आयतें और निशानियां- 12
पवित्र क़ुरआन में विभिन्न प्रकार के जीव जन्तुओं की 26 जातियों का उल्लेख किया गया है किन्तु उन जानवरों में से एक ऊंट है जिसके बारे में मनुष्य को चिंतन मनन का आदेश दिया गया है।
रोचक बात यह है कि ईश्वर की सृष्टि और आसमान, ज़मीन और पहाड़ों के बारे में चिंतन मनन, मनुष्य का अपने आरंभ और अंत पर विचार और उसके बारे में सोचने का कारण बनता है और इसको सब चीज़ों पर प्राथमिकता है। पवित्र क़ुरआन के सूरए ग़ाशिया की आयत संख्याय 17 से 21 तक में आया है कि क्या यह लोग ऊंट को नहीं देखते है कि उसे किस तरह पैदा किया गया है और आसमान को किस प्रकार ऊंचा उठाया गया है और पहाड़ को किस प्रकार गाड़ा गया है और ज़मीन को किसी प्रकार छिपाया गया है और इसीलिए आप नसीहत करते हैं कि आप केवल नसीहत करने वाले हो।
ऊंट ईश्वर के अद्भुत प्राणियों और आश्चर्यजनक निशानियों में से एक है। ऊंच की अपनी एक अलग ही विशेषता होती है। यह एक ऐसा जानवर है जिसके मांस और दूध दोनों से लाभ उठाया जा सकता है जबकि कुछ चौपाओं के केवल मांग या दूसरों को केवल दूध से ही लाभ उठाया जा सकता है। दूसरे चौपाएं हैं जो केवल सवारी के लिए ही उचित होते हैं जबकि कुछ सामान ढोने के लिए ही बने होते हैं। दूसरी ओर ऊंट, सबसे शक्तिशाली और प्रतिरोधकर्ता पालतू जानवर है जो बहुत अधिक वज़न उठा सकता है। वह उसी प्रकार सोते समय भी अच्छा ख़ासा वज़न भी पीठ पर उठा सकता है। वह बैठे बैठे ज़मीन पर बहुत तेज़ी से अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है जबकि दूसरे चौपाए ऐसा नहीं कर सकते। कहा जाता है कि ऊंट एक सप्ताह से दस दिन तक भीषण भूख सहन कर सकता है और वह एक दिन में लंबी दूरी भी तय कर सकता है। वह ऊंची नीची ज़मीनों और रेगिस्तान में फ़र्राटे से चलता है। अरब लोग ऊंट को रेगिस्तान का हवाई जहाज़ भी कहते हैं। ऊंट का खाना बहुत कम ख़र्चीला वाला होता है। वह हर घांस फूंस यहां तक कि कटीली झाड़ियों को भी खा लेता है। ऊंट ख़राब वातावरण में भी, रेतीले तूफ़ानों में भी जिसमें हर प्राणी अंधा हा जाता है, ईश्वर की विशेष विभूतियों के कारण ज़बरदस्त प्रतिरोध करता है और अपना रास्ता जारी रखता है क्योंकि ईश्वर ने उसकी पलकों, नाक और कानों को विशेष प्रकार से बनाया है। ऊंट का शरीर बहुत भारी भरकम है उसके बावजूद वह बहुत ही शांत जानवर है, इस प्रकार से कि छोटे से छोटा बच्चा भी ऊंट की एक पूरी क़तार को सरलता से नियंत्रित कर सकता है और जहां चाहे ले जा सकता है। (AK)