क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-651
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-651
وَمَا أَرْسَلْنَاكَ إِلَّا مُبَشِّرًا وَنَذِيرًا (56) قُلْ مَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ إِلَّا مَنْ شَاءَ أَنْ يَتَّخِذَ إِلَى رَبِّهِ سَبِيلًا (57)
और (हे पैग़म्बर!) हमने तो आपको केवल शुभ-सूचना देने वाला और डराने वाला बना कर भेजा है। (25:56) कह दीजिए कि मैं इस (पैग़म्बरी और धर्म के प्रचार के) काम पर तुमसे कोई प्रतिफल नहीं माँगता सिवाय इसके कि जो कोई चाहे (मेरे मार्गदर्शन से) अपने पालनहार की ओर ले जाने वाला कोई मार्ग अपना ले। (25:57)
وَتَوَكَّلْ عَلَى الْحَيِّ الَّذِي لَا يَمُوتُ وَسَبِّحْ بِحَمْدِهِ وَكَفَى بِهِ بِذُنُوبِ عِبَادِهِ خَبِيرًا (58)
और (हे पैग़म्बर!) उस जीवन्त (ईश्वर) पर भरोसा कीजिए जो अमर है और उसकी प्रशंसा के साथ उसका गुणगान कीजिए। और उसके लिए अपने बन्दों के गुनाहों से अवगत होना ही काफ़ी है। (25:58)
الَّذِي خَلَقَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ وَمَا بَيْنَهُمَا فِي سِتَّةِ أَيَّامٍ ثُمَّ اسْتَوَى عَلَى الْعَرْشِ الرَّحْمَنُ فَاسْأَلْ بِهِ خَبِيرًا (59)
(वही ईश्वर) जिसने आकाशों और धरती को और जो कुछ इन दोनों के बीच है, छः दिनों अर्थात चरणों में पैदा किया, फिर (शक्ति के) सिंहासन पर विराजमान हुआ (और उसने संसार के मामलों की युक्ति की)। वह अत्यंत दयावान है अतः उसी से पूछो कि वह हर चीज़ से अवगत है। (25:59)