क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-664
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-664
فَأَرْسَلَ فِرْعَوْنُ فِي الْمَدَائِنِ حَاشِرِينَ (53) إِنَّ هَؤُلَاءِ لَشِرْذِمَةٌ قَلِيلُونَ (54) وَإِنَّهُمْ لَنَا لَغَائِظُونَ (55) وَإِنَّا لَجَمِيعٌ حَاذِرُونَ (56)
तो फ़िरऔन ने एकत्र करने वालों को नगरों में भेजा (ताकि वे लोगों को एकत्र करें।) (26:53) (और कहला भेजा कि) निश्चय यह कुछ मुट्ठी भर लोगों का एक गुट है। (26:54) और ये हमें क्रुद्ध कर रहे हैं। (26:55) और हम सदैव (लड़ने के लिए) तैयार रहने वाले हैं। (26:56)
فَأَخْرَجْنَاهُمْ مِنْ جَنَّاتٍ وَعُيُونٍ (57) وَكُنُوزٍ وَمَقَامٍ كَرِيمٍ (58) كَذَلِكَ وَأَوْرَثْنَاهَا بَنِي إِسْرَائِيلَ (59)
फिर हम उन्हें बाग़ों और जल स्रोतों (26:57) और ख़जानों और अच्छे स्थान (अर्थात वैभवशाली महलों) से निकाल लाए। (26:58) यह तो उनके साथ हुआ और (दूसरी ओर) हमने बनी इस्राईल को उनका उत्तराधिकारी बना दिया। (26:59)
فَأَتْبَعُوهُمْ مُشْرِقِينَ (60) فَلَمَّا تَرَاءَى الْجَمْعَانِ قَالَ أَصْحَابُ مُوسَى إِنَّا لَمُدْرَكُونَ (61) قَالَ كَلَّا إِنَّ مَعِيَ رَبِّي سَيَهْدِينِ (62)
तो सुबह-तड़के फ़िरऔन की सेना ने उनका पीछा किया। (26:60) फिर जब दोनों गुटों ने एक-दूसरे को देख लिया तो मूसा के साथियों ने कहा, निश्चित रूप से हम पकड़े जाएंगे। (26:61) मूसा ने कहा, कदापि नहीं, निश्चय ही मेरा पालनहार मेरे साथ है, वह शीघ्र ही मुझे मार्ग दिखा देगा। (26:62)