क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-642
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-642
وَيَوْمَ يَحْشُرُهُمْ وَمَا يَعْبُدُونَ مِنْ دُونِ اللَّهِ فَيَقُولُ أَأَنْتُمْ أَضْلَلْتُمْ عِبَادِي هَؤُلَاءِ أَمْ هُمْ ضَلُّوا السَّبِيلَ (17) قَالُوا سُبْحَانَكَ مَا كَانَ يَنْبَغِي لَنَا أَنْ نَتَّخِذَ مِنْ دُونِكَ مِنْ أَوْلِيَاءَ وَلَكِنْ مَتَّعْتَهُمْ وَآَبَاءَهُمْ حَتَّى نَسُوا الذِّكْرَ وَكَانُوا قَوْمًا بُورًا (18)
और (हे पैग़म्बर! याद कीजिए उस दिन को) जिस दिन ईश्वर उन्हें भी और उनको भी जिनकी वे ईश्वर को छोड़ कर उपासना करते हैं, इकट्ठा करेगा, फिर उनसे पूछेगा, क्या तुमने मेरे बन्दों को पथभ्रष्ट किया था या वे स्वयं मार्ग से भटक गए थे? (25:17) वे (जवाब में) कहेंगे, प्रभुवर! तू तो हर बुराई से दूर है, यह तो हमसे हो ही नहीं सकता था कि तुझे छोड़ कर दूसरों को अपना अभिभावक बना लें किन्तु तूने उन्हें और उनके बाप-दादा को अत्यधिक सुख-समृद्धि दे दी यहाँ तक कि वे तेरी याद को ही भुला बैठे और नष्ट होने वाले बन कर रह गए। (25:18)
فَقَدْ كَذَّبُوكُمْ بِمَا تَقُولُونَ فَمَا تَسْتَطِيعُونَ صَرْفًا وَلَا نَصْرًا وَمَنْ يَظْلِمْ مِنْكُمْ نُذِقْهُ عَذَابًا كَبِيرًا (19)
(ईश्वर अनेकेश्वरवादियों से कहेगा) तो इन्होंने, उन बातों में, जो तुम कह रहे हो तुम्हें झुठला दिया है। तो अब न तो तुम दंड को रोक सकते हो और न कोई सहायता ही पा सकते हो। और तुममें से जो कोई अत्याचार करेगा (और किसी को ईश्वर का समकक्ष ठहराएगा) उसे हम अत्यंत कड़े दंड का मज़ा चखाएंगे। (25:19)
وَمَا أَرْسَلْنَا قَبْلَكَ مِنَ الْمُرْسَلِينَ إِلَّا إِنَّهُمْ لَيَأْكُلُونَ الطَّعَامَ وَيَمْشُونَ فِي الْأَسْوَاقِ وَجَعَلْنَا بَعْضَكُمْ لِبَعْضٍ فِتْنَةً أَتَصْبِرُونَ وَكَانَ رَبُّكَ بَصِيرًا (20)
और (हे पैग़म्बर!) आपसे पहले हमने जितने भी पैग़म्बर भेजे हैं वे सब ही (अन्य लोगों की भांति) खाना खाते और बाज़ारों में चलते-फिरते थे। और हमने तो तुम्हें एक दूसरे के लिए परीक्षा बनाया है क्या तुम धैर्य दिखाते हो? और आपका पालनहार तो सब कुछ देखने वाला है। (25:20)