मार्गदर्शन- 59
इस्लाम के मुताबिक़, शिक्षा प्राप्त करने की कोई सीमा नहीं है, बल्कि ज्ञान की प्राप्ति की अधिक से अधिक इच्छा रखना, उन कामों में से है, जिसे इस्लाम अच्छा समझता है।
पैग़म्बरे इस्लाम (स) के मुताबिक़, ज्ञान जहां भी मिले उसे हासिल करो और पालने से लेकर क़ब्र तक ज्ञान हासिल करो। इस्लाम के इस दृष्टिकोण के आधार पर, ज्ञान प्राप्ति की सीमा निर्धारित करने का कोई अर्थ नहीं है, बल्कि एक सच्चे मुसलमान को हमेशा ख़ुद को एक छात्र समझना चाहिए।
आज जबकि साम्राज्यवादियों ने ज्ञान पर अपना एकाधिकार जमा रखा है और आधुनिक तकनीक से वे दूसरों को वंचित रखना चाहते हैं, मुसलमानों की ज़िम्मेदारी है कि ज्ञान एवं अनुसंधान के क्षेत्र में भरपूर प्रयास करें। ईरान के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई देश में ज्ञान और तकनीक के प्रसार पर बहुत बल देते हैं। उन्होंने कई वर्ष पहले देश की प्रमुख संस्थाओं से कहा था कि देश में शिक्षा का व्यापक रोड मैप तैयार करें। इसी प्रकार वरिष्ठ नेता हर साल छात्रों, शिक्षकों और शैक्षिक एवं सांस्कृतिक हस्तियों से मुलाक़ात करते हैं और उनकी ज़रूरतों एवं सुझावों पर कान धरते हैं।
शिक्षा ग्रहण के बारे में आम विचार के विपरीत, वरिष्ठ नेता शिक्षा ग्रहण को केवल रोज़गार प्राप्त करने, टेक्नॉलोजी में प्रगतिकरने और भौतिक सुविधाओं की प्राप्ति से सीमित नहीं समझते हैं, बल्कि उनकी नज़र में इसका मुख्य कार्य गौरव प्राप्त करना है। यही कारण है कि आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनई दुनिया के आधुनिक विषयों के बारे में जानकारी प्राप्त करके, शिक्षा के क्षेत्र में शैक्षिक संस्थाओं का भरपूर समर्थन करते हैं। उनके इसी दृष्टिकोण के कारण, इस पिछड़े हुए क्षेत्र में प्रगति हुई है।
दूसरी ओर, ज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में वरिष्ठ नेता के ध्यान से इस क्षेत्र में विश्व साम्राज्यवाद के एकाधिकार को तनड़ा झटका लगा है। आज ईरान की वैज्ञानिक उपलब्धियां, विश्व समुदाय के ध्यान का केन्द्र बनी हुई हैं। इस संदर्भ में वरिष्ठ नेता कहते हैं, परमाणु तकनीक अचानक प्रसिद्ध हो गई है और सभी का इस पर ध्यान है, लेकिन केवल यही नहीं है, बल्कि परमाणु तकनीक के अलावा, अंतरिक्ष विज्ञान है और चिकित्सा विज्ञान है। सौभाग्य से आज हमारा देश, चिकित्सा के क्षेत्र में काफ़ी महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कर चुका है और इस क्षेत्र में काफ़ी महत्वपूर्ण कार्य हो रहे हैं। बायो टेक्नॉजोलीहै, नैनो टेक्नॉलोजी है, रेडियो आधिरत दवाईयां हैं, क्लोनिंग है, सुपर कम्पयूटर का निर्माण है, विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कार्य स्टेम सैल्स हैं, कैंसर के उपचार के लिए महत्वपूर्ण रेडियो मेडिसिन हैं, यह सूची लम्बी है। वरिष्ठ नेता के मार्गदर्शन के कारण, देश में ज्ञान की अच्छी प्रगति जारी है और क्षेत्र में ईरान की रैंकिंग में काफ़ी सुधार हुआ है।
शिक्षा के क्षेत्र में प्रगतिके बारे में वरिष्ठ नेता का स्पष्ट दृष्टिकोण है। वे शिक्षा में सक्रिय हर वर्ग को संबोधित करते हैं और उनमें से हर एक को महत्वपूर्ण सुझाव देते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय वर्गों के लिए वरिष्ठ नेता का सबसे महत्वपूर्ण नारा है कि हम कर सकते हैं। वे इन सब लोगों से मांग करते हैं कि हम कर सकते हैं, इस नारे को अपने लिए एक सिद्धांत बना लें। वरिष्ठ नेता कहते हैं, इसमें कोई शक नहीं है कि हम अभी आरम्भिक चरण में हैं, हमारा यह पहला क़दम है। हमें एक के बाद दूसरा क़दम उठाना होगा, हमें आगे बढ़ना होगा और यह विश्वास रखना होगा कि हम कर सकते हैं, आप इस विश्वास के साथ आगे बढ़ सकते हैं।
वरिष्ठ नेता शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालयों के शिक्षकों से अधिक आशाएं रखते हैं। वे शिक्षकों को संबोधित करते हुए महत्वपूर्ण बिंदुओं का उल्लेख करते हैं, जो ध्यान योग्य हैं। इसमें महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि शिक्षकों को चाहिए वे व्यक्तिगत एवं राष्ट्रीय स्तर पर आत्मविश्वास को मज़बूत बनाएं। वे इस संदर्भ में कहते हैं, सबसे पहले, हमारे शिक्षक में आत्मविश्वास होना चाहिए और उसे शैक्षिक कार्य करने चाहिए। उसे अपने उस कार्य पर भरोसा और गर्व करना चाहिए। दूसरे, उसे राष्ट्र पर विश्वास होना चाहिए। राष्ट्र की योग्यताओं पर भरोसा होना चाहिए। अगर किसी शिक्षक में यह विशिष्टताएं होंगी तो वह क्लास में और स्कूल में छात्रों तक ज्ञान को अच्छी तरह स्थानांतरित कर सकेगा। तीसरा बिंदु अधिक काम करना है, हमें कम करने और सुस्ती करने से नुक़सान हुआ है। काम करना चाहिए और काम से थकना नहीं चाहिए। इस प्रकार, रचनात्मकता, साहस, व्यक्तितगत एवं राष्ट्रीय आत्मविश्वास और अधिक प्रयास हमारी शैक्षिक प्रगति का उपचार है। यह बात विश्वविद्यालय के शिक्षकों के लिए है।
वरिष्ठ नेता विश्वविद्यालयों के शिक्षकों से कहते हैं कि शैक्षिक साहस अपनाएं। वे कहते हैं कि ज्ञान के विभिन्न विषयों में और इसी प्रकार तकनीक के क्षेत्र में दृष्टिकोण पैदा करें, कोई नई चीज़ पेश करें, अविष्कार करें और टिप्पणी करें और आंखें बंद करके अनुसरण न करें।
वरिष्ठ नेता देश में शिक्षा को उद्देश्यपूर्ण बनाने पर बल देते हैं। अर्थात पहले देश में शिक्षा की ज़रूरत का अंदाज़ा लगाया जाए, उसके बाद ज़रूरतों के आधार पर विश्वविद्यालय, शैक्षिक संस्थान और सरकार उसमें निवेश करे और इस क्षेत्र में प्रयास करे। किसी भी देश के शिक्षा के क्षेत्र की प्रगति में अनुसंधान और शोध का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसीलिए वरिष्ठ नेता विश्वविद्यालयों के शिक्षकों से मांग करते हैं कि देश की शैक्षिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए शोध करें। इस संदर्भ में वे कहते हैं, हमें देश में ज़रूरतों के दृष्टिगत शोध को दिशा प्रदान करनी चाहिए, हमें देखना चाहिए कि वास्तव में देश को किस चीज़ की ज़रूरत है और देश की ज़रूरतों के मद्देनज़र शोध किया जाना चाहिए, इसके लिए ज़रूरी है कि हमारे पास नॉलिज बैंक होनी चाहिए। सभी को यह पता होना चाहिए कि क्या ज़रूरी है, क्या हो चुका है और किसी शोध को पूरा करने के लिए अन्य किस चीज़ की ज़रूरत है। ताकि इन सभी चीज़ों को एक साथ एकत्रित किया जा सके।
वरिष्ठ नेता विद्वानों से कहते हैं कि देश की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए शैक्षिक लेख लिखें न कि शैक्षिक विशिष्टता प्राप्त करने के लिए। वे कहते हैं कि एएसए के आर्टिकलों से देश की समस्याओं का समाधान नहीं होगा, बल्कि कुछ ऐसी खाईयां हैं जिनका भरना ज़रूरी है। वे कहते हैं, विदेशों में शैक्षिक विशिष्टता प्राप्त करने के लिए आर्टिकल लिखना सही नहीं है। यह व्यवस्था बदलनी चाहिए। इसके लिए इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि किस शोध से देश की ज़रूरत पूरी होगी।
ईरान के वरिष्ठ नेता ने कई वर्ष पहले शिक्षा के विस्तार और पुरानी परम्परा में सुधार पर बल दिया था। आज यह विषय शिक्षा के क्षेत्र में एक सार्वजनिक मांग बन गया है। देश में शैक्षिक प्रगति में भूमिका अदा करने वालों का शुक्रिया अदा करते हुए वरिष्ठ नेता ने कहा कि उन्हें विद्वानों एवं शैक्षिक संस्थानों से अधिक आशा है। उनकी नज़र में एक ऊंची चोटी है, जिसे सर करना ईरानी विद्वानों की ज़िम्मेदारी है और निश्चित रूप से यह संभव है।
इस संदर्भ में वरिष्ठ नेता कहते हैं, हम चाहते हैं कि हमारे विद्वान सीधा मार्ग खोजें, प्रकृति में मौजूद अनंत मार्गों में से वह मार्ग खोजें जो अभी तक खोजे नहीं गए हैं। हम चाहते हैं कि जो मार्ग खोजे नहीं गए हैं उन्हें खोजा जाए। उदाहरण स्वरूप, परमाणु तकनीक जिसे वर्षों पहले लोग खोज चुके हैं और उससे लाभ उठा चुके हैं, उसे हम भी प्राप्त कर लें। हालांकि यह एक महत्वपूर्ण काम है, कि हमने दूसरों के सहयोग के बिना उसे अंजाम दिया है और इसमें नए क़दम उठाए हैं, इसमें कोई शक नहीं है। लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। यह काम पहले हो चुका है और यह वही मार्ग है जिस पर दूसरे पहले जा चुके हैं। हालांकि हमें इससे अगले 50 और 100 साल तक दूर रखने की कोशिश की गई, लेकिन हमारे युवाओं ने, हमारे विद्वानों ने कोशिश करके इसे प्राप्त कर लिया। लेकिन मैं कहता हूं कि ज्ञान और तकनीक के मैदान में जिन चीज़ों को इंसान ने अभी नहीं खोजा है, उसके लिए हम साहस दिखाएं। इस तरह से हमने ज्ञान के पहले मोर्चे पर जीत हासिल कर ली है और एक क़दम आगे बढ़ाया है। उस वक़्त हम यह दावा कर सकते हैं और यह संभव है। हालांकि नए क़दम उठाने के लिए उन मार्गों पर जाना ज़रूरी है, जिन पर पहले भी लोग जा चुके हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन कभी भी नए मार्गों की खोज से पीछे नहीं हटना चाहिए, हमें देश में इसकी ज़रूरत है।