ईरानी बाज़ार-35
पिछले कुछ दशकों के दौरान पूरे विश्व में पारंपरिक चिकित्सा का चलन बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है।
यही कारण है कि हालिया वर्षों में वनस्पतियों के व्यापार में उल्लेखनीय ढंग से वृद्धि देखी जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार वर्तमान समय में प्रचलित दवाओं में से लगभग 25 प्रतिशत हर्बल दवाएं हैं। विश्व औषधि निर्माण उद्योग में भी लगभग 120 से अधिक प्रकार की हर्बल दवाएं प्रयोग की जाती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जिन आवश्यक दवाओं की सूचि तैयार की है उनमें लगभग 250 दवाएं ऐसी हैं जो हर्बल हैं। इन बातों को देखकर कहा जा सकता है कि वर्तमान समय में इंसान जिन दवाओं का प्रयोग कर रहा है उनमें से एक तिहाई, हर्बल दवाए हैं। संसार में रहने वाले लगभग 80 प्रतिशत लोग इस समय हर्बल दवाओं का प्रयोग कर रहे हैं। इससे यह निश्कर्ष निकाला जा सकता है कि अब लोगों के भीतर पारंपरिक दवाओं के प्रयोग के प्रति रुचि बहुत तेज़ी से बढ़ रही है।

ईरान में लगभग 8000 प्रकार की वनस्पतियां पाई जाती हैं। इन आठ हज़ार वनस्पतियों में दो हज़ार वनस्पतियां एसी हैं जिन्हें दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है। ईरान की भौगोलिक स्थिति के कारण इस देश में हर्बल दवाओं के उत्पादन की बहुत अधिक संभावनाएं पाई जाती हैं। ईरान में 140 हेक्टर से अधिक भूमि पर विभिन्न प्रकार की हर्बल औषधियों की पैदावार होती है।
ईरान में जो वनस्पतियां पैदा होती हैं उनमे से एक ज़ीरा भी है। ज़ीरा ऐसी वनस्पति है जिसका प्रयोग आदि काल से होता चला आ रहा है। ज़ीरा बहुत ही गणकारी औषधि है जिसे सामान्यतः मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है। मानव स्वास्थ्य के लिए ज़ीरा बहुत अधिक लाभदायक बताया जाता है। ज़ीरे की उत्पत्ति के बारे में कुछ स्पष्ट नहीं है। कुछ वनस्पति विशेषज्ञ ज़ीरे को दक्षिणी मेडिट्रेनियन क्षेत्र की वनस्पति मानते हैं जबकि कुछ विशेषज्ञ इसे नील नदी के तटवर्ती क्षेत्रों की पैदावार कहते हैं। यह बात अभी तक स्पष्ट नहीं हो सकी है कि ज़ीरा, पहले किस क्षेत्र में पैदा हुआ अर्थात इसकी पैदावार का आरंभिक क्षेत्र विश्व का कौन सा भाग है? इस बातों के बावजूद यह बात निश्चित रूप से कही जा सकती है कि ज़ीरा बहुत ही प्राचीन औषधि है जिसका प्रयोग आदिकाल से होता आ रहा है।
ज़ीरा वास्तव में एक बहुत ही स्वादिष्ट, सुगंधित एवं गुणकारी औषधि है जिसे घरेलू औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। ज़ीरा स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है। ज़ीरा दिखने में सौंफ की तरह लगता है। पेट या अमाशय से संबन्धित कई प्रकार की बीमारियों के उपचार में ज़ीरा एक प्रभावी औषधि है। ज़ीरा, आयरन का बहुत अच्छा स्रोत है। यह ख़ून की कमी को दूर करता है। पाचनतंत्र ठीक करके पेट की गैस को निकालता है। ज़ीरा सामान्यतः दो प्रकार का होता है काला और हरा। आर्थिक दृष्टि से हरे ज़ीरे को विशेष महत्व प्राप्त है। हरा ज़ीरा विश्व के कुछ ही क्षेत्रों में पैदा होता है। हरे ज़ीरे की पैदावार ईरान में व्यापक स्तर पर होती है। यही कारण है कि ईरान से बड़े पैमाने पर हरे ज़ीरे का निर्यात किया जाता है। पूरे विश्व में हरा ज़ीरा जितना पैदा होता है उसका 40 प्रतिशत ज़ीरा, ईरान में पैदा होता है। ईरान के कई प्रांतों में ज़ीरे की खेती होती है। यहां पर जिन प्रांतों में विशेष रूप से ज़ीरे की खेती होती है उनके नाम इस प्रकार हैं। ख़ुरासान, किरमान, सिमनान और आज़रबाइजान। दूनिया के अन्य देशों में जो ज़ीरा पैदा होता है उसकी तुलना में ईरान में पैदा होने वाले ज़ीरे की क्वालिटी बेहतर होती है। इसीलिए इसकी क़ीमत 5 से 10 प्रतिशत अधिक होती है। ईरान में पैदा होने वाला हरा ज़ीरा फ़ार्स की खाड़ी के देशों के अतिरिक्त जापान, सिंगापुर, जर्मनी, फ्रांस, हालैण्ड, पौलैण्ड, बेल्जियम, ब्रिटेन, यूक्रेन और रूस को निर्यात किया जाता है।

गुलाब बहुत ही सुन्दर और सुगंधित फूल है। ईरान में यह एक फूल होने के साथ ही वनस्पति के रूप में भी मशहूर है। गुलाब की दसियों प्रजातियां हैं। ईरान में प्रतिवर्ष 30 हज़ार टन का उत्पादन होता है। गुलाब पैदा करने वाले प्रमुख देशों में से एक देश ईरान भी है। विश्व में पैदा किये जाने वाले गुलाब का लगभग 70 प्रतिशत उत्पादन, ईरान में किया जाता है। गुलाब के उत्पादन में केवल गुलाब के फूल को ही महत्व प्राप्त नहीं है बल्कि उसके फूल के अतिरिक्त पत्तियों और कलियों को भी महत्व प्राप्त है। आर्थिक दृष्टि से इन सबका अलग-अलग महत्व है। ईरान में गुलाब की जितनी भी पैदावार होती है उसका 40 प्रतिशत तो देश के भीतर प्रयोग होता है जबकि बाक़ी 60 प्रतिशत को निर्यात किया जाता है। ईरान में गुलाब से इत्र और गुलाबजल बनाया जाता है। ईरान में बनाए जाने वाले इत्र और गुलाबजल को विदेश में भी बहुत ख्याति प्राप्त है। बहुत से देशों में इसकी अच्छी मांग है। लेबनान, बुल्गारिया, इटली, अमरीका, जर्मनी और कई अन्य देशों को ईरान से भारी मात्रा में ईरानी इत्र तथा गुलाबजल निर्यात किया जाता है।
वनस्पति विशेषज्ञों का कहना है कि गुलाब एक बहुत ही महत्वपूर्ण औषधि भी है। हालांकि आम लोग इसे केवल एक फूल के रूप में ही देखते हैं जबकि उपचारिक दृष्टि से गुलाब बहुत विशेषताओं का स्वामी है। शायद ही कोई दूसरा फूल हो जिसमें गुलाब जैसी विशेषताएं पाई जाती हों। गुलाबजल से कान दर्द, पाचनतंत्र के रोगों और चर्म रोगों के साथ ही हड्डियों से संबन्धित बीमारियों का उपचार किया जाता है। विश्व विख्यात ईरानी चिकित्सक इब्ने सीना ने अपनी पुस्तक में लाल रंग के गुलाब के मुरब्बे से टीबी जैसी बीमारी के उपचार का तरीक़ा लिखा है। इससे अवसाद का भी इलाज किया जाता है। दिल की बीमारियों में भी गुलाब के मुरब्बे का प्रयोग होता है। इन बीमारियों के अतिरिक्त भी कई एसी बीमारियां हैं जिनका उपचार गुलाब के फूल, इसकी पत्तियों या कलियों के माध्यम से किय जाता है।

गुलाब की पैदावार के लिए अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती। यही कारण है कि ईरान के पहाड़ी क्षेत्रों में गुलाब की खेती बहुतायत से की जाती है। वर्तमान समय में ईरान के 20 प्रांतों में 14 हज़ार हेक्टर से अधिक भूमि पर गुलाब की खेती की जा रही है। जैसाकि हमने कार्यक्रम के आरंभ में आपको बताया था कि गुलाब की बहुत सी क़िस्में हैं। ईरान में कम से कम 18 प्रकार के गुलाब पाए जाते हैं। यह सब एक दूसरे से बहुत भिन्न होते हैं। ईरान में पैदा होने वाले गुलाबों में काशान के गुलाब सबसे उच्च कोटि के माने जाते हैं। काशान के गुलाबजल को विश्व ख्याति प्राप्त है। पवित्र काबे की धुलाई में काशान के गुलाबजल का प्रयोग किया जाता है। काशान नगर में गुलाबजल बनाने के बहुत से कारख़ाने हैं। इन कारख़ानों में से अधिकांश तो औद्योगिक हैं जबकि कुछ कारख़ानों में पारंपरिक ढंग से गुलाब निकाला जाता हैं। काशान के गुलाबों के खेतों में हर हेक्टर से लगभग 4 हज़ार किलोग्राम गुलाब पैदा होता है। गुलाब के मौसम में जब गुलाब खिलते हैं तो उसी ज़माने में ही इनसे गुलाबजल निकाला जाता है। जैसाकि आपको बताया जा चुका है कि गुलाबजल निकालने की दो विधियां हैं एक औद्योगिक और दूसरी पारंपरिक। औद्योगिक में मशीनों का प्रयोग किया जाता है जबकि पारंपरिक का तरीक़ा अलग है।