Feb १९, २०१८ १५:१७ Asia/Kolkata

चुग़ाख़ोर , ईरान के 24 अन्तर्राष्ट्रीय वेटलैण्डों या आर्द्रभूमियों में से एक है।

रामसर कनवैश्न में इसका पंजीकरण हो चुका है। जैविक दृष्टि से विशेष महत्व के स्वामी होने के साथ ही यह, पर्यटकों के आकर्षण का भी केन्द्र है।

अन्तर्राष्ट्रीय वेटलैण्ड चुग़ाख़ोर ईरान के चहार महाल व बख़्तियारी प्रांत में स्थित है।

 

चुग़ाख़ोर नाम का ईरानी तालाब, प्रकृति प्रेमियों के लिए विशेष आकर्षण लिए हुए है। जिस क्षेत्र में यह स्थित है वहां पर चारों ओर हरियाली फैली हुई है। यहां पर चलने वाली शीतल पवन, आगंतुको को यहां पर ठहरने के लिए विवश कर देती है। चुग़ाख़ोर तालाब में इसके इर्दगिर्द के वर्वतों का प्रतिबिंब, इन्सान को एक विशेश प्रकार की शांति प्रदान करता है।

कहते हैं कि चुग़ाख़ोर शब्द, ईरानी और कुर्दी भाषा से मिलकर बना है जिसका अर्थ होता है, सूरज की रौशन वाला घास का मैदान। टूरिस्ट, विभिन्न उद्देश्यों से चुग़ाख़ोर तालाब आते हैं। कुछ का मक़सद शांति पूर्ण वातावरण में अपना कुछ समय व्यतीत करना होता है जबकि कुछ अन्य यहां के प्राकृतिक आकर्षणों को निकट से देखने के लिए आते हैं।

बहुत से पर्यटक केवल जंगली पशुओं को देखने के उद्देश्य से यहां की सैर करते हैं जबकि कुछ अन्य पर्यटक, चुग़ाख़ोर की ख्याति के कारण यहां खिंचे चले आते हैं।

 

चुग़ाख़ोर तालाब का क्षेत्रफल 2300 हेक्टेयर है। यह ज़ागरस पर्वत पर 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस अन्तर्राष्ट्रीय वेटलैण्ड की सुन्दरता का कारण इसका ऊंचाई पर स्थित होना है जिसके कारण यहां पर बर्फ़बारी होती है और बर्फ़ पाई जाती है। यहां के वातावरण पर इर्दगिर्द की प्रकृति का गहरा प्रभाव है। यही कारण है कि पर्यटक पूरे वर्ष, चुग़ाख़ोर तालाब देखने के लिए आते है। जो लोग इय क्षेत्र कर यात्रा कर चुके हैं उनका कहना है कि चुग़ाख़ोर तालाब देखने का सबसे उचित मौसम, वसंत ऋतु या फिर पतझड़ का मौसम है। बसंत के मौसम में चुग़ाख़ोर तालाब के चारों ओर हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है। इसके अतिरिक्त यहां पर नाना प्रकार के जंगली फूल देखे जा सकते हैं। चुग़ाख़ोर तालाब के निकटवर्ती क्षेत्रों में दुर्लभ वनस्पतियां भी उगती हैं जिन्हें समान्यत: बसंत के मौसम में ही देखा जा सकता है।

जैसाकि हमने बताया था कि कुछ जानकारों का कहना है कि चुग़ाख़ोर तालाब देखने का सबसे उचित मौसम, बसंत ऋंतु या फिर पतझड़ का मौसम है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि जाड़े के मौसम में यहां पर नहीं आना चाहिए। कहते हैं कि जाड़े के मौसम में चुग़ाख़ोर तालाब की सुन्दरता देखने योग्य होती है। उस समय यह पूरा क्षेत्र बर्फ़ से ढंका हुआ होता है। तालाब का जल जम जाता है जिसपर पक्षियों को टहलते हुए देखा जा सकता है। इसी के साथ यहां पर भारी संख्या में पलायनकरने वाले पक्षी दिखाई देते हैं। इन पक्षियों की आवाज़े सुनकर विशेष प्रकार के आनंद का आभास होता है।

 

जानकारों का कहना है कि चुग़ाख़ोर तालाब का वातावरण, वहां की सुहानी जलवायु और हज़ारों पक्षियों की आवाज़ें, इतनी सुन्दर होती हैं जो आने वाले को अपनी ओर आकृष्टि करती हैं। शायद यही कारण है कि चुग़ाख़ोर तालाब, चहार महाल व बख़्तियारी प्रांत के महत्वपूर्ण पर्यटक स्थलों में से एक है। इस तालाब में विभिन्न प्रकार के पक्षियों के अतिरिक्त स्थानीय जलचरों को भी देखा जा सकता है। यहां पर नाना प्रकार के पक्षी जैसे बत्तख़, मुर्ग़ाबी, क़ाज़, बगुले, फ़्लामिंगो, हंस और इसी प्रकार के पक्षियों को बहुत ही निकट से देख सकते हैं।

यदि आप के भीतर जलजंतुओं के प्रति लगाव पाया जाता है तो आपके लिए यह जानना अच्छा होगा कि चुग़ाख़ोर तालाब में प्रचुर मात्रा में रंगारंग मछलियां पाई जाती हैं। इस तालाब में कार्प मछली की एक विशेष जाति पाई जाती है जो यहीं से विशेष है। चुग़ाख़ोर तालाब में 50 से भी अधिक प्रकार की प्रजातियों की मछलियां और वनस्पतियां पाई जाती हैं। इस बात से पर्यावरण की दृष्टि से तालाब का महत्व बहुत बढ़ गया है। चुग़ाख़ोर तालाब का निकटवर्ती क्षेत्र जंगली पशुओं के रहने के लिए उपयुक्त स्थल है। इस तालाब में दुर्लभ पक्षियों और वनस्पतियों की उपस्थिति के कारण ईरान के पर्यावरण विभाग ने सन 1999 में सइके एक भाग को वर्जित क्षेत्र घोषित कर दिया था।

पर्यावरण विभाग ने चुग़ाख़ोर तालाब के 2500 हेक्टर वाले क्षेत्र को शिकार के लिए वर्जित कर दिया। अब यहां पर शिकार खेलना अपराध माना जाएगा। यह सब इसलिए है कि यहां पर पाए जाने वाले दुर्लभ जीव-जंतु सुरक्षित रहते हुए अपनी नस्ल को आगे बढ़ाएं। चुग़ाख़ोर तालाब के सुरक्षित क्षेत्र में कई प्रकार के रेंगाने वाले और स्तनधारी पाए जाते हैं जैसे सांप, गिरगिट, छिपकली, कछुए, सूअर, सिया, नेवला, लोमड़ी, ख़रगोश, भेड़िया और तरह-तरह के मेंढक आदि।

 

चुग़ाख़ोर तालाब के पानी की आपूर्ति सामान्यत: वर्षा और केलार पर्वत के झरनों से होती है। वर्षा के समय इसकी गहराई 3 मीटर तक होती है। पहाड़ों के बीच में स्थित चुग़ाख़ोर नामक हराभरा वेटलैण्ड, अंगूठी में नग की तरह चमकता है। इस क्षेत्र की हरियाली शमसी वर्ष के दूसरे महीने से छठे महीने के बीच बहुत अधिक होती है जो देखने योग्य है।

जैसाकि बताया गया कि चुग़ाख़ोर वेटलैण्ड, अपनी कई विशेषताओं के लिए विख्यात है जिसमें से एक पर्यटन है। यहां पर पर्यटन की बहुत संभावनाएं पाई जाती हैं। जो पर्यटक यहां पर आते हैं वे इस क्षेत्र की विभिन्न तस्वीरें अपने साथ ले जाते हैं। पलायन करने वालेपक्षियों को निकट से देखने के लिए भी चुग़ाख़ोर तालाब उपयुक्त स्थल है। बहुत से पर्वतारोही भी इस क्षेत्र में पर्वतारोहण के लिए आते हैं। यहां पर स्थित केलार पर्वत चोटी 3830 मीटर ऊंची है। जाड़े के मौसम में यह बर्फ़ से ढकी रहती है। यहां पर पाई जाने वाली बर्फ़ कभी- कभी बसंत के मौसम में भी दिखाई देती है। जो लोग चुग़ाख़ोर तालाब देखने के लिए आते हैं उनमें से बहुत से लोग, नाव पर सवार होकर याह पर आनंदित होते हैं। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि ईरान के अन्तर्राष्ट्रीय वेटलैण्ड चुग़ाख़ोर को निकट से देखने में जो मज़ा है वह उसके बारे में सुनने में नहीं है।

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