क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-645
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-645
وَكَذَلِكَ جَعَلْنَا لِكُلِّ نَبِيٍّ عَدُوًّا مِنَ الْمُجْرِمِينَ وَكَفَى بِرَبِّكَ هَادِيًا وَنَصِيرًا (31
और इसी तरह हमने प्रत्येक नबी के लिये अपराधियों में से एक शत्रु बनाया और हे पैग़म्बर! मार्गदर्शन और सहायता के लिए तो आपका पालनहार ही काफ़ी है। (25:31)
وَقَالَ الَّذِينَ كَفَرُوا لَوْلَا نُزِّلَ عَلَيْهِ الْقُرْآَنُ جُمْلَةً وَاحِدَةً كَذَلِكَ لِنُثَبِّتَ بِهِ فُؤَادَكَ وَرَتَّلْنَاهُ تَرْتِيلًا (32) وَلَا يَأْتُونَكَ بِمَثَلٍ إِلَّا جِئْنَاكَ بِالْحَقِّ وَأَحْسَنَ تَفْسِيرًا (33)
और काफ़िरों ने कहा कि उन पर पूरा क़ुरआन एक ही बार में क्यों नहीं उतारा गया? ऐसा इस लिए किया गया ताकि हम इसके द्वारा आपके दिल को मज़बूत रखें और हमने इस (क़ुरआन) को (आपके लिए) ठहर-ठहर कर पढ़ा है। (25:32) और ये काफ़िर आपके पास कोई भी (ऐसी) उपमा (आपत्ति स्वरूप) नहीं लाते जिसका ठोस उत्तर और उत्तम विवरण हम आपके पास न ले आएं। (25:33)
الَّذِينَ يُحْشَرُونَ عَلَى وُجُوهِهِمْ إِلَى جَهَنَّمَ أُولَئِكَ شَرٌّ مَكَانًا وَأَضَلُّ سَبِيلًا (34)
जो लोग औंधे मुँह नरक की ओर ले जाए जाएँगे, उन्हीं का सबसे बुरा ठिकाना है और वही सबसे अधिक पथभ्रष्ठ भी हैं। (25:34)