May १६, २०१८ १३:१५ Asia/Kolkata

क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-665

 

فَأَوْحَيْنَا إِلَى مُوسَى أَنِ اضْرِبْ بِعَصَاكَ الْبَحْرَ فَانْفَلَقَ فَكَانَ كُلُّ فِرْقٍ كَالطَّوْدِ الْعَظِيمِ (63) وَأَزْلَفْنَا ثَمَّ الْآَخَرِينَ (64) وَأَنْجَيْنَا مُوسَى وَمَنْ مَعَهُ أَجْمَعِينَ (65) ثُمَّ أَغْرَقْنَا الْآَخَرِينَ (66)

 

फिर हमने मूसा की ओर अपना विशेष संदेश वहि भेजा कि अपनी लाठी को सागर पर मारो तो सहसा ही वह फट गया और उसका हर टुकड़ा एक बड़े पर्वत जैसा बन गया। (26:63) और हम दूसरों (फ़िरऔन की सेना) को भी (उसी स्थान के) निकट ले आए। (26:64) और हमने मूसा को और उन सबको जो उनके साथ थे, बचा लिया (26:65) फिर दूसरों को डूबो दिया। (26:66)

 

 

إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآَيَةً وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ (67) وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ (68)

 

निःसंदेह इसमें एक बड़ी निशानी (और पाठ) है। और फिर भी उनमें से अधिकतर ईमान लाने वाले नहीं थे। (26:67) और (हे पैग़म्बर!) निश्चय ही आपका पालनहार अजेय और अत्यन्त दयावान है। (26:68)

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