May १६, २०१८ ११:०३ Asia/Kolkata

क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-656

 

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ. طسم (1) تِلْكَ آَيَاتُ الْكِتَابِ الْمُبِينِ (2) لَعَلَّكَ بَاخِعٌ نَفْسَكَ أَلَّا يَكُونُوا مُؤْمِنِينَ (3)

 

ईश्वर के नाम से जो अत्यंत कृपाशील और दयावान है। ता सीन मीम (26:1) ये स्पष्ट करने वाली किताब की आयतें हैं। (26:2) शायद आप इस (दुःख) में कि वे (अनेकेश्वरवादी) ईमान नहीं लाते, आप अपने प्राण ही खो बैठेंगे। (26:3)

 

 

إِنْ نَشَأْ نُنَزِّلْ عَلَيْهِمْ مِنَ السَّمَاءِ آَيَةً فَظَلَّتْ أَعْنَاقُهُمْ لَهَا خَاضِعِينَ (4)

 

यदि हम चाहें तो उनपर आकाश से (चमत्कार की) एक निशानी उतार दें ताकि उनकी गर्दनें उसके आगे झुकी रह जाएँ। (26:4)

 

 

وَمَا يَأْتِيهِمْ مِنْ ذِكْرٍ مِنَ الرَّحْمَنِ مُحْدَثٍ إِلَّا كَانُوا عَنْهُ مُعْرِضِينَ (5) فَقَدْ كَذَّبُوا فَسَيَأْتِيهِمْ أَنْبَاءُ مَا كَانُوا بِهِ يَسْتَهْزِئُونَ (6)

 

उनके पास दयावान (ईश्वर) की ओर से (आयत के रूप में) कोई नया उपदेश नहीं आता सिवाय इसके वे उससे मुँह फेर लेते हैं। (26:5) तो उन्होंने (ईश्वरीय आयतों को) झुठला दिया तो शीघ्र ही उन तक उसकी सूचना पहुंच जाएगी, जिसका वे परिहास करते थे। (26:6)

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