क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-655
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-655
وَالَّذِينَ يَقُولُونَ رَبَّنَا هَبْ لَنَا مِنْ أَزْوَاجِنَا وَذُرِّيَّاتِنَا قُرَّةَ أَعْيُنٍ وَاجْعَلْنَا لِلْمُتَّقِينَ إِمَامًا (74)
और जो कहते हैं कि हे हमारे पालनहार! हमें अपनी पत्नियों और संतान से आँखों की ठंडक प्रदान कर और हमें (तुझसे) डर रखने वालों का अग्रणी बना दे। (25:74)
أُولَئِكَ يُجْزَوْنَ الْغُرْفَةَ بِمَا صَبَرُوا وَيُلَقَّوْنَ فِيهَا تَحِيَّةً وَسَلَامًا (75) خَالِدِينَ فِيهَا حَسُنَتْ مُسْتَقَرًّا وَمُقَامًا (76)
यही वे लोग है जिन्हें, उनके द्वारा किए गए धैर्य के बदले में, (स्वर्ग के) उच्च भवन प्राप्त होंगे तथा वहाँ स्वागतम और सलाम से उनका सत्कार होगा। (25:75) वे वहाँ सदैव रहेंगे और वह क्या ही अच्छा ठिकाना और गंतव्य है। (25:76)
قُلْ مَا يَعْبَأُ بِكُمْ رَبِّي لَوْلَا دُعَاؤُكُمْ فَقَدْ كَذَّبْتُمْ فَسَوْفَ يَكُونُ لِزَامًا (77)
(हे पैग़म्बर लोगों से) कह दीजिए कि अगर तुम (उसे) न पुकारो तो मेरे पालनहार को तुम्हारी कोई परवाह नहीं है (क्योंकि) तुम (सत्य को) झुठला चुके हो तो शीघ्र ही वह दंड तुम्हें अपनी चपेट में ले लेगा। (जिससे बचना असंभव होगा) (25:77)