत्रालय की महत्वपूर्ण योजनाओं में शामिल है। वर्तमान समय में देश में प्रतिवर्ष क़रीब 12 करोड़ वर्ग मीटर मशीनी क़ालीन का उत्पादन होता है। ईरान में टेक्सटाइल उद्योग में सक्रिय श्रम बल का 10 प्रतिशत इस उद्योग से जुड़ा हुआ है।
मशहद, तेहरान, यज़्द, इसफ़हान, काशान और देलिजान शहर इस उद्योग के लिए मशहूर हैं। आरान, बीदगुल और काशान मशीनी क़ालीनों के उद्योग का ध्रुव माने जाते हैं। ईरान में क़ालीन के 80 प्रतिशत कारख़ाने इन इलाक़ों में स्थित हैं, जो कुल उत्पाद का 70 प्रतिशत उत्पादन करते हैं। काशान में 700 से अधिक कारख़ाने क़ालीन के उत्पादन में सक्रिय हैं। इस शहर में 80 प्रतिशत रोज़गार क़ालीन उद्योग से जुड़ा हुआ है। गुणवत्ता, विविध डिज़ाइन और रंगों के कारण, काशान के क़ालीन पूरी दुनिया में लोकप्रिय हैं। काशान के क़ालीन 40 से भी अधिक देशो को निर्यात किए जाते हैं। मुख्य रूप से यह ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, तुर्की, जर्मनी, ब्रिटेन, चीन, पाकिस्तान, इराक़, अफ़ग़ानिस्तान, मध्य एशियाई देशों और लैटिन अमरीकी देशों को निर्यात किए जाते हैं।
हालिया वर्षों में क्वालिटी की दृष्टि से ईरान का क़ालीन उद्योग विश्व में पहले नम्बर पर रहा है और क्वांटिटी की दृष्टि से दूसरे नम्बर पर है। मशीनी क़ालीन की डिज़ाइनिंग और बुनाई में ईरान के उत्पादकों की रचनात्मकता के कारण, इस क्षेत्र की तकनीक में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। इसमें प्रयोग होने वाली मशीनों को 1200 से अधिक गांठों के घनत्व के लिए विकसित किया गया है। आधुनिक तकनीक के प्रयोग और कला के कारण ईरान में इस उद्योग का भविष्य उज्जवल है।