हालीवूड में भेदभाव- 14
134 मिनट वाली यह फ़िल्म, "ट्वेल्व ईयर्स अ स्लेव" "सोलोमन नार्थअप" के जीवन पर आधारित है।
सोलोमन नार्थअप एक अश्वेत व्यक्ति है जो न्यूयार्क की साराटोगा काउंटी में अपने परिवार के साथ रहता है। वह वायलन बजाकर अपना जीवन गुज़रता है। एक रात सोलोमन नार्थअप सड़क पर वायलन बजा रहा होता है। इसी बीच दो गोरे व्यक्ति उसके पास आते हैं और उससे एक कंसर्ट में गाने का वादा करके उसका अपहरण कर लेते हैं। वे लोग नार्थअप को वाशिग्टन ले जाते हैं। बाद में उसे शराब पिलाकर बहोश करने के बाद उसे ग़ुलाम या दास के रूप में बेच देते हैं। जब नार्थअप होश में आता है तो वह ख़ुद को ज़ंजीरों से जकड़ा हुआ पाता है। सोलोमन नार्थअप ख़ुद को आज़ाद कराकर अपने घरवालों के पास जाना चाहता है किंतु आरंभ में सफल नहीं हो पाता। अंततः वह एक ग़ुलाम बन जाता है। वह अमरीका के दक्षिणी राज्य न्यू ओरलियेंस राज्य में रूई के फार्म पर काम करता है। सोलोमन नार्थअप को आरंभ में ग़ुलामों का व्यापार करने वाले एक व्यापारी विलयम फोर्ड ख़रीदता है। बाद में उसे एडविन एप्स को बेच दिया जाता है। दासों के व्यापारी, "सोलमन नार्थअप" का नाम Platt रख देते हैं। सोलोमन 12 वर्षों तक एक ग़ुलाम के रूप में जीवन व्यतीत करता है। बारह वर्षों तक ग़ुलामी का जीवन व्यतीत करने के बाद Samuel Bass सैमुएल बास, नार्थअप को स्वतंत्र कराता है जो कैनेडियन व्यापारी होता है। सैमुएल बास, दास प्रथा का कड़ा विरोधी था।
फिल्म के जिस दृश्य की हम समीक्षा करने जा रहे हैं वह फोर्ड के फार्म से संबन्धित है। फोर्ड, सोलमन नार्थअप या प्लैट को ग़ुलामों के बाज़ार से ख़रीदता है। फोर्ड, प्लैट को लुइज़ियाना स्थिति अपने फार्म में ले आता है। फोर्ड के इस फार्म का जिम्मेदार चैपियन होता है जबकि Tibeats टाइबिट्स, इस फार्म में होने वाले लकड़ी के कामों का सपरस्त है। फोर्ड के फार्म में प्लैट की योग्यताएं धीरे-धीरे निरखने लगती हैं। इस फ़िल्म के 35वें मिनट से यह दिखाया जाता है कि प्लैट, चैपियन और टाइबिट्स को यह समझा रहा है कि एक नाव बनाकर उस छोटी सी नदी को पार करके दूसरी ओर जाया जा सकता है जो फार्म के सामने बहती है। प्लैट यह भी बताता है कि इस नाव से वहां पर जाकर फार्म के लिए सामान लाया जा सकता है। प्लैट के सुझाव के विपरीत टाइबिट्स, का मानना है कि सामान को लाने और ले जाने के लिए जलमार्ग का नहीं बल्कि सड़क का प्रयोग किया जाना चाहिए।
प्लैट कहता है कि नदी इतनी गहरी है कि उसमें नाव चल सकती है। वह कहता है कि सामान भरकर नाव से यदि फार्म से वहां तक जाया जाए तो ज़मीन के रास्ते के मुक़ाबले में कई किलोमीटर की दूरी कम हो जाती है। वह कहता है कि इस प्रकार से यातायात का ख़र्च बहुत कम हो जाता है। टाइबिट्स, बहुत ही आश्चर्य से कहता है कि जलमार्ग के प्रयोग से वास्तव में यातायात का ख़र्च कम हो जाएगा? फिर वह प्लैट से कहता है कि तुम दास हो या इन्जीनियर। इसके बाद में टाइबिट्स कहता है कि नदी आगे जाकर केवल साढे तीन मीटर चौड़ी हो जाती है। वहां से केवल एक छोटी नाव ही गुज़र सकती है। दासों का एक गुट एसा कर सकता है। टाइबिट्स कहता है कि तुमको सामान ले जाने के बारे में क्या जानकारी है?
प्लैट कहता है कि पहले मैं नहरों की मरम्मत के बारे में काम किया करता था। अपनी आय से मैंने तीन लोगों को नौकरी पर रखा था ताकि वे काम में मेरी मदद कर सकें। इसी बीच चैपियन, टाइबिटिस को संबोधित करते हुए कहता है कि तुम चाहे प्रभावित न हुए हो लेकिन मुझको इन बातों ने बहुत प्रभावित किया है। चैपियन, प्लैट को संबोधित करते हुए कहता है कि तुम कुछ लोगों को इकट्ठा करके काम शुरू करो, देखते हैं क्या करते हो?
प्लैट, कुछ ग़ुलामों को इकट्ठा करके एक छोटी सी नाव बनाता है। बाद में वे उसी नाव से नदी को पार करने में सफल हो जाते हैं। यह बातें टाइबिटिस के क्रोध और द्वेष का कारण बनती हैं।
इस दृश्य की समीक्षा में कहा जा सकता है कि फिल्म के अन्य दृश्यों की ही तरह यहां पर भी कैमरा एक जगह पर रुका हुआ है। किसी फ़िल्म का स्थिर दृश्य, दर्शकों को यह संदेश देता है कि ख़ामोशी, बदलाव न होना और असहाय दिखने जैसी बातें काले ग़ुलामों का भविष्य है अर्थात उनका कल वैसा ही स्थिर है जैसा उनका वर्तमान है। प्लैट के साथ चैपियन और टाइबिटिस का व्यवहार यह दर्शाता है कि गोरे लोगों के एक गुट में मन में कालों के प्रति बहुत घृणा और नफ़रत पाई जाती है। असमानता पर आधारित दास प्रथा की व्यवस्था में काले दासों की योग्यताओं में निखार बहुत कम ही देखा गया है। इसके साथ यह भी देखा गया है कि काले दासों के प्रति गोरे लोगों में सहानुभूति बहुत ही कम पाई जाती है। अब अगर यह सहानुभूति है भी तब भी वह सामान्यतः निजी हितों पर आधारित होती है जैसे चैपियन में पाई जाती है। इन बातों के बावजूद अधिकतर गोरे लोग नहीं चाहते कि काले लोगों की योग्यताओं में निखार आए और उनकी इच्छा यही रहती है कि काले लोग हमेशा ही पिछड़े रहें।

अब हम जातिवाद के बारे में बनी फ़िल्म, "ट्वेल्व ईयर्स अ स्लेव" या ग़ुलामी के बारह वर्ष के उस सीन की समीक्षा करते हैं जो 101 मिनट से शुरू होता हैः फोर्ड के फार्म में टाइबिटस के घमण्ड और द्वेष तथा प्लैट की योग्यताओं के बीच संघर्ष तेज़ी से बढ़ने लगता है। टाइबिटिस, प्लैट को मारना चाहता है ताकि फोर्ड, अपने क़र्ज के कारण उसे दुष्ट व्यक्ति एप्स के हवाले कर दे। एक दिन Samuel Bass सैमुएल बास, एप्स के फार्म पर आता है। सैमुएल बास, कनाडा का एक लकड़ी व्यापारी है और जातिवाद विरोधी है। वह एप्स से जातिवाद के बारे में बहस करता है। प्लैट इन बातों को ध्यान से सुनता है।
बास कहता है कि तुम इस गर्मी में मेरे बारे में सोच रहे हो जबकि तुम्हारे नौकरों की हालत बहुत ख़राब है। एप्स कहता है कि तुम मेरे नौकरों के बारे में कह रहे हो? बास कहता है कि परिस्थितियां बहुत कठिन हैं। एप्स कहता है कि तुम एसी बात क्यो कह रहे हो? बास कहता है कि यह हालात बहुत ख़राब हैं श्रीमान एप्स। बास की बात पर एप्स कहता है कि यह काले लोग यहां पर कोई नौकरी करने नहीं आए हैं बल्कि यह सब मेरे दास हैं जो मेरी समपत्ति हैं।
बास कहता है कि दास प्रथा, खुला हुआ अन्याय है जिसमें कहीं से भी कोई न्याय दिखाई नहीं देता। तुम यह बताओ कि काले ग़ुलामों पर तुम्हारा क्या अधिकार है? इसपर एप्स कहता है कि कैसा अधिकार! अधिकार इसलिए है कि मैंने पैसे ख़र्च करके इन्हें ख़रीदा है। बास कहता है कि क़ानून तो यह कहता है कि तुमको केवल एक काले ग़ुलाम को रखने का अधिकार है। फिर वह कहता है कि यह क़ानून ही ग़लत है। मान लो वे आज़ाद हो जाएं और फिर तुमको अपना ग़ुलाम बनाकर तुम्हारे साथ वैसा व्यवहार करें तो क्या ये ठीक है? बास की बात पर एप्स कहता है कि तुम बेकार की बात कर रहे हो। यह कल्पना ही बेकार है। बास कहता है कि एप्स, क़ानून बदलते रहते हैं। यह एसी वास्तविकता है जो अटल है। ऐसा ही होता है। वह कहता है कि गोरे और काले के बीच कोई अंतर नहीं है दोनों समान हैं और आपस में भाई जैसे हैं। एप्स कहता है कि तुम मेरी तुलना एक काले दास से कर रहे हो? बास कहता है कि मेरा कहना यह है कि ईश्वर की दृष्टि में तुममें और उनमे क्या अंतर है? एप्स कहता है कि तुम्हारा सवाल एसा ही है जैसे तुम यह पूछों कि एक गोरे व्यक्ति और जानवर में क्या अंतर है। मेरे पास जो काले दास हैं उनकी समझ उतनी ही है जितनी किसी पशु की। बास कहता है कि देखो एप्स, यह काले दास जो तुम्हारे पास हैं वे सब इन्सान हैं। वह कहता है कि हम अमरीकियों में एक बीमारी है जो तुम्हारे भीतर भी मौजूद है और वह है अश्वेतों के साथ भेदभाव। याद रखना कि प्रलय के दिन इसका हिसाब देना होगा।
एप्स कहते हैं कि अब तक मैंने एसे किसी व्यक्ति को नहीं देखा जो तुम्हारी तरह हो और यह चाहता हो कि मैं बोलता रहूं और दूसरे मुझको सुनते रहें। तुम यह कहना चाहते हों कि सफेद और काले या श्वेत और अश्वेत दोनों बराबर हैं और भाई जैसे हैं। यह समझ लो कि वह कोई और होगा जो तुमसे इस बारे में बात करे। यहां पर कोई ऐसा नहीं है और निश्चित रूप में तुम्हारी बात मानने वाला यहां पर कोई भी नहीं है।
प्लैट बहुत ही ध्यान पूर्वक बास और एप्स की बातें सुन रहा था। यह बातें सुनकर उसको समझ में आ गया कि बास, भेदभाव का विरोधी है और उसे रंगभेद से नफ़रत है। फिल्म के अगले हिस्से में एक स्थान पर मौक़ा पाकर प्लैट अपनी जीवनगाथा, बास को सुनाता है। बाद में बास की सहायता से प्लैट, फार्म हाउस छोड़कर भाग जाता है।
फ़िल्म के इस सीन से पता चलता है कि अमरीका के भीतर बास जैसे भी कुछ गोरे लोग हैं जो जातिवाद को नहीं मानते लेकिन वहां पर बहुत से लोग एप्स की भांति हैं जिनका मानना है कि कालों और गोरों में बहुत अंतर है तथा वरिष्ठता गोरों को प्राप्त है। यह बात निश्चित रूप में कही जा सकती है कि गोरे लोगों के बीच एसे बहुत से इंसान मौजूद हैं जिनमें मानवता कूट-कूट कर भरी है और वे भेदभाव के समर्थक नहीं हैं किंतु इनकी संख्या बहुत कम है। इस प्रकार की सकारात्मक विचारधारा रखने वाले कम लोग ही यदि चाहें तो वे भेदभाव रखने वाले गोरे लोगों की सोच को बदलवाने में बहुत अधिक सहायता कर सकते हैं।
"ट्वेल्व ईयर्स अ स्लेव" या ग़ुलामी के बारह वर्ष नामक फिल्म, पूरी निष्पक्षता के साथ अमरीकी समाज में फैली जातिवादी विचारधारा पर चोट करती है। इसमें जहां पर काले लोगों पर किये जाने वाले अत्याचारों का उल्लेख हैं वहीं पर अमरीकी समाज में रहने वाले उन अच्छे लोगों का भी ज़िक्र किया गया है जो वास्तव में जातिवाद और ऊंचनीच के विचारों से बहुत दूर हैं।