अल्लाह के ख़ास बन्दे- 38
हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम का जन्म सन 38 हिजरी क़मरी के जमादिउल औवल महीने के पूर्वार्ध में हुआ।
यह हज़रत अली अलैहिस्सलाम की इमामत व ख़िलाफ़त के ज़माने के आख़िरी दिन थे। हज़रत अली अलैहिस्सलाम की ख़ेलाफ़त के आख़िरी तीन साल बड़े उथल पुथल वाले थे। बनी उमैया ख़ानदान की ताक़त बढ़ती जा रही थी और इसके साथ ही उसके अत्याचार भी व्यापक होते जा रहे थे। लोग क़त्ल किए जा रहे थे। ख़वारिज नामक समूह जो अज्ञानियों का समूह था हज़रत अली अलैहिस्सलाम के विरुद्ध युद्धरत हो गया जिसके नतीजे में मुआविया का क्रूर शासन और मज़बूत हो गया। आख़िरकार हज़रत अली अलैहिस्सलाम को मस्जिद की मेहराब के अंदर नमाज़ अदा करते हुए शहीद कर दिया गया।
इसके बाद हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम की इमामत का 10 वर्षीय काल शुरू हुआ। हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम ने इस पूरी अवधि में देखा कि किस तरह उनके चाचा इमाम हसन से मुआविया का बार बार टकराव हो रहा था। उन्होंने यह भी देखा कि कूफ़ा वासियों ने किस तरह हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम से विश्वास घात किया। हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम तेरह साल के हो चुके थे कि उनके पिता हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की इमामत शुरू हुई। हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम ने देखा कि खींचतान का वातावरण है। मुआविया लगातार यह कोशिश कर रहा था कि आम लोगों की नज़र में हज़रत अली अलैहिस्सलाम की साख को ख़राब करे। मुआविया ने इस बीच पैग़म्बरे इस्लाम के वरिष्ठ सहाबियों जैसे हुज्र इब्ने उदय और मालिके अशतर को शहीद करवा दिया और लोगों में आतंक फैला दिया।
मुआविया ने शैतानी चालों से अपने पापों पर पर्दा डालने की कोशिश की। हद तो यह हो गई कि मुआविया ने अपने बेटे यज़ीद का नाम अपने उत्तराधिकारी के रूप में घोषित कर दिया जो शराबख़ोरी और चरित्रहीनता के कारण बदनाम था। इस पूरी अवधि में हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम देख रहे थे कि किस तरह इमाम हसन और इमाम हुसैन ने विभिन्न आयामों से संघर्ष किया। यहां तक कि आशूर की घटना हुई। आशूर के दिन कर्बला में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के शहीद हो जाने के बाद ज़िम्मेदारियों का बहुत बड़ा बोझ हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम के कंधों पर आ गया। हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम ने एसे हालात में इमाम अर्थात मार्गदर्शन का दायित्व संभाला कि पूरे इस्लामी जगत में तलवार का राज था, कहीं भी तर्क और इस्लामी व मानवीय मूल्यों की कोई ख़बर नहीं थी। इन हालात में हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम ने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के मिशन का संदेश सारी दुनिया में फैलाया।
कर्बला में इमाम हुसैन और उनके साथियों को बेरहमी से शहीद करने के बाद कारवां के शेष लोगों को क़ैदी बनाकर कूफ़ा के गवर्नर उबैदुल्ला इब्ने ज़्याद के दरबार की ओर रवाना कर दिया गया। वह ताक़त के नशे में चूर इस धारण में था कि लड़ाई उसने जीत ली है। जब उसका सामना क़ैदी बने हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम से हुआ तो उसने बड़े अनादरपूर्ण अंदाज़ में और दुस्साहसी स्वर में कहा कि तुम्हारा नाम क्या है? इमाम ने बड़े सपाट स्वर में कहा कि अली। इब्ने ज़्याद ने अगला सवाल किया कि क्या ईश्वर ने कर्बला में हुसैन के बेटे अली को क़त्ल नहीं किया। हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम ने देखा कि बनी उमैया के पापी यह चाहते हैं कि कर्बला की घटना को ईश्वर की करनी का नाम दे दें और लोगों को भ्रमित कर दें। हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम ने बड़े साहस के साथ उत्तर दिया कि अली नाम के मेरे भाई थे जिन्हें तेरी शैतानी सेना ने शहीद किया। उन्हें ईश्वर ने क़त्ल नहीं किया बल्कि यज़ीद की इस्लाम विरोधी सरकार ने क़त्ल किया है और उनका पवित्र ख़ून ज़मीन पर बहाया है।
हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम को ठोस और आत्म विश्वास से भरा स्वर देखकर इब्ने ज़्याद आग बगूला हो गया। उसने चिल्लाते हुए कहा कि तुम मेरे ही वाक्य से मुझे ही कटघरे में खड़ा करना चाहते हो? फिर उसने हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम की हत्या का आदेश जारी कर दिया। हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम ने इस धमकी पर तनिक भी ध्यान दिए बग़ैर कहा कि तू मुझे मौत से डराता है? हमारी संस्कृति में शहादत कोई दुखद घटना और मुसीबत नहीं है। शहादत हमारे लिए गर्व की बात और हमारे दुशमनों के ख़िलाफ़ हमारा कारगर हथियार है। इब्ने ज़्याद को अंदाज़ा हो गया कि वह बहस में हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम के सामने टिक नहीं पाएगा। बहस जारी रही तो उसकी बेइज़्ज़ती हो जाएगी। अतः उसने आदेश दिया कि हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम और अन्य क़ैदियों के कारवां को शाम में यज़ीद के दरबार की ओर रवाना कर दिया जाए।
मुआविया के बेटे यज़ीद ने दमिश्क़ की जामा मस्जिद में एक बड़ी सभा की ताकि सबके बीच में पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों की शान और मर्यादा पर वार कर सके। उसने अपने एक पिट्ठू वक्ता को मिंबर पर भेज दिया। उसने हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम तथा पैग़म्बरे इस्लाम के संबंध में अनादरपूर्ण अंदाज़ में बातें और उनका अपमान करने की कोशिश की और इस्लाम से हमेशा लड़ने वाले अबू सुफ़ियान की प्रशंसा की जो यज़ीद का दादा था। हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम ने वक्ता को डांट कर कहा कि धिक्कार हो तुझ पर हे वक्ता! तूने किसी व्यक्ति को ख़ुश करने के बदले में ईश्वर का नाराज़ करने के रास्ते को चुना है? जान ले तेरी जगह नरक है। वहां मौजूद लोग आवाक रह गए और हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम यज़ीद की ओर मुड़े। उन्होंने कहा कि मुझे भाषण देने दे ताकि यहां मौजूद लोगों का कुछ भला हो सके।
यज़ीद ने पहले तो हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम की बात नहीं मानी लेकिन जब वहां मौजूद लोगों ने आग्रह करना शुरू कर दिया तो उसने मजबूर होकर हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम को भाषण देने की अनुमति दी। हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम मिंबर पर बैठ गए और बड़ा ही सुंदर और अलंकृत भाषण दिया। उन्होंने ईश्वर का गुणगान किया और पैग़म्बरे इस्लाम की महानता का उल्लेख किया। फिर वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हे लोगो! ईश्वर ने पैग़म्बरे इस्लाम के हम परिजनों को ज्ञान, संयम, उदारता, वाकपटुता, साहस, मित्रता से नवाज़ा है और लोगों के दिलों में हमारी श्रद्धा रखी है।
इसके बाद हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम ने अपने वंश का परिचय देते हुए कहा कि मैं ईश्वर के चुने हुए बंदे मुहम्मद का वंशज हूं जिन्हें ईश्वर ने पैग़म्बर बनाकर भेजा और उन पर अपना विशेष संदेश वहि उतारा। मैं अली इब्ने अबी तालिब का पोता हूं जो मोमिन बंदों के लिए नमूना, पैग़म्बरों के वारिस तथा नास्तिकता और मूर्ति पूजा पर विराम लगाने वाले हैं। मैं दुनिया की सबसे महान महिलाओं हज़रत फ़ातेमा और हज़रत ख़दीजा का बेटा हूं। मैं उसका बेटा जूं जो अपने पवित्र ख़ून में नहाया और बड़ी मज़लूमियत के साथ शहीद कर दिया गया। इसके बाद हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम ने कहा कि पैग़म्बरे इस्लाम हमारे ख़ानदान से हैं। हज़रत अली हमारे ख़ानदान से हैं। शहीदों के सरकार हज़रत हमज़ा हमारे ख़ानदान से हैं। पैग़म्बरे इस्लाम के नवासे हज़रत इमाम हसन और हज़रत इमाम हुसैन हमारे ख़ानदान से हैं।
मस्जिद में मौजूद लोगों की आंखों हैरत से फटी हुई थीं। वह हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम को ध्यान से देख रहे थे और वह अपने महान परिवार का परिचय करा रहे थे और इमाम हुसैन तथा उनके साथियों की शहादत के पहलुओं का उल्लेख कर रहे थे। शाम के लोगों को अब एहसास हो रहा था कि उन्हें धोखा दिया जाता रहा है और वह रो रहे थे। यज़ीद ने यह माहौल देखा तो घबरा गया उसने हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम को चुप कराने क लिए मुअज़्ज़िन को आदेश दिया कि अज़ान देना शुरू कर दे। मुअज़्ज़िन ने अपनी जगह से उठकर अज़ान देना शुरू कर दिया। उसने अल्लाहो अकबर कहा तो हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम ने कहा मैं गवाही देता हूं कि ईश्वर सबसे महान है। मुअज़्ज़िन ने कहा कहा अशहदो अन्ना मुहम्मदर्रसूलुल्लाह। सबकी निगाहें हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम पर लगी हुई थीं। हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम ने कहा कि हे यज़ीद पैग़म्बरे इस्लाम मेरे दादा हैं या तेरे? अगर तू कहता है कि तेरे दादा हैं तो तूने झूठ बोला है और अगर तूने कहा कि मेरे दादा हैं तो तूने मेरे पिता हुसैन को जो ईश्वर और पैग़म्बरे इस्लाम के प्रिय थे क्यों शहीद करवाया, उनके कारवां को क्यों लूटा, उनके शवों को ज़मीन पर क्यों पड़ा छोड़ दिया, उनके कारवां के लोगों को क्यों क़ैदी बनाकर गली गली फिराया? धिक्कार हो तूझ पर मेरे पिता क़यामत के दिन तुझसे जवाब मांगेंगे।
यज़ीद बिल्कुल निरुत्तर हो चुका था। वह हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम को क़त्ल कर देना चाहता था लेकिन लोगों का रुजहान देखकर हज़रत इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम को ढारस देने लगा और कहने लगा कि ईश्वर की लानत हो इब्ने ज़्याद पर! अगर मैं उसकी जगह होता तो तुम्हारे पिता हुसैन जो कहते मान लेता और उनकी हत्या न करवाता।