ईरानी बाज़ार-34
दुनिया में मुनाफ़ा देने वाले व्यापार में एक सजावट में इस्तेमाल होने वाले फूलों और वनस्पतियों का व्यापार भी है।
पिछले दशकों के दौरान दुनिया में इस उद्योग के लेन-देन का स्तर बढ़ता ही गया है। अंतर्राष्ट्रीय फूल व वनस्पति केन्द्र के आंकड़े के अनुसार, 1950 के दशक में विश्व मंडी में फूल व वनस्पतियों का लेन-देन लगभग 3 अरब डॉलर था। यह रक़म 2010 में लगभग 100 अरब डॉलर पहुंची। कहा जा रहा है कि इस समय दुनिया में सजावट के फूल व वनस्पतियों का लेन-देन 150 अरब डॉलर की सीमा पार कर गया है। इस उद्योग में अधिक मुनाफ़े के मद्देनज़र दुनिया के दसियों देश व्यापारिक स्तर पर सजावटी फूल व वनस्पतियों की खेती कर रहे हैं।

दुनिया में फूल की औद्योगिक स्तर पर खेती का इतिहास 18वीं सदी के अंतिम वर्षों की ओर पलटता है। उस समय ब्रिटेन जैसे कुछ योरोपीय देशों ने पूरी दुनिया से नाना प्रकार की वनस्पतियां इकट्ठा कीं और फूल व वनस्पति उद्यान क़ायम कर उनकी देख-रेख शुरु की। आम लोगों में इस तरह के स्थल को देखने में रूचि के कारण सजावटी फूल व वनस्पतियां दुनिया भर में एक उद्योग के रूप में विकसित हुयीं और इसी तरह आज भी यह उद्योग विकसित होता जा रहा है।
ईरान में सजावट में इस्तेमाल होने वाले फूल व वनस्पतियों की खेती का इतिहास प्राचीन दौर की ओर पलटता है। प्राचीन समय में ईरानी फूल व वनस्पतियों के ज़रिए घर के आस-पास को हरा-भरा रखते थे। प्राचीन ईरान की संस्कृति में वाटर लिली या कुमुदिनी के फूल को पवित्र माना जाता था। तख़्ते जम्शीद महल में उकेरे गए चित्र और शूश के आपादाना महल की बची हुयी दीवारों पर कुमुदिनी के चित्र देखे जा सकते हें। इतिहास के विभिन्न कालों में ईरान के सुंदर बाग़ अपनी डीज़ाइन के लिए मशहूर थे और इस डीज़ाइन का श्रेय सुदंर फूल व वनस्पतियों की सजावट को जाता है। वास्तुकला के अलावा ईरान के हाथ से बुने हुए क़ालीन जैसे हस्तकला उद्योग में भी फूल व बेल बूटों की डीज़ाइन बहुत होती है। ईरानी साहित्य में फूल व वनस्पतियों का वर्णन बहुत से फ़ारसी शायरों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहे हैं। ईरानी शायरों ने रजनीगंधा, चमेली, नरगिस, रत्नज्योती, ट्यूलिप और गुलाब जैसे फूलों को अलंकार के तौर पर इस्तेमाल करके चरित्रता, निष्कपटता, बलिदान, शहादत, इश्क़ और दोस्ती जैसे पवित्र अर्थ को पेश किया है।
बहुत से लोग ईरानी साल के दूसरे महीने उर्दीबहिश्त में जो 21 अप्रैल से 21 मई के बीच पड़ता है, ईरान के शीराज़ सहित अनेक शहरों के भ्रमण के लिए सबसे उचित महीना मानते हैं क्योंकि बहार नारंज या बिटर ऑरेन्ज के फूलों की ख़ुशबू गलियों में बसी होती है। इस मौसम में ईरान के मैदानी इलाक़े नाना प्रकार के फूलों से इस तरह भरे होते हैं मानो देखने वाला एक सुंदर झांकी देख रहा हो। महल्लात और ख़ुमैन शहरों में नर्सरियां रंग बिरंगे फूलों व वनस्पतियों से भरे होते हैं। इसी तरह देश के पश्चिमी और केन्द्रीय मैदानी इलाक़े रत्नज्योति और घंटी की तरह लटके हुए ट्यूलिप से भरे होते हैं। काशान, क़मसर और मैमंद में गुलाब के फूल से गुलाब जल और इतर बनाने के कारख़ाने इन शहरों के पर्यटन आकर्षण हैं। ईरान के विभिन्न क्षेत्रों में रंग बिरंगे ख़ुद से उगने वाले फूलों के साथ साथ सजावट के फूल व वनस्पतियां लगाने वालों की कोशिश से यह उद्योग ईरान में फल फूल रहा है।

ईरान में व्यापार की दृष्टि से फूल के उत्पादन का इतिहास सौ साल पुराना है। ईरान विभिन्न प्रकार की जलवायु से समृद्ध है इसलिए पेड़, बाग़ में लगने वाले और सजावट के लिए इस्तेमाल होने वाले छोटे पेड़, नाना प्रकार के फूलों की दृष्टि से दुनिया के समृद्ध देशों में गिना जाता है। ईरान ट्यूलिप, सुम्बुल या गुलाबी तुरसावा, आयरिस, सीक्लमेन जैसी सजावट में इस्तेमाल होने वाली वनस्पतियों, छोटे छोटे पेड़ों और बहुत से फल देने वाले पेड़ों का उत्पत्ति स्थल है। इस देश में सजावट के फूल व वनस्पतियों को खुले माहौल में या ग्रीनहाउस के रूप में खेती का अवसर मौजूद है।
सजावट के फूल-बूटों को चार गुट में वर्गीकृत किया जाता है। टहनी से तोड़े हुए फूल, गुलदान में सजे फूल, मौसमी पौधे व वनस्पतियां और रोपाई किए हुए पेड़, पौधे और वनस्पतियां। इनकी खेती दो तरह से होती है। एक खुले माहौल में और दूसरे ग्रीनहाउस के ज़रिए। ईरान में सबसे पुराना ग्रीनहाउस या नर्सरी 70 साल पुराना है। विगत में नर्सरी रखने वाले, खाली समय में मनोरंजन के तौर वनस्पतियां व फूल उगाते थे। 1979 तक ईरान में सजावट के फूल बूटे का बड़ा भाग विदेश से आयात होता था। उसी साल फूल के आयात पर रोक लग गयी और फिर उनका उत्पादन व विकास देश के भीतर होने लगा। हालिया दशकों में जनता की ओर से नर्सरी में लगाए गए फूल बूटों के स्वागत किए जाने से, व्यापारिक स्तर पर सजावट के फूल बूटों की खेती के लिए ग्रीन हाउस क़ायम किए गए हैं। गुलाब जल और फूलों के एसन्स या अर्क़ दवा निर्माण, इत्र बनाने, स्वास्थ्य व श्रंगार के उत्पाद, मिठाई और आइसक्रीम में बहुत इस्तेमाल होते हैं।
ईरान सजावट के फूल बूटों के उत्पादन की दृष्टि से कुछ पड़ोसी देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में है। अनेक नदियों, विविधतापूर्ण जलवायु, लंबे दिन और सूरज की भरपूर रौशनी ईरान में फूल-बूटों की खेती के लिए आर्थिक दृष्टि से सकारात्मक पहलू हैं। लंबे दिन के साथ साथ सूरज की रौशनी से ग्रीन हाउस को गर्म रखने का ख़र्च कम हो जाता है। इसी प्रकार ईरान में सस्ता व उचित श्रम बल की उप्लब्धि भी एक अन्य तत्व है जो देशी विदेशी पूंजिनिवेशकों को इस क्षेत्र में पूंजिनिवेश के लिए प्रेरित करता है। इसके अलावा ईरान के उत्तरी और दक्षिणी पड़ोसी देशों में सजावट के फूल बूटों की अधिक इस्तेमाल के मद्देनज़र ये देश ईरान के इस उत्पाद के लिए उचित बाज़ार हैं। यह भी आपको बताते चलें कि सजावटी फूल बूटों के व्यापार में अच्छे मुनाफ़े के मद्देनज़र ईरान के केन्द्रीय और उत्तरी क्षेत्रों में विदेश पूंजिनिवेशकों ने पूंजिनिवेश किया है। इन पूंजिनिवेशकों में हॉलैन्ड की एक कंपनी भी है जो इस्फ़हान प्रांत में ट्यूलिप की बहुत बड़ी खेती करती है और अपने उत्पाद को हॉलैंड के सीक्लमेन के नाम से निर्यात करती है।

ईरान में सजावटी फूल बूटों के क्षेत्र में ज़्यादातर निजी सेक्टर का पूंजिनिवेश है। लेकिन पब्लिक सेक्टर ने भी फूल बूटों की खेती और छोटे पेड़ लगाने के क्षेत्र में अप्रत्यक्ष रूप से व्यापक पूंजिनिवेश किया है। इन फूट बूटों को पार्कों, अस्पतालों के आसपास, सरकारी इमारतों, सड़कों, मैदानों और वनस्पति उद्यानों में लगाया जाता है।
ईरान ने सजावटी फूलों के उत्पादन में अपनी क्षमता का सिर्फ़ 10 फ़ीसद इस्तेमाल किया है और सिर्फ़ दस फ़ीसद क्षमता के इस्तेमाल के साथ वह दुनिया में इस दृष्टि से सातवें स्थान पर है। दुनिया में फूल बूटों की अंतर्राष्ट्रीय मंडी में और अधिक सहभागी बनने के लिए ईरान के पास ज़रूरी संसाधन मौजूद हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान उचित पूंजिनिवेश के ज़रिए सालाना कम से कम 30 से 50 करोड़ डॉलर सजावट के फूलों व पेड़ पौधों का निर्यात कर सकता है। फूल-बूटों की खेती के लिए लगभग 5 हज़ार हेक्टर ज़मीन विशेष की है जिसमें विभिन्न प्रकार के लगभग 4 अरब रंग बिरंगे फूलों का उत्पादन होता है। तेहरान प्रांत, केन्द्रीय प्रांत महल्लात व ख़ुमैन, माज़न्दरान, ख़ूज़िस्तान, इस्फ़हान, शीराज़, चहार महाल व बख़्तियारी और गीलान प्रांत ईरान में फूल की खेती के मुख्य केन्द्र हैं। ईरान गुलाब, आयरिस, रजनीगंधा, नरगिस, ट्यूलिप, गुल दाऊदी, लिली, अन्थ्रियम, बर्ड ऑफ़ पैराडाइज़, जरबरा और ऑस्ट्रोमेरिया वे फूल हैं जिनका ईरान सबसे ज़्यादा निर्यात करता है।
हालिया वर्षों में ईरान ने इराक़, आज़रबाइजान, युक्रेन, मोल्दाविया, बेलारूस, जॉर्जिया, आर्मीनिया, ताजिकिस्तान, क़िरक़ीज़िस्तान, उज़्बेकिस्तान, तुर्कमनिस्तान, क़ज़्ज़ाक़िस्तान और रूस को फूल निर्यात किए हैं। इनमें जॉर्जिया, रूस और बेलारुस ने वास्तव में दूसरे देशों को ईरान के फूल के निर्यात के लिए ट्रान्ज़िट देश का काम किया है। ये देश ईरान से फूल आयात करने के बाद, उन्हें नई पैकिंग में दूसरे देशों को निर्यात करते हैं।