क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-674
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-674
إِنْ هَذَا إِلَّا خُلُقُ الْأَوَّلِينَ (137) وَمَا نَحْنُ بِمُعَذَّبِينَ (138) فَكَذَّبُوهُ فَأَهْلَكْنَاهُمْ إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآَيَةً وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ (139) وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ (140)
यह पिछले लोगों की शैली के अतिरिक्त कुछ नहीं है। (26:137) और हमे कदापि दंडित नहीं होंगे। (26:138) फिर उन्होंने (हूद को) झुठला दिया तो हमने उन्हें तबाह कर दिया, निःसंदेह इसमें (पाठ सीखने के लिए) एक बड़ी निशानी है और उनमें से अधिकतर ईमान लाने नहीं थे। (26:139) और (हे पैग़म्बर!) निश्चय ही आपका पालनहार ही बड़ा प्रभुत्वशाली और अत्यन्त दयावान है। (26:140)
كَذَّبَتْ ثَمُودُ الْمُرْسَلِينَ (141) إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ صَالِحٌ أَلَا تَتَّقُونَ (142) إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ (143) فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ (144) وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَى رَبِّ الْعَالَمِينَ (145)
समूद (जाति के लोगों) ने (भी) पैग़म्बरों को झुठलाया। (26:141) जब उनके भाई सालेह ने उनसे कहा, क्या तुम (ईश्वर से) नहीं डरते? (26:142) निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार पैग़म्बर हूँ। (26:143) तो ईश्वर से डरो और मेरा अनुसरण करो। (26:144) और मैं (पैग़म्बरी के) इस काम पर तुमसे कोई प्रतिफल नहीं माँगता कि मेरा बदला तो केवल ब्रह्मांड के पालनहार के ज़िम्मे है। (26:145)
أَتُتْرَكُونَ فِي مَا هَاهُنَا آَمِنِينَ (146) فِي جَنَّاتٍ وَعُيُونٍ (147) وَزُرُوعٍ وَنَخْلٍ طَلْعُهَا هَضِيمٌ (148) وَتَنْحِتُونَ مِنَ الْجِبَالِ بُيُوتًا فَارِهِينَ (149) فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ (150)
क्या तुम (यह सोचते हो कि) यहाँ (इस संसार में) जो कुछ है उसके बीच, निश्चिन्त छोड़ दिए जाओगे? (26:146) बाग़ों और सोतों में (26:147) और खेतों और उन खजूरों में जिनके गुच्छे ताज़ा और गुँथे हुए हैं? (26:148) और तुम पहाड़ों को काट-काट कर इतराते हुए घर बनाते हो? (26:149) तो ईश्वर से डरो और मेरा अनुसरण करो। (26:150)