क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-658
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-658
وَلَهُمْ عَلَيَّ ذَنْبٌ فَأَخَافُ أَنْ يَقْتُلُونِ (14) قَالَ كَلَّا فَاذْهَبَا بِآَيَاتِنَا إِنَّا مَعَكُمْ مُسْتَمِعُونَ (15)
और (मूसा ने कहा) उनकी दृष्टि में मुझ पर पाप (का एक आरोप) भी है तो मुझे डर है कि वे मेरी हत्या कर देंगे। (26:14) (ईश्वर ने) कहा, ऐसा नहीं है, तो तुम दोनों हमारे (चमत्कारों की) निशानियाँ लेकर जाओ कि हम तुम्हारे साथ और (तुम्हारी बातें) सुनने वाले हैं। (26:15)
فَأْتِيَا فِرْعَوْنَ فَقُولَا إِنَّا رَسُولُ رَبِّ الْعَالَمِينَ (16) أَنْ أَرْسِلْ مَعَنَا بَنِي إِسْرَائِيلَ (17)
तो तुम दोनों फ़िरऔन को पास जाओ और कहो कि हम सारे संसार के पालनहार की ओर से भेजे गए हैं। (26:16) तो तू बनी इस्राईल को (स्वतंत्र कर दे और उन्हें) हमारे साथ भेज दे। (26:17)
قَالَ أَلَمْ نُرَبِّكَ فِينَا وَلِيدًا وَلَبِثْتَ فِينَا مِنْ عُمُرِكَ سِنِينَ (18) وَفَعَلْتَ فَعْلَتَكَ الَّتِي فَعَلْتَ وَأَنْتَ مِنَ الْكَافِرِينَ (19) قَالَ فَعَلْتُهَا إِذًا وَأَنَا مِنَ الضَّالِّينَ (20)
(फ़िरऔन ने) कहा, क्या हमने तुम्हें बचपन में अपने यहाँ नहीं पाला? और तुम अपनी आयु के कई वर्ष तक हमारे साथ नहीं रहे? (26:18) और तुमने अपना वह काम कर डाला जो तुमने किया (और जिसे तुम्हें नहीं करना चाहिए था)। और तुम बड़ा ही अकृतज्ञ हो। (26:19) मूसा ने कहा, ऐसा मुझसे उस समय हुआ जब मैं अनभिज्ञों में था। (26:20)