May १६, २०१८ १४:२८ Asia/Kolkata

क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-673

 

أَتَبْنُونَ بِكُلِّ رِيعٍ آَيَةً تَعْبَثُونَ (128) وَتَتَّخِذُونَ مَصَانِعَ لَعَلَّكُمْ تَخْلُدُونَ (129) وَإِذَا بَطَشْتُمْ بَطَشْتُمْ جَبَّارِينَ (130)

 

क्या तुम प्रत्येक उच्च स्थान पर अपनी इच्छा के चलते (व्यर्थ की) एक ऊंची इमारत का निर्माण करते रहोगे? (26:128) और भव्य महल बनाते रहोगे जैसे सदैव बाक़ी रहोगे? (26:129) और जब तुम किसी पकड़ते हो तो निर्दयी अत्याचारियों की भांति पकड़ते हो? (26:130)

 

 

فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ (131) وَاتَّقُوا الَّذِي أَمَدَّكُمْ بِمَا تَعْلَمُونَ (132) أَمَدَّكُمْ بِأَنْعَامٍ وَبَنِينَ (133) وَجَنَّاتٍ وَعُيُونٍ (134)

 

अतः ईश्वर से डरो और मेरीस अनुसरण करो। (26:131) और उस (ईश्वर) से डरो जिसने तुम्हारी उन चीज़ों से सहायता की जिन्हें तुम जानते हो। (26:132) उसने चौपायों और पुत्रों (के माध्यम) से तुम्हारी सहायता की। (26:133) और इसी प्रकार बाग़ों और सोतों (के माध्यम) से। (26:134)

 

 

إِنِّي أَخَافُ عَلَيْكُمْ عَذَابَ يَوْمٍ عَظِيمٍ (135) قَالُوا سَوَاءٌ عَلَيْنَا أَوَعَظْتَ أَمْ لَمْ تَكُنْ مِنَ الْوَاعِظِينَ (136)

 

निश्चय ही मुझे तुम्हें एक बड़े दिन (मिलने वाले) दंड का भय है। (26:135) (आद जाति के) लोगों ने कहा, चाहे तुम नसीहत करो या नसीहत करने वाले न बनो, हमारे लिए एक समान है। (26:136)

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